अविश्वास के बहाने ही सही विश्वास दिख रहा है…
अविश्वास प्रस्ताव पर सदन में चर्चा हो रही है। विपक्ष आरोप लगा रहा है और सरकार के प्रति अविश्वास जता रहा है। वहीं सरकार विपक्ष को ही अविश्वास का पर्याय सिद्ध करने में जुटी है। संतुष्टि दोनों पक्षों को मिलने वाली है। और संतुष्ट होने वाला है पंचदश विधानसभा का त्रयोदश सत्र, जिसे विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने और सदन में ग्राह्य होकर इस पर चर्चा होने के लिए जाना जाएगा। मंत्री भूपेंद्र सिंह ने आरोप लगाया है कि विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव में न तथ्य हैं और न तर्क हैं। तो यह बात विपक्ष के अविश्वास में सरकार के प्रति विश्वास की कहानी ही सामने रखने की एक प्रक्रिया है। इसके साथ ही विधानसभा का यह शीतकालीन सत्र सदन में गर्माहट के बीच अपनी उम्र पूरी कर खुशियां जरूर मनाएगा।
मंत्री भूपेंद्र सिंह ने आरोप लगाया है कि हमारे पास कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार के ढेरों सबूत हैं। वहीं कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव को कुंठा का दस्तावेज बताया है। कहा कि विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव में न तथ्य हैं न तर्क हैं। यह पहली बार देखने को मिला कि विपक्ष ने सदन के पटल पर एक भी तथ्य या तर्क नहीं रखा जिसका जवाब दिया जा सके। कांग्रेस की सवा साल की सरकार के भ्रष्टाचार के ढेरों मामले हमारे पास हैं, जिन्हें सार्वजनिक करने में प्रदेश की बदनामी होगी। कांग्रेस के सवा साल के कार्यकाल ने मध्यप्रदेश में लुटेरों की मानसिकता से काम करते हुए पूरे प्रदेश को आर्थिक रूप से तबाह कर दिया था। कांग्रेस की सरकार यदि नहीं गिरती तो यह संभावना बन रही थी कि मध्यप्रदेश की हालत 2003 के पहले वाले मध्यप्रदेश जैसी हो जाती।
तो एक्सल सीट का हवाला दिया कि मेरे पास वह एक्सेल शीट है जिसमें इन्कमटैक्स के छापे में नामों की सूची है जिनके आगे राशि लिखी हुई है। मैं इस एक्सेल शीट को सदन में पढ़ना नहीं चाहता,इससे राज्य की बदनामी होगी। कहा और भी बहुत कुछ और यह भी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में डबल एंजिन की सरकार तेजी से मध्यप्रदेश को विकास के रास्ते पर ले जा रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार के विषय में अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा था कि जब केंद्र सरकार की विकास और जनकल्याण की योजनाओं की बात करते हैं तो मध्यप्रदेश पहला राज्य होता है जो केंद्र की योजनाओं को लागू करने के लिए तत्परता से सामने आता है।
कसरावद विधायक सचिन यादव ने अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सदन की अवमानना का मामला उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि जब विधानसभा में कृषि मंत्री ने कर्जमाफी को स्वीकार किया था, तब बाहर और सदन में झूठ क्यों बोलते हैं कि कर्ज़ माफी नहीं हुई। सचिन यादव ने अपने भाषण में कहा कृषि मंत्री कमल पटेल की पत्नी रेखा बाई का 45428 ऋण माफ किया है। शिवराज सिंह के परिजनों रोहित सिंह, निरंजन सिंह, कावेरी बाई, ताहर सिंह अन्य लोगों के कर्ज माफ किए गए। सचिन यादव ने सदन में बड़ा आरोप लगाया कि खाद की कालाबाजारी को सरकार का संरक्षण प्राप्त है।
तो अच्छा है कि अविश्वास प्रस्ताव आता रहे ताकि विश्वास की बात भी विस्तार से होती रहे और आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी खुशनुमा माहौल में सत्र की उम्र पूरी होने में मददगार बन सके। वैसे इस अविश्वास प्रस्ताव के पेश होने और चर्चा होने को नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह के नेतृत्व की उपलब्धि ही माना जाए। वरना अविश्वास प्रस्ताव न होने देने का वह दौर भी सदन ने देखा है, जब चंबल के ही दिग्गज नेता चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी ने नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के खिलाफ ही अविश्वास जता दिया था। और विधानसभा से निकलकर सीधे भाजपा कार्यालय पहुंचकर पार्टी की सदस्यता ले ली थी। तो अच्छा है कि अविश्वास प्रस्ताव पेश भी हों, ग्राह्य हों और खुलकर चर्चा भी होती रहे। इससे लोकतंत्र मजबूत होगा और पक्ष-विपक्ष एक धुरी के दो पहिए नजर आते रहेंगे। अविश्वास के बहाने ही सही पक्ष-विपक्ष के बीच विश्वास तो दिख रहा है…।