सच या इमेज बिल्डिंग: स्मृति ईरानी के ‘6 छक्के’ वाले बयान पर सोशल मीडिया में बवाल, आखिर झूठ क्यों?

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सच या इमेज बिल्डिंग: स्मृति ईरानी के ‘6 छक्के’ वाले बयान पर सोशल मीडिया में बवाल, आखिर झूठ क्यों?

 

राजेश जयंत

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी हाल ही में आज तक के लाइव शो में अंजना ओम कश्यप से बातचीत कर रही थीं, तभी उन्होंने अपने बचपन की क्रिकेट दीवानगी का एक किस्सा साझा किया। रवि शास्त्री के 1985 के ‘6 छक्कों’ को लेकर दिया गया ये बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, लेकिन कुछ ही देर में इसकी सच्चाई सवालों के घेरे में आ गई और स्मृति ईरानी चौतरफा ट्रोल होने लगीं। अब बहस है कि आखिर ऐसी ‘इमेज बिल्डिंग’ झूठ की जरूरत क्यों पड़ी?

आज तक चैनल पर स्मृति ईरानी ने उत्साहित होकर कहा, “जब मैं छोटी थी, तो क्रिकेट की बहुत शौकीन थी। रवि शास्त्री ने रणजी ट्रॉफी के मैच में एक ओवर में 6 छक्के मारे, मैंने TV पर देखा और इतनी खुशी हुई कि पूरे मोहल्ले में झूमकर नाचने लगी थी।” अंजना ओम कश्यप के साथ उनका हंसी-मजाक भी सोशल मीडिया पर छाया रहा, लेकिन इसी क्लिप को लेकर विवाद खड़ा हो गया।

क्रिकेट एक्सपर्ट्स और कई दर्शकों ने तुरंत सवाल उठाया कि 1985 के उस रणजी ट्रॉफी मैच (बॉम्बे vs बड़ौदा) का कभी लाइव टीवी टेलीकास्ट हुआ ही नहीं था। खुद रवि शास्त्री भी कई इंटरव्यू में यह स्वीकार चुके हैं कि तब न केवल लाइव प्रसारण बल्कि वीडियो रिकॉर्डिंग भी दुर्लभ थी, और आज तक उस इनिंग की कोई फुटेज मौजूद नहीं है।


आज तक पर इंटरव्यू का वह अंश जिसमें टेलीविजन पर रवि शास्त्री के छक्के देखने वाली बात..


सोशल मीडिया पर वायरल क्लिप्स, मीम्स और फैक्ट चेक पोस्ट्स आने लगे। फैक्ट चेकरों, क्रिकेट वेबसाइट्स और यूजर्स ने स्क्रीनशॉट्स, पुराने क्रिकेट जानकारों के बयान और अखबारों की कटिंग शेयर कर साफ किया कि स्मृति ईरानी का TV पर लाइव देखना संभव ही नहीं था।

ट्विटर और इंस्टाग्राम पर हैशटैग्स (#SmritiIrani, #FakeStory, #RaviShastriSixes) ट्रेंड करने लगे। लोगों ने मजेदार कमेंट किए:

– “तब तो टीवी खुद ईरानी जी के घर गेस्ट बनकर आया होगा…”

– “मैच का फुटेज नहीं, लेकिन बचपन की यादें क्या गजब हैं!”

– “पॉलिटिशियन बनने के बाद याददाश्त भी बदल जाती है…”

 

क्रिकेट कमेंटेटर हर्षा भोगले जैसे हलकों में भी चर्चा थी कि निजी किस्सों में सच्चाई से ‘इमेज बिल्डिंग’ आगे निकली। कई एक्सपर्ट्स और सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे “आम लोगों से जुड़ाव” की ओवरएक्टिंग बताया, लेकिन सच पकड़ में आने के कारण भरोसे और छवि दोनों को नुकसान बताया।

यह कोई पहला मौका नहीं है- स्मृति ईरानी इससे पहले डिग्री विवाद में भी ट्रोल हो चुकी हैं। राजनीति में भावनात्मक किस्से नेताओं को relatable बनाते हैं, मगर जब सार्वजनिक मंच पर गलत तथ्य बोले जाते हैं, तो लोगों का विश्वास डगमगाने लगता है।

*’आंखों देखी’:*

1. स्मृति ईरानी ने कैमरे पर कहा कि वह बचपन में रवि शास्त्री के 6 छक्के TV पर देख रही थी, लेकिन उस मैच का कोई लाइव टेलीकास्ट नहीं था।

2. वायरल क्लिप्स, मीम्स और फैक्ट चेक्स के चलते सोशल मीडिया पर चर्चा और ट्रोलिंग जबरदस्त है।

3. आलोचक इसे ‘इमेज बिल्डिंग के लिए झूठ बोलना’ मान रहे हैं- भावनात्मक जुड़ाव की कोशिश में सच्चाई की बलि।

4. क्रिकेट एक्सपर्ट्स और फैंस भी मानते हैं कि उस मैच की फुटेज आज तक उपलब्ध नहीं है।

5. आम आदमी वाली नजदीकी दिखाने की कोशिश का उल्टा असर, विश्वास को चोट।

*अंत में अपनी बात:*  

राजनीति में कहानियां और भावनात्मक जुड़ाव अहम होते हैं, लेकिन डिजिटल युग में हर बात की तुरंत जांच हो जाती है। छोटे झूठ बड़ी बहस बन सकते हैं- जनता आंख मूंदकर हर किस्सा नहीं मानती। सच्चाई और पारदर्शिता अब सबसे जरूरी है।

क्या अब राजनीति में ईमानदारी नया ट्रेंड बनेगी या किस्सागोई की परंपरा यूं ही जारी रहेगी…?