राजस्थान की दो बेटियों ने किया कमाल, पेरिस पैरालंपिक में जीते गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल,भारत ने शुक्रवार को जीते 4 पदक
गोपेन्द्र नाथ भट्ट की रिपोर्ट
पेरिस ओलम्पिक खेलों में गोल्ड मेडल हासिल नहीं कर पाने की कसक को पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारतीय शूटर राजस्थान की बेटी अवनी लखेरा ने पूरा कर दिखाया है तथा भारत के लिए एक और गौरवपूर्ण उपलब्धि हासिल की हैं । पेरिस पैरालंपिक 2024 में शुक्रवार का दिन भारत के लिए शुक्रवार भाग्यशाली रहा और पदकों का स्वर्णिम खाता खुलने के साथ ही स्टेडियम में चार बार भारत के राष्ट्र गान जन गण मन … की धुन भी गूंजी। पेरिस पैरालंपिक में 10 मीटर एयर रायफल शूटिंग में भारत की ओर से राजस्थान की दो बेटियों ने कमाल कर दिखाया और इस स्पर्धा में जयपुर की अवनी लखेरा ने गोल्ड मेडल और राजस्थान की दूसरी बेटी जयपुर की ही मोना अग्रवाल ने ब्रॉन्ज मेडल जीत भारत के लिए खुशियां बटौरी। अवनी लखेरा ने पैरालिंपिक का नया विश्व रिकॉर्ड भी बनाया और 249.7 के स्कोर के साथ गोल्ड जीत लिया। पिछला पैरालिंपिक रिकॉर्ड 249.6 भी अवनी के ही नाम था, जो उन्होंने टोक्यो पैरालिंपिक में बनाया था।
इस प्रकार अवनि लेखरा पैरालंपिक खेलों में लगातार दो स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी है। उन्होंने इस बार महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच1 शूटिंग स्पर्धा में विश्व रिकॉर्ड स्कोर के साथ अपने खिताब का बचाव किया। इसी स्पर्धा में जयपुर की ही मोना अग्रवाल के कांस्य पदक जीता। पैरालंपिक खेलों के इतिहास में यह पहली बार था जब भारत ने किसी एक स्पर्धा में दो बार पोडियम फिनिश किया। राजस्थान की राजधानी जयपुर की इन दोनों बेटियों के जबर्दस्त कमाल से खेल प्रेमियों का मन अथाह खुशियों से भर गया।
भारत को तीसरा पदक महिलाओं की 100 मीटर टी-35 कैटेगरी रेस में मेरठ (उत्तर प्रदेश) की प्रीति पाल ने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीत कर दिलाया। इसी प्रकार चौथा पदक पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग में फरीदाबाद (हरियाणा) के मनीष नरवाल ने सिल्वर मेडल जीत के साथ भारत की झोली में एक और पदक डाला। इस प्रकार भारत ने पेरिस 2024 पैरालंपिक में अब तक एक स्वर्ण,एक रजत और दो कांस्य पदक सहित कुल चार पदक जीत लिए हैं। वैसे शुक्रवार का दिन भारत की तीन महिला खिलाड़ियों के नाम रहा जिन्होंने भारत के नाम को विश्व मंच पर रोशन किया। वैसे भी भारत में शुक्रवार देवी मां का दिन माना जाता है और इन दिव्यांग खिलाड़ियों ने भी महिला शक्तिकरण की मिसाल कायम की।
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू,उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़,प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी , केंद्रीय मंत्री परिषद के सदस्यों राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्रियों , खेल और युवा मंत्रियों सहित कई विशिष्ठ लोगों ने पेरिस पैरालंपिक में पदक जीतने पर भारतीय खिलाड़ियों को बधाई दी हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पेरिस पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के लिए राजस्थान की अवनी लखेरा स्वर्ण पदक जीतने के साथ एक नया इतिहास तीन पैरालंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनने की ऐतिहासिक उपलब्धि पर देशवासियों को ओर से बधाई दी हैं। राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे और मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने भी राजस्थान की इन दोनों प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को भारत का गौरव बढ़ाने पर हार्दिक बधाई प्रेषित की है।
फ़्रांस की राजधानी पेरिस में 28 अगस्त से 8 सितंबर के मध्य आयोजित किए जा रहें पेरिस पैरालंपिक खेल 2024 में दुनिया भर के 4,000 से अधिक एथलीट 549 पदक स्पर्धाओं को जीतने के लिए भाग लें रहें हैं। पेरिस पैरालंपिक में कुल 84 भारतीय एथलीट्स हिस्सा ले रहे हैं, जो पैरालंपिक के इतिहास में भारत का सबसे बड़ा दल है। यह एथलीट्स 12 खेलों में भाग लेंगे।
उल्लेखनीय है कि टोक्यो में हुए पैरालंपिक में भारत ने कुल 19 मेडल जीते थे, जिसमें 5 गोल्ड, 8 सिल्वर और 6 ब्रॉन्ज मेडल शामिल थे। टोक्यो में भारत मेडल जीतने के मामले में 24वें स्थान पर रहा था। इस बार भारतीय पैरा एथलीट्स की कोशिश अपने प्रदर्शन को और बेहतर करने की होगी।
