उज्जैन से अजेंद्र त्रिवेदी की रिपोर्ट
उज्जैन: मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल गुरूवार को उज्जैन जिले के प्रवास पर थे। राज्यपाल श्री पटेल अवन्तिका विश्वविद्यालय उज्जैन के दीक्षान्त समारोह में शामिल हुए और उन्होंने विभिन्न विषयों के उपाधिधारकों को गोल्ड एवं सिल्वर मेडल प्रदान किये।
राज्यपाल श्री पटेल ने दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय का वातावरण ऐसा हो जो अपने विद्यार्थियों को हमेशा एक स्वस्थ प्रतियोगिता प्रदान करने में सहायक हो और युवाओं को विभिन्न प्रतिभाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने का अवसर भी देता हो।
उन्होंने कहा कि सभी उपाधिधारक विद्यार्थी जीवन की कठिन चुनौतियों को स्वीकार कर उस चुनौती को एक अवसर में बदलें।
राज्यपाल श्री पटेल ने दीक्षान्त समारोह में 35 विद्यार्थियों को मास्टर ऑफ डिजाईन एण्ड टेक्नालॉजी तथा 78 विद्यार्थियों को बैचलर ऑफ डिजाईन के तहत विभिन्न विषयों की उपाधि प्रदान की।
उज्जयिनी प्राचीन समय से ही शिक्षा की स्थली रही है
राज्यपाल श्री पटेल ने दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्राचीन समय से ही उज्जयिनी नगरी शिक्षा की स्थली रही है। उज्जयिनी महाकाल की नगरी एवं श्रीकृष्ण की शिक्षास्थली रही है।
उन्होंने कहा कि यह मेरा परम सौभाग्य है कि मैं इस दीक्षान्त समारोह में शामिल हुआ।
उन्होंने सभी विद्यार्थियों एवं उनके पालकों को बधाई दी और कहा कि सभी उपाधिधारक न्यायवान, धैर्यवान, चरित्रवान, प्रगतिशील बनें।
श्री पटेल ने कहा कि सभी विद्यार्थियों ने जीवन में समाज का कल्याण करने एवं वंचित तबके की भलाई करने का संकल्प लिया है। यह संकल्प एक दिन के लिये नहीं है अपितु यह संकल्प सारे जीवन के लिये है।
राज्यपाल ने कहा कि उज्जैन में प्राचीन समय में ही अनेक ग्रंथों की रचना हुई है। 11वी शताब्दी में आचार्य भट्ट ने कश्मीर से उज्जयिनी आकर महाभाष्य लिखा।
अवन्तिका विश्वविद्यालय को प्राचीन स्वरूप प्रदान करें
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि एक समय में नालन्दा एवं तक्षशिला शिक्षा स्थली के रूप में प्रसिद्ध थे। विदेशों से भी लोग यहां शिक्षा ग्रहण करने आते थे। आज आवश्यकता है कि अवन्तिका विश्वविद्यालय को भी प्राचीन स्वरूप प्रदान किया जाये।
अवन्तिका विश्वविद्यालय में भी भारत के विभिन्न राज्यों से विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते हैं। राज्यपाल ने कहा कि विद्यार्थी हर चुनौती को स्वीकार कर आगे बढ़ें।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं शिक्षा को एक चुनौती के रूप में लेकर कार्य करने का प्रयास किया है।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थी अपने जीवन में प्रगति करें, लेकिन यह ध्यान रखें कि उन्हें वंचित तबकों के लिये भी कार्य करना है। समाजसेवा में भी अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करें।
संयुक्त कुटुंब भारतभूमि की देन है
राज्यपाल श्री पटेल ने दीक्षान्त समारोह में विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि वे जीवन में हमेशा प्रगति करें। यदि वे अपने कार्य में असफल होते हैं तो निराश न हों, अपितु लगातार प्रयास करते रहें, सफलता अवश्य प्राप्त होगी।
राज्यपाल ने कहा कि युवा व्यवसाय, शिक्षा एवं अन्य फिल्ड में सफलता प्राप्त करें, लेकिन यह ध्यान रखें कि संयुक्त कुटुंब भारतभूमि की देन है। युवा अपने माता-पिता की सेवा करें।
उन्होंने कहा कि माता-पिता क्षमता न होने पर भी बड़ी-बड़ी फीस देकर अपने बच्चों को पढ़ाते हैं। बच्चों की शिक्षा में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखते तो ऐसे में बच्चों का दायित्व है कि वे अपने माता-पिता की भावनाओं का सम्मान करें।
अवन्तिका विश्वविद्यालय से पढ़कर आया युवा यह हमेशा ध्यान रखे कि उसके किसी भी व्यवहार से उसके माता-पिता, शिक्षकों या विश्वविद्यालय की छवि धुमिल न हो।
विश्वविद्यालय 5 गांव गोद ले
राज्यपाल श्री पटेल ने बताया कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों को पांच-पांच गांव गोद लेने के निर्देश दिये गये थे। विश्वविद्यालयों ने कोरोनाकाल में अपने गोद लिये गांवों में मानवता की सेवा की, जिसकी प्रशंसा सभी लोग करते हैं।
