
UPI Transaction Charges : अब मुफ्त में ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर करने की आजादी खत्म, आज 15 अगस्त से 2 से 20 रुपए चार्ज!
New Delhi : रीयल-टाइम फंड ट्रांसफर पर अब बैंक चार्ज वसूल करेंगे। 15 अगस्त से यह नया नियम लागू किए जाने की सूचना है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और केनरा बैंक ने तत्काल भुगतान सेवा (IMPS) ट्रांजेक्शन से जुड़े नियमों में बदलाव किया है। SBI ने अपनी वेबसाइट पर जानकारी दी, कि IMPS ट्रांजेक्शन के लिए अब राशि के आधार पर 2 रुपए से 20 रुपए तक का शुल्क लगेगा। यह बदलाव डिजिटल लेनदेन को और अधिक पारदर्शी और लागत प्रभावी बनाने के लिए किया गया। हालांकि, सैलरी अकाउंट और बेसिक सेविंग बैंक डिपॉजिट अकाउंट (BSBDA) धारकों को इस शुल्क से छूट दी गई।
SBI के अनुसार, ₹1,000 तक के IMPS ट्रांजेक्शन पर कोई शुल्क नहीं लगेगा। ₹1,001 से ₹10,000 रुपये के लेनदेन पर 2 रुपए, ₹10,001 से ₹1 लाख पर 5 रुपए, 1 लाख से 2 लाख रुपए पर 10 रुपए और 2 लाख से 5 लाख रुपए तक के ट्रांजेक्शन पर 20 रुपए का शुल्क लागू होगा।
ये शुल्क ऑनलाइन और शाखा के माध्यम से किए गए लेनदेन पर लागू होंगे। बैंक ने यह भी स्पष्ट किया कि जीरो-बैलेंस अकाउंट और सैलरी अकाउंट धारकों को इन शुल्कों से राहत मिलेगी। यह कदम डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के साथ परिचालन लागत को संतुलित करने की दिशा में उठाया गया है।
PNB और केनरा बैंक के नियम
पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ने भी IMPS शुल्क में संशोधन किया है। PNB के नए नियमों के तहत, 1,000 रुपये तक के लेनदेन पर कोई शुल्क नहीं होगा। जबकि, ₹1,001 से ₹25,000 तक के ट्रांजेक्शन पर 4 रुपए और ₹25,001 से ₹5 लाख तक के लेनदेन पर 8 रुपए का शुल्क लगेगा। केनरा बैंक ने भी समान राशि के लिए 3 रुपए से 15 रुपए तक के शुल्क तय किए हैं। दोनों बैंकों ने सैलरी अकाउंट और BSBDA धारकों को शुल्क में छूट दी है। इन बदलावों का उद्देश्य डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित करना और बैंकिंग सेवाओं को और अधिक कुशल बनाना है।
महंगा हो जाएगा अब यूपीआई लेनदेन
नए शुल्कों का असर मुख्य रूप से उन ग्राहकों पर पड़ेगा जो नियमित रूप से IMPS के माध्यम से बड़े लेनदेन करते हैं। छोटे लेनदेन करने वाले ग्राहकों के लिए 1,000 रुपये तक की छूट राहत की बात है। हालांकि, मध्यम और उच्च राशि के लेनदेन पर शुल्क बढ़ने से कुछ ग्राहकों को अतिरिक्त लागत वहन करनी पड़ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये शुल्क बैंकों की बढ़ती परिचालन लागत को कवर करने के लिए लगाए गए हैं। क्योंकि, डिजिटल बैंकिंग सेवाओं में भारी निवेश की आवश्यकता होती है। सैलरी अकाउंट धारकों और BSBDA ग्राहकों को छूट देकर बैंक कम आय वर्ग को राहत देने की कोशिश कर रहे हैं।





