पटरी की पाठशाला: यात्रियों की सुरक्षा के लिए रेलवे पुलिस इंदौर की अभिनव पहल ‘मेरी सवारी-भरोसे वाली’

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पटरी की पाठशाला: यात्रियों की सुरक्षा के लिए रेलवे पुलिस इंदौर की अभिनव पहल ‘मेरी सवारी-भरोसे वाली’

इन्दौर: इंदौर में 14 नवंबर से जीआरपी इंदौर द्वारा रेलवे स्टेशन परिसर से “पटरी की पाठशाला “एवं “हमारी सवारी भरोसे वाली “नामक अभियान संचालित किया जाएगा।

पुलिस अधीक्षक रेल, पद्म विलोचन शुक्ल, जो कि पूर्व में आदिवासी क्षेत्र झाबुआ में एक अप्रत्याशित सफल कार्यक्रम 3 D चला चुके हैं, जो कि आदिवासी समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों दहेज, दारू और डी जे को लेकर चलाया गया था, ने बताया कि 14 नवंबर से जीआरपी इंदौर द्वारा रेलवे स्टेशन परिसर से “पटरी की पाठशाला “एवं “हमारी सवारी भरोसे वाली “नामक अभियान संचालित किया जाएगा।

रेलवे स्टेशन एवं पटरियों के आसपास की बस्तियों, कालोनियों एवं रेलवे स्टेशनों के आसपास कार्यरत असंगठित श्रमिक वर्ग में सुरक्षा व जागरूकता की भावना जगाने हेतु जीआरपी इंदौर द्वारा “पटरी की पाठशाला” अभियान भी प्रारंभ किया जा रहा है।

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पद्म विलोचन शुक्ल ने बताया ‘पटरी की पाठशाला’ अभियान का उद्देश्य रेल सुरक्षा, महिला सुरक्षा, साइबर जागरूकता, नैतिक शिक्षा, स्वच्छता को आदत में लाना एवं नशामुक्त जीवन के संदेश को आमजन तक पहुंचाना है। इससे स्थानीय बच्चों में नैतिक शिक्षा, अनुशासन और समाज एवं राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी का भाव विकसित होगा। इससे लावारिस घूमने वाले बच्चों का संरक्षण किया जा सकेगा।

‘पटरी की पाठशाला’ अभियान में बच्चों के लिए रेल सुरक्षा कक्षाएं, कहानी, पोस्टर व खेल के माध्यम से शिक्षा देना, गुड टच-बैड टच की जानकारी देना आदि शामिल है। रेलवे स्टेशन और उसके आसपास भिक्षावृत्ति, व्यावसायिक गतिविधियों में लगे व लावारिस घूमने वाले बच्चों की पहचान कर उन्हें संरक्षण, शिक्षा और पुनर्वास की दिशा में आगे बढ़ाया जाएगाताकि वे देश के भविष्य निर्माण में सहभागी बन सकें।

साथ ही रेल यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए शासकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) इंदौर ‘हमारी सवारी, भरोसे वाली’ अभियान शुरू करने जा रही है। इसके तहत रेलवे स्टेशन परिसर से चलने वाले सभी आटो पर क्यूआर कोड होंगे। इसे स्कैन कर यात्री ड्राइवर की पूरी जानकारी अपने पास रख सकेंगे। यही नहीं, ड्राइवर की पहचान और विश्वसनीयता को लेकर आश्वस्त हो सकेंगे।

यह पहल विशेषकर महिला एवं लड़कियों को सुरक्षा प्रदान करेगी। इसमें रेलवे स्टेशन से चलने वाले सभी आटो चालक की पहचान के लिए क्यू आर कोड बनवाए जा रहे हैं। इसमें परिसर सहित आसपास संचालित आटो चालकों का सत्यापन एवं पंजीकरण कर उनके विवरण (नाम, मोबाइल नंबर, वाहन संख्या, फोटो, पुलिस सत्यापन स्थिति आदि) को ऑनलाइन डेटाबेस से जोड़ा जा रहा है। प्रत्येक सत्यापित आटो पर विशेष क्यूआर कोड स्टिकर व नंबर लगाया जाएगा।

इसे स्कैन कर यात्री यह जान सकेंगे कि जिस आटो से वह सफर कर रहे हैं, उसका ड्राइवर कौन है। यही नहीं, संदिग्ध गतिविधि या शिकायत या सामान छूट जाने की स्थिति में इसी क्यूआर कोड से आटो चालक की तत्काल पहचान संभव होगी। यह कदम स्मार्ट पुलिसिंग और डिजिटल सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा परिवर्तनकारी प्रयास होगा।

महिला एवं साइबर सुरक्षा सत्र में हेल्पलाइन नंबरों (139,112, 1930) की जानकारी के साथ आत्मरक्षा एवं आत्मविश्वास पर भी चर्चा होगी।

पद्म विलोचन शुक्ल के अनुसार जीआरपी इंदौर का उद्देश्य केवल कानून-व्यवस्था बनाए रखना नहीं, बल्कि जनसहभागिता और तकनीक के माध्यम से सुरक्षित व जागरूक समाज निर्माण करना है। ‘हमारी सवारी भरोसे वाली’ और ‘पटरी की पाठशाला’ इसी दिशा में ठोस कदम हैं।