फसल बीमा क्लेम में गड़बड़ियों पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह सख्त, बोले– 1, 3, 5 रुपये का क्लेम किसानों के साथ मजाक

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फसल बीमा क्लेम में गड़बड़ियों पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह सख्त, बोले– 1, 3, 5 रुपये का क्लेम किसानों के साथ मजाक

दिल्ली में ली उच्चस्तरीय बैठक, महाराष्ट्र के किसानों को वर्चुअल जोड़ा, कंपनियों व अफसरों से मांगा जवाब

New Delhi: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को मिल रही नाममात्र की क्लेम राशि पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कड़ा रुख अपनाया है। दिल्ली पहुंचते ही उन्होंने मंत्रालय में एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें महाराष्ट्र के किसानों को वर्चुअल रूप से जोड़ा गया और उनकी शिकायतें सीधे सुनीं।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों को ₹1, ₹3 या ₹5 का क्लेम मिलना “किसानों के साथ मजाक” है। उन्होंने इसे लेकर पूरी जांच के आदेश दिए और स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार किसानों को किसी भी हालत में परेशान नहीं होने देगी। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि “प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना कोई मजाक नहीं, यह किसानों के लिए सुरक्षा कवच है और इसकी साख से समझौता नहीं होगा।”

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बैठक में मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के सीईओ, बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि, महाराष्ट्र के कृषि आयुक्त तथा अकोला जिले के कुछ शिकायतकर्ता किसान मौजूद रहे। मंत्री ने उनसे विस्तार से बात कर पूछा कि “किस आधार पर इतनी कम राशि दी गई, और नुकसान का आकलन इस तरह कैसे किया गया।”

सीहोर जिले के किसानों के उदाहरण देते हुए चौहान ने कहा कि कुछ किसानों को फसल बीमा के बावजूद ‘जीरो लॉस’ दिखाकर केवल ₹1 का क्लेम दिया गया। उन्होंने अफसरों से पूछा कि “क्या यह न्यायसंगत है? क्या यह तरीका सही है?”

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केंद्रीय मंत्री ने निर्देश दिए कि सभी ऐसे मामलों की फील्ड जांच की जाए, और यह पता लगाया जाए कि किस तकनीकी या प्रक्रिया की वजह से क्लेम राशि इतनी कम आई। उन्होंने यह भी कहा कि “क्षति का आकलन सटीक प्रणाली से होना चाहिए। रिमोट सेंसिंग डेटा की विश्वसनीयता की वैज्ञानिक जांच जरूरी है।”

बैठक में यह भी चर्चा हुई कि कई राज्य सरकारें अपने हिस्से की सब्सिडी राशि समय पर जमा नहीं करतीं, जिससे किसानों को भुगतान में देरी होती है। इस पर चौहान ने सख्त लहजे में कहा, “राज्यों की देरी से केंद्र बदनाम नहीं होगा। सभी राज्यों से समन्वय कर यह सुनिश्चित किया जाए कि राशि समय पर जमा हो। जो राज्य लापरवाही करें, उनसे 12 प्रतिशत ब्याज वसूला जाए।”

शिवराज सिंह चौहान ने बीमा कंपनियों को निर्देश दिए कि नुकसान सर्वे के समय उनका प्रतिनिधि स्थल पर अवश्य मौजूद रहे, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और किसानों को वास्तविक क्लेम मिल सके। उन्होंने कहा कि किसानों को क्लेम जल्दी और एक साथ मिलना चाहिए तथा योजना में आवश्यक सुधार कर विसंगतियां दूर की जानी चाहिए।

बैठक के अंत में केंद्रीय मंत्री ने अधिकारियों से कहा कि किसानों को टेक्नोलॉजी से जोड़ा जाए और क्लेम प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाया जाए, ताकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का उद्देश्य- किसानों को आर्थिक सुरक्षा- पूरी तरह साकार हो सके।