आज थमेगा चारों उपचुनावी सभाओं का शोर…अब दो दिन चलेगा मतदाताओं के चिंतन-मनन का दौर…

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कौशल किशोर चतुर्वेदी की विशेष रिपोर्ट

मध्यप्रदेश के चार उपचुनावों में चुनाव प्रचार की सभाओं का शोर आज शाम थम जाएगा। इसके बाद दो दिन का समय मतदाताओं का होगा, जिसमें वह अपनी पसंदगी-नापसंदगी पर चिंतन-मनन कर यह नतीजा निकालेंगे कि कौन सा चेहरा उनकी सोच पर खरा उतरेगा। कौन सा दल है, जिसके करीब वह खुद को पा रहे हैं।

वर्तमान परिदृश्य उन्हें किस तरफ झुकने की प्रेरणा दे रहा है। और कौन से मुद्दे हैं जो उन्हें दल विशेष के प्रत्याशी को चुनने का इशारा कर रहे हैं। पंद्रह दिन की कड़ी मेहनत के बाद अब नेताओं को सभाओं से राहत मिलेगी। तो मतदाताओं को चुनावी सभाओं में शिरकत करने से मुक्ति मिलेगी। पर मतदाताओं के दरवाजे पहुंचकर व्यक्तिगत मेल-मुलाकात का  दौर दो दिन चलता रहेगा। और फिर 30 अक्टूबर को सूरज निकलने से अस्त होने तक हर उपचुनाव क्षेत्र में किसी एक की किस्मत का सूरज उदय होगा तो बाकी सभी की किस्मत सूर्यास्त के साथ फिलहाल इस चुनाव परिणाम के लिए अस्त होकर वीवीपैट में बंद हो जाएगी।

हालांकि मतगणना के पहले के दो दिन उम्मीदों का सूरज सभी उम्मीदवारों को अपनी किस्मत पर भरोसा जरूर जगाएगा, जिसका फैसला 2 नवंबर की दोपहर तक होने लगेगा। शाम तक मुस्कान हर उपचुनाव के उस अकेले उम्मीदवार के चेहरे पर ही बचेगी, जिसे लगेगा कि आगामी दो साल  जनप्रतिनिधि बनने का मुकुट मतदाताओं ने उसके सिर पर रख दिया है।

इन चार उपचुनावों की खासियत यह है कि भाजपा-कांग्रेस के ज्यादातर चेहरे पहली बार विधायक-सांसद बनने का सपना लेकर चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। चाहे वह खंडवा से ज्ञानेश्वर पाटिल हों तो पहली बार सांसद बनने की उम्मीद लिए राजनारायण पूरनी हों या फिर जोबट से महेश पटेल हों या पहली बार केसरिया रंग से रंगकर विधानसभा पहुंचने की ललक लिए सुलोचना रावत हों।

पृथ्वीपुर से चाहे पिता का उत्तराधिकारी बनकर विधानसभा में पैर रखने की लालसा लिए नितेंद्र बृजेंद्र सिंह राठौर हों या फिर सेवा के जज्बे से ताजगी महसूस कर रहे शिशुपाल यादव हों या रैगांव विधानसभा उपचुनाव में पहली बार दाताओं से मत का दान मांगती प्रतिमा बागरी हों या फिर विधायक बनने की कल्पना में डूबी दूसरी बार किस्मत आजमा रही कल्पना वर्मा।

राजनारायण पूरनी और सुलोचना रावत को छोड़ दें तो बाकी सभी चेहरे विधानसभा या लोकसभा में पहली दफा दस्तक देने के लिए बेताब हैं। किसी को सहानुभूति का भरोसा है तो किसी को बन रहे समीकरण हौसला दे रहे हैं तो किसी को अपने दल की विचारधारा विश्वास जगा रही है कि जीतेंगे और जनप्रतिनिधि बनकर जनता का दिल भी जीतेंगे।

प्रचार-प्रसार की बात करें तो सभाओं को संबोधित करने में सर्वाधिक शेयर मामा शिवराज और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का ही है। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के शेयर हैं,तो केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, ज्योतिरादित्य सिंधिया, उमा भारती, दिग्विजय सिंह, कैलाश विजयवर्गीय, नरोत्तम मिश्रा, केशव प्रसाद मौर्य सहित अन्य सभी की भागीदारी भी है।

बाकी विधानसभाओं में पूर्णकालिक के तौर पर समर्पित उन सभी मंत्रियों, विधायकों, पूर्व मंत्रियों, कद्दावर नेताओं के बिना चुनावी सभाओं का अध्याय पूरा नहीं होता, जो सितारे सभाओं का हिस्सा भी रहे और चौक-चौराहों, गांव-चौपालों में रहकर भी दिन-रात एक किया है। यह सूची जरा लंबी है ताकि जीत-हार का श्रेय या जिम्मेदारी सबके हिस्से में बहुत कम-कम नजर आए।

अंधेरे से उजाले की ओर धकेलने की ताकत मतदाताओं की मुट्ठी की उस उंगली में है जो वीवीपैट मशीन के जरिए चहेते चिन्ह पर अपना प्रेम बरसाएगी, स्नेह को लुटाएगी। मतदाताओं के मन पर असर दल और विचारधाराओं का होगा, तो समसामयिक मुद्दे जरूर झकझोरने का दम भरेंगे।

विकास के साथ जाने की ललक है या बदलाव का भाव मन में बसा है, यह तय कर पसंदीदा दल, विचारधारा और उम्मीदवार को विजयी बनाने का माद्दा फिलहाल मतदाता में ही है। और इसीलिए मतदाता ही लोकतंत्र की आत्मा है जो लोकतांत्रिक शरीर को जिंदा रखने का जज्बा रखता है। मध्यप्रदेश के चार उपचुनावों में भाजपा-कांग्रेस के बीच परिणामों के विकल्प 2-2, 3-1, 4-0, 1-3 या 0-4 मौजूद हैं।

फिलहाल दलों का दावा सभी चार सीटें जीतकर विपक्षी को औंधे मुंह पटकने का है। तो परंपरागत को आधार मानकर 2-2 का विकल्प सांत्वना और सम्मान से ओतप्रोत है। पर 3-1 का विकल्प अपने आप में बहुत कुछ समेटे है। मतदाताओं ने मन क्या बना रखा है, इसके लिए बस छह दिन का इंतजार है।

सातवां दिन सब कुछ साफ कर देगा। वैसे भी सात दिनों में पूरा जीवन सिमटा है और बुधवार से मंगलवार के बीच सात दिन में ही उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला भी होकर रहेगा। इन उपचुनावों ने एक और उपचुनाव को पीले चावल दे ही दिए हैं, सो यह अगला उपचुनाव अपने साथ और कितनी संख्या जोड़ता है…यह एक ब्रेक के बाद फिर सबके सामने होगा।