आज विश्व गौरैया दिवस है – जरूरत है इसे बचाने
अनिल तंवर की विशेष रिपोर्ट
प्राचीन काल से ही हमारे उल्लास, स्वतंत्रता, परंपरा और संस्कृति की संवाहक वही गौरैया अब संकट में है. संख्या मंं लगातार गिरावट से उसके विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है . इसको बचाने के लिए दिल्ली सरकार ने पिछले साल इसे राजकीय पक्षी घोषित किया है.
डाक्टर मुनीन्द्र मिश्रा बताते है कि — एक वह भी समय था कि बचपन की सबसे सुखद स्मृतियों में गौरैया जरूर होती थी , क्योंकि सबसे पहले बच्चा इसी चिड़िया को पहचानना सीखता था . पड़ोस के लगभग हर घर में इनका घोंसला होता था . आंगन में या छत की मुंडेर पर वे दाना चुगती थीं। बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर ये झुंड के झुंड फुदकती रहती थीं .तब घरों में धार्मिक कार्यक्रम और समारोहों में दीवारों पर चित्रकारी करने में फूल-पत्ती, पेड़ के साथ गौरैया चिड़िया के चित्र उकेरे जाते हैं .
कई आदिवासियों की लोक कथाओं में गौरैया चिड़िया का वर्णन मिलता है। महाराष्ट्र की वर्ली व उड़ीसा की सौरा आदिवासी (रामायण और महाभारत में इसका उल्लेख सावरा के नाम से मिलता है) की लोक कलाओं में गौरैया चिड़िया के चित्र बनाने की परंपरा मिलती है .
-उत्तर भारत की संस्कृति में यह चिड़िया इस तरह रची बसी है कि प्रसिद्ध लेखिका महादेवी वर्मा ने कहानी गौरैया में कामना की है कि हमारे शहरी जीवन को समृद्ध करने के लिए गौरैया चिड़िया फिर लौटेगी .
अब है संकट:
-बगीचों से लेकर खेतों तक हर जगह इनकी संख्या में गिरावट को देखते हुए इनको पक्षियों की संकटग्रस्त प्रजाति की रेड सूची में शामिल किया गया है .
-आधुनिक घरों का निर्माण इस तरह किया जा रहा है कि उनमें पुराने घरों की तरह छज्जों, टाइलों और कोनों के लिए जगह ही नहीं है . जबकि यही स्थान गौरैयों के घोंसलों के लिए सबसे उपयुक्त होते हैं .
-शहरीकरण के नए दौर में घरों में बगीचों के लिए स्थान नहीं है .
-पेट्रोल के दहन से निकलने वाला मेथिल नाइट्रेट छोटे कीटों के लिए विनाशकारी होता है, जबकि यही कीट चूजों के खाद्य पदार्थ होते हैं .
-मोबाइल फोन टावरों से निकलने वाली तरंगों में इतनी क्षमता होती है, जो इनके अंडों को नष्ट कर सकती है .
चिड़िया एक, नाम अनेक :
-अलग-अलग बोलियों, भाषाओं, क्षेत्रों में गौरैया को विभिन्न नामों से जाना जाता है .
-वैज्ञानिक नाम-पेसर डोमिस्टिकस.
उर्दू: चिरया
सिंधी: झिरकी
पंजाब: चिरी
जम्मू और कश्मीर: चेर
पश्चिम बंगाल: चराई पाखी
उड़ीसा: घराछतिया
गुजरात: चकली
महाराष्ट्र: चिमनी
तेलुगु: पिछुका
कन्नड़: गुबाच्ची
तमिलनाडु और केरल: कुरूवी
बचाव के उपाय:
-घर की छत या टेरेस पर अनाज के दानों को डालें .
-यदि घर में स्थान है, तो बागवानी करें .
-साफ जल रखें .
-घोंसले के स्थान पर पात्र में कुछ खाद्य पदार्थ रखें .
-स्वस्थ पर्यावरण में रहें, जिससे चिड़िया भी रह सकें .
-घर में कीटनाशक का छिड़काव न करें .
Dance On The Dance Floor- वीडियो : शादी में डांस कर रहे है मेहमान अचानक से धरती में समाए