पेरिस पैरालंपिक से पहले पेरिस में ही हुए ओलंपिक खेलों में भारत का प्रदर्शन आशानुरूप नहीं रहा और हमारा अभियान मात्र छह पदकों के साथ समाप्त हो गया था जो कि टोक्यो 2020 के रिकॉर्ड से भी एक पदक कम रहा । हालांकि, यह टोक्यो 2020 और लंदन 2012 के बाद ग्रीष्मकालीन खेलों में भारत का तीसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था।
इस बार पेरिस ओलंपिक में भारत के नीरज चोपड़ा टोक्यो 2020 के अपने स्वर्ण पदक जीतने के प्रदर्शन को नही दोहरा पाए और उन्हे रजत पदक पर ही सन्तोष करना पड़ा । हालांकि चौपड़ा ने पेरिस 2024 में 89.45 मीटर के साथ अपने करियर का दूसरा सर्वश्रेष्ठ भाला फेंक प्रदर्शन किया, लेकिन पड़ोसी देश पाकिस्तान के अरशद नदीम ने 92.97 मीटर का नया ओलंपिक रिकॉर्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक जीत लिया।ओलंपिक रजत पदक जीतना कोई छोटी उपलब्धि नहीं थी। यह ग्रीष्मकालीन खेलों में एथलेटिक्स में भारत का दूसरा पदक था और दोनों ही पदक नीरज ने जीते । चोपड़ा टोक्यो 2020 में स्वर्ण पदक और पेरिस 2024 में रजत पदक जीतकर भारत के पांचवें दो बार के ओलंपिक पदक विजेता बन गए। नॉर्मन प्रिचर्ड, सुशील कुमार, पीवी सिंधु और मनु भाकर भारत के अन्य दो बार के ओलंपिक पदक विजेता हैं।
भारत की मनु भाकर ने विगत 28 जुलाई को पेरिस 2024 में महिलाओं के 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में कांस्य पदक जीता। इसी के साथ मनु ने ओलंपिक शूटिंग पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनकर इतिहास रच दिया। इसी तरह मनु भाकर और सरबजोत सिंह पेरिस 2024 में शूटिंग में ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय शूटिंग जोड़ी बनीं। कुल मिलाकर, यह शूटिंग में भारत का छठा ओलंपिक पदक था।
भारतीय निशानेबाजी जोड़ी ने कांस्य पदक मैच में रिपब्लिक ऑफ कोरिया की ओह ये जिन और वोन्हो ली को मात दी। ओह ये जिन ने मैच से कुछ दिन पहले महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था। इनके अलावा व्यक्तिगत 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा और 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम में जीते पदक ने मनु भाकर को ओलंपिक के एक संस्करण में दो पदक जीतने वाले आजाद भारत की पहली एथलीट बना दिया।
इससे पहले ओलंपिक के प्रारंभिक काल में शूटिंग में राजस्थान के बीकानेर रियासत के महाराजा करणी सिंह और उनकी बेटी राजश्री की जोड़ी कई वर्षों तक चर्चित रही।
विश्व की सबसे बड़ी 140 करोड़ की आबादी वाले हमारे देश में खेलों का इतिहास बहुत पुराना और समृद्ध रहा है। पहले भारत अपने राष्ट्रीय खेल हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के कारण दुनिया भर में चर्चित रहा। मेजर ध्यानचंद को अगुवाई ने भारत ने शुरुआती ओलंपिक खेलों में भारत को स्वर्ण पदक दिलवाएं। एक समय हाकी में भारत का एकाधिकार था और ओलंपिक में भारत ने आठ बार स्वर्ण पदक,एक बार रजत पदक और तीन बार कांस्य पदक जीते हैं 1980 के बाद भारत एक भी बार स्वर्ण पदक नही जीत पाया है।स्वर्ण पदक का 44 साल का सूखा हर किसी के दिल में कील की तरह चुभता है। हालांकि 2020 के टोक्यो ओलंपिक और 2024 के पेरिस ओलम्पिक में कांस्य पदक जीत कर भारत ने एक बार फिर से आशा की नई किरण जगाई हैं।
भारत में खेलों में राजनीति भी किसी से छुपी हुई नही है। भारतीय कुश्ती संघ के विवाद को और हाल ही पेरिस ओलम्पिक में सौ फ़ीसदी निश्चित माने जाने वाले स्वर्ण पदक को हमने खोया है। क्रिकेट को छोड़ अन्य खेलों के प्रति सरकारों, देश के नागरिकों और खिलाड़ियों का नजरिया भी कुछ खास उत्साहजनक नहीं दिखता। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने युवा और खेल मंत्रासाय को मजबूत बनाने के प्रयास किए है। वे हर खेल के विजेतासों को अपने घर बुला कर सम्मानित भी कर एक नया वातावरण बनाने की कोशिश में है। देश में खेल सुविधाओं, खेल मैदानी आधुनिक साधनों और विश्व स्तरीय प्रशिक्षकों कोच आदि के अभाव को दूर करना बहुत जरूरी है वरना इस विशाल देश में प्रतिभाओं को कोई कमी नहीं है ।
देखना है भारत सरकार और प्रदेश की सरकार अपने वोट उपजाऊ मुफ्त कार्यक्रमों की अंधी दौड़ से बाहर निकल कर आने वाले वर्षों में खेल और खिलाड़ियों पर कितना ध्यान दे पाती है? अन्यथा 140 करोड़ देशवासियों को विश्व के सामने पदक तालिका में इसी तरह हास्यास्पद स्थिति में ही रहना पड़ेगा। ऐसे हालातों में अवनी लखेरा जैसी खिलाड़ी अंधेरे में रोशनी की तरह है जोकि भारतीय खेलों को बुलंदियों पर के जाने की नई आशा का संचार कर रही है।
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