Travel Memoir: खंडाला की सुरम्य गुफाओं को पार कर,बादलों के तले छोटे-मोटे पहाड़ का मनोहारी दृश्य

1088
Travel Memoir

एक यात्रा ट्रेन से.. (संस्मरण)

Travel Memoir: खंडाला की सुरम्य गुफाओं को पार कर,बादलों के तले छोटे-मोटे पहाड़ का मनोहारी दृश्य

डॉ. प्रणव देवेन्द्र श्रोत्रिय

भीषण गर्मी के अलसाये पल(शाम4.30.बजे)में प्रारम्भ हुई ट्रेन यात्रा में मेरा सर्वप्रथम इंदौर प्लेटफॉर्म क्रमांक 02 पर सपत्नीक मंगल प्रवेश हुआ। वहाँ कुछ लोग पसीने से लथपथ अपनी विभिन्न मुद्रा में इच्छानुसार पेपर,चादर या पटिये पर विश्राम कर रहे थें। कुछ रेल अपने पथ पर आ जा रही थी। हम भी अपनी पूना की ओर जाने वाली ट्रेन में विराजित हुए। कुछ अनजाने चेहरों के साथ यात्रा आरम्भ हुई।

प्रारम्भिक चर्चा के उपरांत मातृशक्ति लेटने की मुद्रा में आ गई और पितृ शक्ति (मुझे छोड़कर) अपनी मोबाइल की दुनिया में व्यस्त हो गई। बचा मैं निहारता चला देश के पवित्र खेतों को,काली,पीली,भूरी मिट्टी से ओत-प्रोत दर्शयातित छोटे,बड़े खेतों को,हरे भरे पेड़ो की शाखों को,अब तो अनेक गाँवों में भी कही-कही कॉलोनी के निशान दिखने लगें है,हरे पीले,नील रंग के झंडों ने पूरी चार दीवारी घेर रखी है। कच्चे घरों की जगह पक्के मकान बनने लगे गए है। अब लंबे रास्ते पर अनेक जगह पर ब्रिज बन गए है। यात्रा में बचपन के खेत-,खलिहान सहसा ही याद आ गए।

a45c7fce 31e1 433a 8325 5ec5de45d946

मई-जून की गर्मी का समय या तो नानी के गाँव खारवा कला(सुवासरा के पास)या अपने गाँव ग्राम -खेजड़िया(सीतामऊ)मंदसौर बड़े शाही स्वरूप में मनता था। चारों ओर पीपल,नीम,आम,जामुन,इमली के पेड़ उसकी छाह में कभी गर्मी का भान नहीं हुआ। भोजन में आम की साग(अध पका आम), प्याज,लाल चटनी,मट्ठा और रोटी,खाखरे के पत्ते, छागल का पानी सदा मन को आनन्दित कर देता है।

अस्तु हमारी यात्रा मध्यम गति से आगे बढे रही है। उज्जैन आते -आते सूर्यदेव अस्ताचल की और मूड चले , जिस प्रज्जवलता से दिन भर लोगों को व भूमि को तपाते रहे ,उसी तरह लौटते समय शीतलता के हिलोरें के साथ धीरे-धीरे बादलों की ओट में लुप्त हो गये। नागदा,रतलाम ,मेघनगर आदि स्टेशनों पर गर्मी का कोई प्रभाव नहीं दिखा। हर ओर जन समूहों का मेला था। अनेकों की आँखों में अपनी ट्रेन आने की आस व सीट पाने की ललक स्पष्ट दिखाई दे रही थी। कोई भी ट्रेन आने पर इधर – उधर दौड़ा भागी शुरू हो जाती है।

optimized zub8 1200x900 1
रात्रि में चाँदनी के प्रकाश से आच्छादित टीम-टीम तारे-चन्दा शीतलता की गगरी लेकर ठहर-ठहर कर ठंडी हवा के झोखे पृथ्वी पर उलट रहे हैं। स्टेशन कम होने से ट्रेन अब गतिमान हो गई है।रात्रि अब मध्यरात्रि की और चल पड़ी है ,ऐसे में आकाश पर बिखरे तारे एक दूसरे से अटखेलियां करते दिख रहे हैं।
झिलमिल सितारों की रोशनी में दाहोद-गोधरा-वड़ोदरा की रात्रिकालीन नवनिर्माण नीति देखी। अनवरत कई मजदूर राष्ट्र को ब्रिज, सड़क,पूल आदि नई सौगात देने में जुटे हैं। इसके आगे निद्रा रानी स्वतः ही चली आई।फिर अरुणोदय की शुभ बेला में रेल की खिड़की से सूर्यदेव के दर्शन करने का अवसर मिला। जिस सिंदूरी स्वरूप में सूर्यदेव अस्ताचल की ओर गए थे ,वैसे ही पंछियों के कलरव, प्रकृति की एकांत बेला में शीतल वायु के प्रवाह पर विराजित सूर्यदेव अपनी लालिमा लिए धरा पर बाल रूप में प्रगट हो रहे थें।

2.2 किमी खंडाला सुरंग में ट्रेन चालक दल को बात करने में मदद करने के लिए लीक हुई केबल | मुंबई समाचार - टाइम्स ऑफ इंडिया

अब कल्याण (मुंबई)आने को हैं।कुछ यात्री उठ कर अपने गन्तव्य की और जा रहे हैं,कुछ ऊंघते -अनमने से करवटे बदल रहे हैं। मैं भोर के सुंदर दृश्य को अपनी स्मृति में संजोना चाहता था। इसलिए खिड़की से एकटक प्रकृति वंदन में जुड़ गया।
खंडाला की सुरम्य गुफाओं को पार कर,बादलों के तले छोटे-मोटे पहाड़ का मनोहारी दृश्य देखकर प्रसन्नता हुई। ईश्वर को हार्दिक धन्यवाद कि उन्होंने- चारों और महानगरों से घिरा होने पर भी बड़ी-बड़ी अट्टालिकाओं के बीच कुछ भाग हरियाली के लिए छोड़ दिया है।अंतत्वोगत्वा हौले-हौले हम पूना पहुँच गए।

Indian Railways Vande Bharat Metro Service: यात्रियों के लिए खुश खबर , भोपाल से इन तीन मार्गों पर चलेगी वंदे भारत