शिवराज और कमलनाथ की मुलाकात के सियासी मंतव्य को समझिए

दिग्विजय को डेढ़ माह तक टाला, कमलनाथ से अनशेड्यूल्ड की लम्बी चर्चा

1367

 

हेमंत पाल की त्वरित टिप्पणी

कांग्रेस और भाजपा के बीच आज राजनीति की अजीब सी जोड़ तोड़ चली। जो हुआ वो अपने आपमें अनोखा था। अभी सारे पत्ते तो नहीं खुले, पर ये तय है कि मध्यप्रदेश की राजनीति में कुछ तो ऐसा हो रहा है, जो अभी सामने नहीं आया! इसे नूरा-कुश्ती कहा जाए या कुछ और, जो भी हो पर इससे संकेत मिलता है कि अब शिवराज सिंह चौहान राजनीति के उन मंजे हुए खिलाड़ियों में गिने जाने लगे हैं, जो अपने खिलाफ उठने वाली आवाज को अपनी मर्जी से मोड़ने-तोड़ने की कूबत रखते हैं।

IMG 20220121 WA0085

दिग्विजय सिंह एक गंभीर मामले को लेकर पिछले डेढ़ माह से मिलने का समय मांग रहे थे, बताते हैं कि उन्हें समय दिया और फिर निरस्त कर दिया, पर उसी समय कमलनाथ से अनशेड्यूल्ड आधे घंटे से ज्यादा देर तक चर्चा की। सियासी हलकों में इस बात को सहजता से नहीं लिया जा रहा है बल्कि माना जा रहा है कि इसके पीछे राजनीति का कोई गूढ़ रहस्य छुपा हुआ है।

आज सुबह सबसे ज्यादा सरगर्मी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को लेकर थी। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से टेम और सुठालिया बांध के मसले पर बात करने के लिए के लिए समय मांगा था! इसके लिए बकायदा चिट्ठी भी लिखी गई। दिग्विजय सिंह का कहना है कि 21 जनवरी को 11.15 बजे का समय देने की सूचना दी गई थी, पर बाद में समय निरस्त कर दिया गया।

इससे नाराज होकर दिग्विजय सिंह ने बकायदा एक वीडियो जारी कर यह घोषणा की कि वह 21 जनवरी को 11:15 बजे (वह वही समय है जो सीएम ने मिलने का दिया था) सीएम हाउस के सामने धरने पर बैठेंगे। अपने स्वभाव के अनुरूप दिग्विजय सिंह ने सीएम हॉउस पहुंचकर 11.15 धरना दे दिया।
ये तो हुआ घटनाक्रम का एक दृश्य जो आज सुबह सीएम हॉउस के सामने हुआ। लेकिन, इस मसले का दूसरा पन्ना ये है कि लगभग उसी समय सीएम शिवराज सिंह और कमलनाथ के बीच एयरपोर्ट के स्टेट हेंगर पर कमलनाथ से उन्होंने आधे घंटे बातचीत की। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और पूर्व मुख्यमंत्री जैसे वरिष्ठ नेता को CM ने मिलने का समय नहीं दिया और दूसरे नेता से उसी समय बिना कोई निर्धारित कार्यक्रम के आधे घंटे अकेले में धूप में खड़े होकर बात की। बताते हैं कि इस अहम मुलाकात के कारण CM का देवास जाने का कार्यक्रम भी आधे घंटे टल गया। दोनों के बीच क्या बात हुई! ये तो शायद कभी बाहर नहीं आएगा, पर निश्चित रूप से उसमें दिग्विजय सिंह का मुद्दा जरूर शामिल होगा और ऐसा हुआ भी! कमलनाथ ने बाद में अपने बयान में इसका हवाला भी दिया।

WhatsApp Image 2022 01 20 at 10.16.22 PM

 

शिवराज और कमल नाथ की स्टेट हेंगर पर हुई मुलाकात भले ही अकस्मात हुई हो लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह माना जा रहा है कि कहीं न कहीं यह कोई पूर्व योजना का हिस्सा ही हो सकता है।

 

कांग्रेस के एक नेता को समय नहीं देना और ठीक उसी समय दूसरे नेता से बिना किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के लम्बी मुलाकात करना, कोई न कोई इशारा तो है। ये मुलाकात महज संयोग नहीं, खालिस सियासी मुलाकात है, जिसका नतीजा बाद में बाहर आएगा! पर, क्या दिग्विजय सिंह को रणनीतिक मात देने कि ये शिवराज सिंह की कोई चाल है या कांग्रेस को कमजोर करने का पैंतरा! अभी ऐसे सिर्फ कई कयास लगाए जा सकते हैं, पर सच्चाई निश्चित रूप से राजनीतिक ही होगी।
इस घटनाक्रम का तीसरा पन्ना ये है कि कमलनाथ उस मुलाकात के बाद सीधे दिग्विजय सिंह के धरना स्थल पर पहुंचे और उनके साथ धरने पर बैठ गए। यहां आकर उन्होंने शिवराज सिंह का कोई संदेश दिया या क्या बात की, ये भी महत्वपूर्ण मुद्दा है। क्या कमलनाथ को शिवराज सिंह ने मध्यस्थ की तरह दिग्विजय सिंह के पास भेजा है या फिर कोई और बात है! लेकिन, दिग्विजय सिंह की अनदेखी करना, कमलनाथ को बुलाकर बात करना और फिर कमलनाथ का दिग्विजय सिंह के साथ धरने पर बैठना कई संकेत देता है।

