आज की बात:PM’s VVIP Guest: जब सिंधिया जी ने मेरे निर्णय से जताई सहमति

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आज की बात:PM’s VVIP Guest: जब सिंधिया जी ने मेरे निर्णय से जताई सहमति

 

बात तब की है जब केंद्र में राजीव गांधी की सरकार थी और माधव राव सिंधिया रेल राज्य मंत्री। मेरी पोस्टिंग माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी में थी। चूंकि एक समय माधव राष्ट्रीय उद्यान सिंधिया राज्य की शिकारगाह हुआ करती थी तो स्वभाविक रूप से माधव राव सिंधिया का राष्ट्रीय उद्यान से आत्मीय जुड़ाव था।

तब डीएफओ के छुट्टी पर रहने की स्थिति में एसीएफ को वन मंडल का प्रभार मिल जाया करता था।

घटना तब की है जब मैं डायरेक्टर के प्रभार में था। एक बार सिंधिया जी अपने साथ तीन लोगों को लेकर आए। 2 पुरुष 1 महिला। मुझसे कहा कि ये तीनों प्रधानमंत्री के मित्र हैं। इन्हें राष्ट्रीय उद्यान अच्छे से घुमा दें, कोई तकलीफ न होने पाए। ऐसा कहकर सिंधिया जी तीनों को मेरे भरोसे छोड़कर छत्री चले गए।

हमने अतिथियों को पार्क का टूरिस्ट जोन घुमाया। घूमने के बाद हम सेलिंग क्लब आ गए।

सेलिंग क्लब पर अतिथियों ने बोटिंग करने की इच्छा जताई। मैंने अनुमति के साथ यह भी कहा कि आप लोगों को लाइफ जैकेट पहननी होंगी। साथ ही चूंकि पैडल बोट 4 सीटर हैं, इसलिए साथ में एक गार्ड अनिवार्यतः जाएगा। मेरी दोनों ही शर्तों को अतिथियों ने मानने से मना कर दिया। उनकी नाराजगी देखकर कलेक्टर जो मेरे साथ थे, मुझे मनाने का प्रयास किया कि अनुमति दे दो वर्ना आपकी नौकरी खतरे में पड़ जाएगी। मैंने कहा “कोई बात नहीं लेकिन अनुमति तो अपने शर्तों पर ही दूंगा।” मैंने आगे कहा “आप जिले के मुखिया हैं, आप अनुमति दे दीजिए मैं यहाँ से हट जाता हूँ।”

यह कहकर मैं सेलिंग क्लब से आफिस की ओर चल दिया।
रास्ते में छत्री पड़ती है जहां सिंधिया जी रुके हुए थे।
मैं सीधे छत्री गया। पता चला सिंधिया जी डायनिंग टेबल पर लंच ले रहे हैं। मै सीधा डायनिंग हाल में चला गया। यहां यह उल्लेखनीय है कि पार्क अधिकारी बिना रोकटोक किसी भी समय शिवपुरी /ग्वालियर या दिल्ली में माधव राव सिंधिया जी से मिल सकते थे। यह विशेष अधिकार हमें प्राप्त था।

मैं सीधे डायनिंग हाल में पहुंचा तो महाराज ने चिंतित मुद्रा में मेरे इस तरह एकाएक आने का कारण पूछा। मैंने कहा “सर आपके अतिथि नौका विहार करना चाहते थे। मैंने अनुमति दी लेकिन 4 सीटर बोट पर एक गार्ड को साथ ले जाने को कहा साथ ही लाइफ बेल्ट पहनने को कहा। वे इसपर नाराज हो गए हैं। सर कुछ समय पहले नौका पलटने से एक वन रक्षक डूब चुका है। ऐसी स्थिति में मैं माननीय प्रधानमंत्री के मित्रों के साथ कोई रिस्क नहीं ले सकता था।”

मेरी बात सुनकर महाराज ने मेरे लिए गए निर्णय से सहमति दर्शाई और इसतरह विकट स्थिति से मैं निकला। अगर राजीव गांधी के मित्रों ने अपनी बात पहले सिंधिया जी के सामने रख दी होती तो निश्चित रूप से मैं मुश्किल में पड़ता तब मेरी बात नहीं सुनी जाती।