Two Day Bus Strike : प्रदेश में कल और परसों प्राईवेट बसें नहीं चलेंगी, अस्थाई परमिट पर रोक लगाए जाने का विरोध!

प्रदेश भर की 4 हजार बसों की हड़ताल से लोगों को परेशानी होगी!

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Two Day Bus Strike : प्रदेश में कल और परसों प्राईवेट बसें नहीं चलेंगी, अस्थाई परमिट पर रोक लगाए जाने का विरोध!

Bhopal : यात्री बसों के अस्थाई परमिट पर रोक लगाए जाने के खिलाफ बस ऑपरेटर्स ने दो दिन बसों की हड़ताल की घोषणा की। इस कारण 27 और 28 जनवरी को प्रदेश में 4000 यात्री बसें नहीं चलेंगी। इससे बड़े जिलों के अलावा छोटे जिलों में भी बसें नहीं चलेंगी। प्रदेश में यात्री बसों के अस्थायी परमिट जारी करने के नाम पर हो रही गड़बड़ी को देखते हुए हाईकोर्ट ने 1 जनवरी से यात्री बसों के अस्थायी परमिट पर रोक लगा दी।

इसके बाद सिर्फ शादी या भ्रमण के लिए ही अस्थाई परमिट जारी किए जा रहे हैं। इससे पहले परिवहन विभाग के अपर मुख्य सचिव एसएन मिश्रा ने निर्देश दिए थे कि अस्थायी परमिट सिर्फ खास मौकों पर जरूरत वाले मार्गों पर ही जारी किए जाएं। लेकिन, प्रदेश में इसका ठीक से पालन नहीं हुआ। कोर्ट के आदेश के बाद विभाग इसको लेकर कोई समाधान नहीं निकाल सका। बिना परमिट बस चलाने पर चार गुना पेनाल्टी का प्रावधान है। यदि ऐसी स्थिति में बस का एक्सीडेंट होता है तो यात्रियों को भी बीमा का लाभ नहीं मिल पाता।

 

प्रदेश की 4 हजार बसों के पहिए थमेंगे

हाईकोर्ट के आदेश के विरोध में भोपाल से दूसरे शहरों को जाने वाली 250 और प्रदेश भर की करीब 4 हजार बसों के पहिए दो दिन तक थमे रहेंगे। बस ऑपरेटर प्रतिनिधि गोपाल पैगवार के मुताबिक जनवरी के लिए टैक्स जमा कर दिया गया। लेकिन, परमिट जारी नहीं किए गए।।ऑपरेटर्स ने परिवहन विभाग को अपनी समस्याएं बता दी थीं, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला। उधर, परिवहन विभाग का कहना है कि कोर्ट के आदेश के तहत ही अस्थाई परमिट पर रोक लगाई गई है। अस्थाई परमिट सिर्फ विशेष परिस्थितियों में दिए जाएंगे।

 

अस्थाई परमिट पर सख्ती इसलिए की गई

पिछले 7 सालों से अस्थाई परमिट के नाम पर जमकर धांधली चल रही थी। अस्थाई परमिट जारी कराकर बस ऑपरेटर्स बसों से यात्रियों को ढो रहे थे। राज्य शासन द्वारा जारी किए गए निर्देश में लिखा था कि मोटर यान अधिनियम की धारा 87 (1) सी के प्रावधानों के तहत सिर्फ विशेष परिस्थितयों के लिए ही अस्थायी परमिट जारी किए जा सकेंगे। लेकिन, विभाग द्वारा बिना परीक्षण किए ही अस्थायी परमिट जारी किए जा रहे थे।

इसे लेकर हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा था कि अस्थायी परमिट देना नियम बन गया है। इससे पूरे सिस्टम में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद की बू आ रही है। यह परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव की जिम्मेदारी है कि वे सिस्टम में फैली मनमानी और विसंगतियों को देखें और कार्रवाई करें।