 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से हुई मुलाकात के बारे में कमलनाथ का बयान भी सामने आया। उन्होंने कहा कि मेरी शिवराजजी से स्टेट हेंगर पर मुलाक़ात हुई। मै अपने दो दिवसीय दौरे के बाद आज छिंदवाड़ा से भोपाल लौटा। उसी समय शिवराजजी भी अपने देवास दौरे के तहत स्टेट हेंगर पर पहुँचे थे। हम दोनों की मुलाक़ात अचानक स्टेट हेंगर पर हुई। इस मुलाक़ात में शिवराजजी ने मुझे बताया कि दिग्विजय सिंह धरने पर बैठ रहे हैं। मुझे उन्हें समय देने में कोई परहेज़ नहीं। तभी मैंने उन्हें कहा कि इस सम्बंध में मैं दिग्विजय सिंह से बात करूँगा। अभी धरना स्थल पर दिग्विजय सिंह जी ने मुझे सच्चाई बताई कि वे तो पिछले डेढ़ माह से शिवराज जी से समय माँग रहे है। आज का समय दिया था जिसे बाद में अचानक से निरस्त कर दिया।

शुक्रवार सुबह दिग्विजय सिंह अपनी घोषणा के मुताबिक कांग्रेस नेताओं के साथ सीएम हाउस के बाहर धरना देने निकले। रास्ते में उनके काफिले को पुलिस ने रोकने की कोशिश की। गाड़ियों को रोक दिया गया। इसके बाद दिग्विजय सिंह काफिले के साथ पैदल निकले। पुलिस ने सीएम हाउस के बाहर बैरिकेड लगा रखे थे। दिग्विजय सिंह का आरोप है कि 21 जनवरी को समय दिया गया था। फिर सीएम ऑफिस ने अपॉइंटमेंट रद्द कर दिया। अब मुख्यमंत्री शिवराज ने दिग्विजय को 23 जनवरी दोपहर 12 बजे मुलाकात का समय दिया है। ये तो वो घटनाक्रम है, जो आज सुबह सबके सामने घटा! लेकिन, राजनीतिक जानकार भी समझ नहीं पा रहे हैं कि स्टेट हेंगर पर राजनीति का कौनसा दांव खेला गया। उसके बाद कमलनाथ का धरना स्थल पर दिग्विजय सिंह के साथ बैठना भी ऐसा मसला है जो दर्शाता है कि राजनीति का गणित हमेशा दो और दो का जोड़ चार नहीं होता!

 

इस सबके बीच गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का बयान सामने आया कि दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री से समय मांग रहे हैं या अड़ीबाजी कर रहे हैं! नरोत्तम मिश्रा ने दिग्विजय सिंह द्वारा जारी एक वीडियो मीडिया को सुनाते हुए कहा कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य को इस तरह की भाषा शोभा देती है। यह तो एक तरह से पॉलिटिकल पाखंड है और उनका यह तरीका गलत है। हमारे CM तो गांव-गांव जाते हैं। सबसे मिलते हैं, लेकिन जिस तरह से दिग्विजय सिंह ने समय मांगा है वह तरीका गलत है।

अभी इस पूरे घटनाक्रम का अंतिम अध्याय लिखा जाना है। डूब पीड़ितों की समस्या को लेकर दिग्विजय सिंह का मुख्यमंत्री से समय मांगना! उन्हें समय नहीं मिलना। फिर कथित रूप से समय तय होना, जिसे केंसिल करना। विरोध स्वरुप दिग्विजय सिंह का CM हॉउस के सामने धरने पर बैठना। उसी समय स्टेट हेंगर पर शिवराज सिंह और कमलनाथ में लम्बी बातचीत होना। वहां से आकर कमलनाथ का सीधे दिग्विजय सिंह के साथ धरने पर बैठना सामान्य घटनाक्रम नहीं है। ये सब राजनीति है जो कांग्रेस की तरफ से भी खेली जा रही है और भाजपा की तरफ से भी। पर, इसमें किसका क्या फ़ायदा है ये राजनीति के खाते में बाद में नजर आएगा!