अवन्तिका विश्वविद्यालय भी पांच गांव गोद लेने का संकल्प ले। उन गावों में जाकर ग्रामीणों की समस्याओं को सुलझाये।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि विद्यार्थी भावी जीवन में कर्मठता पर ध्यान केन्द्रित करे, क्योंकि व्यक्ति जन्म से नहीं, अपितु कर्म से पुजनीय होता है। पैसे वाला व्यक्ति भौतिक सुख-सुविधाएं तो खरीद सकता है, लेकिन आध्यात्मिक शान्ति नहीं।
उन्होंने विद्यार्थियों का आव्हान किया कि वे राष्ट्र-साधक के रूप में कार्य करें और कोई भी ऐसा कार्य न करें, जिससे राष्ट्र को हानि पहुंचती हो। उन्होंने विद्यार्थियों को निरन्तर आगे बढ़ते रहने की शुभकामनाएं दी।
5 हजार साल पहले से ही हमारा समाज शिक्षा को महत्व देता था -उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. यादव
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत का समाज पांच हजार साल पहले से ही शिक्षा का महत्व जानता था और उसे महत्व देता था। भगवान श्रीकृष्ण स्वयं शिक्षा ग्रहण करने उज्जयिनी आये।
दो हजार साल पहले सम्राट विक्रमादित्य ने विक्रम संवत चलाया और समूची वसुंधरा का कर्ज अपने राजकोष से चुकाया।
डॉ. यादव ने कहा कि आज विश्वविद्यालयों को प्राचीन संस्कृति से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। विश्वविद्यालयों में गीता एवं रामायण भी पढ़ाये जा रहे हैं। हमारी नई शिक्षा नीति में वे सभी चीजें हैं जो प्राचीन संस्कृति को बढ़ावा देती है।
उन्होंने कहा कि एक गंगा हिमालय से निकली है और एक गंगा को उज्जैन से निकालने का प्रयास एमआईटी ग्रुप पुणे ने किया है। उन्होंने एमआईटी ग्रुप द्वारा संचालित अवन्तिका विश्वविद्यालय की सराहना करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में विभिन्न कोर्स के विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
डॉ.यादव ने कहा कि इस विश्वविद्यालय का नाम अवन्तिका विश्वविद्यालय है। अवन्तिका का अर्थ होता है ‘जिसका कोई अन्त नहीं’। उन्होंने कहा कि त्रैता एवं द्वापर युग से ही उज्जैन का अस्तित्व एवं पहचान है।
विद्यार्थी यदि जीवन में असफल होते हैं तो स्वामी विवेकानन्द के जीवन को याद करें -कुलपति डॉ. पाण्डेय
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.अखिलेश कुमार पाण्डेय ने कहा कि दीक्षान्त समारोह में आकर उन्हें प्रसन्नता हो रही है।
उपाधिधारक अब ऐसे समाज में जायेंगे, जहां उन्हें अपनी पहचान बनाने के लिये संघर्ष करना पड़ेगा। यदि विद्यार्थी जीवन में असफल होते हैं तो वे जरा भी नहीं डरें, अपितु ऐसे समय में स्वामी विवेकानन्द के जीवन को याद करें। स्वामी विवेकानन्द अनेक कठिनाईयों का सामना करते हुए शिकागो की धर्मसभा में पहुंचे थे।
आज के सफल व्यवसाई मार्क जुकरबर्ग एवं स्टीव जॉब्स कभी असफल थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अनेक सफल कंपनियां स्थापित की।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थी 2014 में इंडियन साइंस कॉलेज में दिये गये प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के भाषण को याद करें।
उन्होंने कहा था कि विद्यार्थी आने वाले समय में विभिन्न डिजाईन तैयार करेंगे। शोध कार्य एवं डिजाईन में एकात्मकता होनी चाहिये। इनका कार्य एनर्जी फ्रेंडली हो।
डॉ.पाण्डेय ने कहा कि आप जीवन में अनेक अनुसंधान करेंगे, लेकिन आपके अनुसंधान का लाभ अन्तिम छोर के व्यक्ति को मिलेगा तभी आपका शोध कार्य सफल कहलायेगा।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थी हमेशा सर्वे भवन्तु सुखिन: एवं वसुधैव कुटुंबकम को याद रखें और अपनी तकनीक एवं डिजाईन से राष्ट्र को गौरवान्वित करें।
दीक्षान्त समारोह से पूर्व राज्यपाल श्री पटेल को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। कार्यक्रम में अवन्तिका विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. प्रशील सूर्यवंशी, कुल सचिव डॉ. मनीष पाटिल, चेयरमेन डॉ.संजय धांडे, ट्रस्टी डॉ. सुचित्रा नागर, विद्यार्थीगण, प्रशासनिक अधिकारीगण तथा प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधिगण उपस्थित थे।