Tulip Garden Kashmir: जिन्हें सब चीज़ों को एक रंग में रंगने की धुन सवार है, उन्हें क्या इस गार्डन के संदेश को समझने की ताब है!

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Tulip Garden Kashmir: जिन्हें सब चीज़ों को एक रंग में रंगने की धुन सवार है, उन्हें क्या इस गार्डन के संदेश को समझने की ताब है!

-मनोज श्रीवास्तव
ट्यूलिप गार्डन जाते समय मैं अपनी पत्नी से कह रहा था कि किसे याद आती है ट्यूलिप के साथ जुड़ी शीरीं फरहाद की कहानी। कहते हैं कि जब शीरीं को पाने के लिए फरहाद को पहाड़ खोदने की चुनौती दी गई थी और उसने उस चुनौती को जब लगभग पूरा भी कर लिया था तो उसे उसके रक़ीब खुसरो ने झूठी खबर भिजवा दी कि शीरीं तो मर गई, तब फरहाद ने उसी पहाड़ से कूदकर जान दे दी। कहते हैं कि उसी के खून में रंगी चट्टानों के बीच से ट्यूलिप उगे। ट्यूलिप को फरहाद के पुनर्जन्म के रूप में देखिये।
हाफ़िज़ की एक कविता में वह याद सुरक्षित है। उसका अंग्रेज़ी अनुवाद यों है:
And where the tulip following close behind
The feet of spring, the scarlet charlice rears
There Farhad for the love of Shirin pined
Dyeing the desert red with his heart’s tears
उसी प्यार की ज़रूरत है कश्मीर की आहत आत्मा को।
मुझे जो बात कश्मीर की अच्छी लगी वह वहाँ के फ्लोरिकल्चर विभाग की सक्रियता थी। कुछ तो इतिहास ने ही उन्हें अच्छे गार्डन दिये, पर उसके अलावा भी फ्लोरिकल्चर विभाग ने बहुत-से नये प्रयासों को आकार दिया है। मुझे यह देखकर अच्छा लगा कि वहाँ फ्लोरिकल्चर एक स्वतंत्र विभाग है। हमारे यहाँ तो वह हार्टिकल्चर विभाग के भीतर एक छोटे से sub-set की तरह दिन गुज़ारता है।
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ट्यूलिप गार्डन देखने के लिए जा रहे हैं हजारों लोग, आख़िर क्या है ख़ास
इस सीज़न में हमारे जाने का आधार ही यह था कि मेरी पत्नी को ट्यूलिप गार्डन देखना था। सिलसिला फ़िल्म का गीत ‘ देखा एक ख़्वाब तो ये सिलसिले हुए/ दूर तक निगाहों में हैं गुल खिले हुए’ उसके विचार से यहाँ का था। वो तो वहाँ जाकर ही पता लगना था कि वह गीत यहाँ शूट नहीं हुआ।
1 व्यक्ति और फूल की फ़ोटो हो सकती है
पर हम लोग सही समय पहुँचे थे। अलग अलग रंग के ट्यूलिप खिले हुए थे। नीदरलैंड्स में हम लोग मौसम का ध्यान नहीं रख पाए थे तो वहाँ के Keukenhof Gardens का आनंद नहीं ले पाये थे। उसकी तुलना में श्रीनगर का यह ट्यूलिप गार्डन किंचित् छोटा है। वह नीदरलैंड्स वाला तो गार्डन ऑफ यूरोप कहलाता है जिसमें सत्तर लाख ट्यूलिप के फूल हैं- फिर भी श्रीनगर का ट्यूलिप गार्डन एक अच्छा उदाहरण है। हमारी क्षतिपूर्ति यों हो गई कि इस गार्डन के ट्यूलिप वैरायटी नीदरलैंड्स के उसी गार्डन से लाई गयी हैं। वहाँ की तरह यहाँ भी ट्यूलिप उत्सव मनाया जाता है।
दिल्ली के शांतिपथ के ट्यूलिप एक लंबाई में चले गये हैं लेकिन यहाँ श्रीनगर में वे अलग-अलग वर्ग में मिलते हैं। यह तो पार्वत्य पुष्प है। उज़बेकिस्तान, किर्गिज़स्तान और ताजिकिस्तान जैसे मध्य एशियाई देशों में सैकड़ों किलोमीटर तक फैले हुए ट्यूलिप के निर्द्वंद्व और सहज साम्राज्य होते थे। इसलिए श्रीनगर में यह ज़्यादा नैसर्गिक लगता है। प्रयत्न से तो बाद में यह शिमला में भी आया पर वह अपेक्षया विनम्र है।
हम यहाँ यही सोचकर खुश हुए कि ये सभी उपवनीकृत ट्यूलिप अपने वन्य पूर्वजों की सुयोग्य स्मृति हैं।
श्रीनगर में यह पहले मॉडल फ्लोरिकल्चर गार्डन और उसके भी पहले सिराज बाग हुआ करता था, जिसे अब यानी 2008 से एशिया के सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन के रूप में प्रोन्नत कर दिया गया है।
हमारे नगरनिगम अपने अपने शहर की पहचान और परिभाषा बन जाने वाला पुष्प चुनकर कुछ वैसा ही नहीं कर सकते जैसा श्रीनगर ने कर दिखाया है।
इतने रंग के ट्यूलिप के। उनकी ख़ूबसूरती उसी विविधता में है। पर जिन्हें सब चीज़ों को एक रंग में रंगने की धुन सवार है, उन्हें क्या इस गार्डन के संदेश को समझने की ताब है। मारिआन विलियम्स के शब्द याद आते हैं:
A tulip doesn’t strive to impress anyone. It doesn’t struggle to be different than a rose. It doesn’t have to. It is different. And there’s room in the garden for every flower. You didn’t have to struggle to make your face different than anyone else’s on earth. It just is. You are unique because you were created that way. Look at little children in kindergarten. They’re all different without trying to be. As long as they’re unselfconsciously being themselves, they can’t help but shine. It’s only later, when children are taught to compete, to strive to be better than others, that their natural light becomes distorted.
-मनोज श्रीवास्तव सेवा निवृत IAS
फेसबुक वाल से साभार