US Finance Minister said – India is the biggest partner:’Whatsapp के बगैर भारतीय नहीं रह सकते, इंफोसिस के बिना अमेरिकी’
अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने भारत को सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार करार दिया है। अमेरिकी वित्त मंत्री ने कहा कि भारत में एप्पल और गूगल जैसी कंपनी अपने फोन उत्पादन को बढ़ा रही है।
जैसा कि अमेरिका बेहतर भविष्य के लिए तत्पर है वह प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अपने संबंधों को सशक्त करने की इच्छुक हैं। मंत्री ने कहा हम आपूर्ति शृंखलाओं के लचीलेपन को मजबूत करने के लिए ‘फ्रेंडशोरिंग’ (दोस्ताना संबंध) के नजरिए से आगे बढ़ेंगे। येलेन ने यहां G-20 देशों के वित्त मंत्रियों एवं केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों की बैठक से अलग अमेरिका और भारत के प्रौद्योगिकी व्यापारिक नेताओं की राउंड टेबल बैठक को संबोधित कर रही थीं।
भारत सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार
अमेरिकी वित्त मंत्री ने कहा, “अमेरिका भारत का सबसे बड़ा बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2021 में हमारा द्विपक्षीय व्यापार 150 अरब डॉलर से पार कर गया। हमारे लोगों के बीच संबंध हमारे रिश्ते की गहराई की पुष्टि करते हैं। दो लाख भारतीय विद्यार्थी अमेरिका में शिक्षा ग्रहण करते हुए स्कूलों और विश्वविद्यालयों में जाते हैं। दैनिक आधार पर हम एक-दूसरे पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संवाद करने के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं और कई अमेरिकी कंपनियां अपने संचालन के लिए इंफोसिस पर निर्भर हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि वैश्विक बुनियादी ढांचा और निवेश साझेदारी के जरिए अमेरिका डिजिटल प्रौद्योगिकियों में निवेश कर रहा है जो भारत में समावेशी और लचीली वृद्धि को गति प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि निवेश साझेदारी के तहत अमेरिका ने जलवायु-स्मार्ट कृषि उत्पादन को सक्षम करने के लिए कृषि तकनीक में निवेश की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि अमेरिका का लक्ष्य निवेश साझेदारी के लिए 2027 तक 200 अरब डॉलर जुटाना है और भविष्य में निवेश जारी रखने के लिए भारत के साथ साझेदारी करने की उम्मीद है।
इस राउंड टेबल बैठक में इन्फोसिस के चेयरमैन नंदन नीलेकणि, आईबीएम इंडिया के प्रबंध निदेशक संदीप पटेल, इंटेल इंडिया की कंट्री हेड निवृति राय, फॉक्सकॉन इंडिया के कंट्री हेड जोश फौग्गर और विप्रो के चेयरमैन रिषद प्रेमजी समेत इस क्षेत्र की शीर्ष हस्तियां शामिल थीं। गोलमेज बैठक के दौरान नीलेकणि ने कहा कि इन्फोसिस ने पिछले कुछ साल में अमेरिका के छह अलग-अलग राज्यों में नए केंद्र खोले हैं और पिछले छह साल में वहां 25,000 कर्मचारियों को नियुक्त किया है।