पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती इन दिनों फुर्सत में भी है और गुस्से में भी। लेकिन, ख़बरों में बना रहना उन्हें आता है, इसलिए आजकल वे बयानों के जरिए अपनी राजनीति चला रही है। उनका एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने ब्यूरोक्रेसी पर अनर्गल टिप्पणी की। उनका कहना है कि ब्यूरोक्रेसी कभी नेता को नहीं चलाती, नेता ही Bureaucracy चलाते हैं। ब्यूरोक्रेसी तो हमारी चप्पलें उठाने के लिए होती है। वे किसी से बात करती ये भी कहती हैं कि आपको ग़लतफ़हमी है कि Bureaucracy नेताओं को चलाती होगी, ऐसा कुछ नहीं है। मैं 11 साल केंद्र में मंत्री और मुख्यमंत्री रही हूँ, मुझे सब पता है।
इससे पहले उमा भारती ने मध्यप्रदेश सरकार को शराबबंदी के लिए 15 जनवरी तक का अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने कहा कि यदि इस तारीख तक शराब बंदी नहीं हुई, तो मैं लट्ठ उठाकर शराब बंदी करवाउंगी। उमा भारती ने कहा था कि शिवराजजी और वीडी शर्माजी का मानना है कि जागरूकता अभियान से शराबबंदी की जा सकती है। मेरा मानना है कि ये बिना लट्ठ के नहीं होगा। मैं 15 जनवरी तक लोकतंत्र का पालन करूंगी। शराबबंदी के लिए जागरूकता अभियान से काम चलाऊंगी। यदि फिर भी लोग नहीं माने तो सड़क पर उतर जाऊंगी। मैं जब मुख्यमंत्री बनी थी, तब घोषणा पत्र में नहीं डाला था कि शराबबंदी करेंगे, लेकिन यह मेरी आत्मा में था। मैंने अधिकारियों से कहा था कि रेवेन्यू के लिए अलग से रास्ता निकालें। भारती ने कहा कि कोरोना में यह देखा गया कि एक भी व्यक्ति शराब से नहीं मरा, क्योंकि दुकानें बंद थीं।
उन्होंने कहा कि मैं नवरात्रि से गंगा यात्रा पर जाऊंगी, जिसका अक्षय तृतीया पर गंगा सागर में विसर्जन होगा। इसके बाद शराबबंदी की मुहिम में जुट जाऊंगी। 15 जनवरी के बाद अभियान का नेतृत्व खुद करूंगी। मैं सड़क पर आ जाऊंगी। उमा भारती ने कहा कि इस अभियान से प्रदेश सरकार मजबूत होगी। उन्होंने बिहार में नीतीश कुमार के शराबबंदी के मॉडल की तारीफ की।
लट्ठ से शराबबंदी को लेकर पूछे सवाल पर उमा भारती ने सफाई दी कि लट्ठ से मेरा मतलब सख्त कानून से है। सख्त कानून सरकार कैसे लाएगी। वह जन दबाव को देखकर कानून लाएगी। लठ उठाने का काम किसी का भी नहीं होना चाहिए। पुलिस के कोरोना के समय लोगों को लट्ठ मारने का भी मैंने विरोध किया था। इसको लेकर मैंने अधिकारियों से भी चर्चा की थी। मेरा लट्ठ से मतलब था कि ताकत दिखा देना।
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