Uma Bharti Angry : उमा भारती फिर रूठी, विधानसभा चुनाव प्रचार से दूरी बनाई!

भोजशाला की प्रतिमा नहीं आई, सोमेश्वर और विजया देवी मंदिरों के पट नहीं खुले!

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Uma Bharti Angry : उमा भारती फिर रूठी, विधानसभा चुनाव प्रचार से दूरी बनाई!

Bhopal : बात-बात पर रूठने वाली भाजपा नेत्री और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती फिर गुस्सा हो गई। उन्होंने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर अपनी नाराजी की बात कही है। लेकिन, उनकी नाराजी के जो कारण सामने आए वो अमूर्त हैं। उन्होंने धार की भोजशाला में सरस्वती की प्रतिमा स्थापित नहीं हो पाना और रायसेन के सोमेश्वर एवं विदिशा की विजया देवी के मंदिर के पट नहीं खुलने को अपनी नाराजी की वजह बताया। इसके अलावा कुछ कारण गिनाए।

 

उन्होंने लिखा कि दो दिन राम जन्मभूमि प्रवास के बाद हिमालय के बद्रीनाथ और केदारनाथ दर्शन करूंगी दर्शन और वही चिंतन करूंगी। उन्होंने लिखा कि सरकार ने पिछले सालों में काम अच्छा किया। लेकिन, लोगों के सपने पूरे करने के लिए जिस कांग्रेस सरकार को 20 साल पहले ध्वस्त किया था, उसके बाद लोगों के कितने सपने पूरे हुए इसका आत्मचिंतन मंथन करना जरूरी है। गौ-संवर्धन और रक्षण के उपाय संतोषजनक स्थिति में नही पहुंच पाए। राज्य और केंद्र में सरकार होने के बाद भी धार की भोजशाला में सरस्वती माता की प्रतिमा वापिस गद्दी पर नही विराज पाई।

उमा भारती ने लिखा कि आज अपने जन्म स्थान ग्राम डूंडा, जिला टीकमगढ़ के लिए निकल जाऊंगी और आज से लेकर कल चतुर्दशी तक अपने मातृ कुल एवं पितृ कुल की कुल देवियों को प्रणाम करते हुए ओरछा रामराजा सरकार को माथा टेककर हिमालय के लिए निकल जाऊंगी। इस साल में शिवराज जी ने एक आदर्श शराब नीति लाकर अभिनंदनीय कार्य किया। इन साढे तीन वर्षों के शिवराज जी के कार्यकाल में कई जनकल्याणकारी कार्यों की भी शुरुआत हुई।

हमारी पार्टी के लगभग सभी उम्मीदवार घोषित हो गए, अभी मध्य प्रदेश में हमारी पार्टी का घोषणा पत्र आना बाकी है जिसके आधार पर हमारी पार्टी जनादेश मांगेगी। मैं पूरी मेहनत करूंगी एवं भगवान से प्रार्थना भी करती हूं कि हमारी सरकार बने और मेरी और हम सबकी अधूरी रह गई आकांक्षाओं को पूरा करें।

उमा भारती इसलिए भी नाराज

केन-बेतवा रिवर लिंक जो लगभग 2017 से शिलान्यास के लिए तैयार है। पंच-ज अभियान संपूर्णता से नहीं हुआ, टुकड़ों में हुआ। रायसेन के सोमेश्वर एवं विदिशा की विजया देवी के मंदिर के पट नहीं खुल सके. जबकि, हमारे केंद्रीय नेतृत्व के एक महत्वपूर्ण पदाधिकारी ने मुझे इसका आश्वासन दिया था। अंत में मैं इस निष्कर्ष पर हूं कि 2003 से अभी तक डेढ़ साल को छोड़कर हमारी ही सरकार रही। लोगों के जिन सपनों को पूरा करने के लिए हमने कांग्रेस को 20 साल पहले ध्वस्त किया था, वह सपने कितने पूरे हुए उस पर अभी और आत्म चिंतन मैं अभी कुछ दिन हिमालय में बद्री-केदार के दर्शन करते समय करूंगी। अपनी जन्मभूमि के दो दिन के प्रवास पर मैं चुनावी आचार संहिता के सभी नियमों का पालन करूंगी।