Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: एक और रिटायर्ड IAS राजनीति में उतरने की तैयारी में
इसे विचित्र संयोग कहा जाएगा कि कांग्रेस पार्टी से दो बार विधायक रहे राघवराम चौधरी, जो किसी समय राज्य सरकार के राजस्व मंत्री भी रहे हैं, के बेटे अब लहार विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे है। ख़ास बात ये कि उनका मुकाबला अपने पिता के ही चेले कांग्रेस के धाकड़ नेता डा गोविंद सिंह से होगा, जो फ़िलहाल लहार से विधायक हैं। यहां बात हो रही है 2001 बैच के पूर्व IAS अधिकारी महेश चौधरी की, जो अपनी प्रशासनिक पारी पूरी करने के बाद साल भर पहले ही रिटायर हुए हैं।
बताया गया है कि महेश चौधरी ने राजनीति में उतरने की पूरी जमावट कर ली। उनका पूरा जोर भिंड जिले में लहार क्षेत्र से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लडने पर है और वे गोविंद सिंह के सामने खम ठोकेंगे। अंदरखाने की ख़बरें बताती है कि महेश चौधरी की इस बारे में सीएम शिवराज, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत सभी बड़े बीजेपी नेताओं से चर्चा हो चुकी है। माना जा रहा है कि वरिष्ठ नेताओं के सकारात्मक रुख को देखते हुए ही उन्होंने चुनावी रणक्षेत्र में उतरने की तैयारी शुरू की है। इन दिनों वे लहार क्षेत्र स्थित अपने गांव में ही ज्यादातर वक़्त बिता रहे हैं और लहार में जन संपर्क भी कर रहे हैं।
ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि महेश चौधरी के भतीजे अशोक चौधरी, जो पिछले 25 साल से अपनी राजनीतिक जमावट कर रहे है, इसमें बाधक तो नहीं बनेंगे! अशोक को ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी माना जाता है और वे भी लहार से चुनाव लड़ने का सपना तीन-चार चुनावों से देख रहे हैं।
जिसके खिलाफ जांच के आदेश,उसे ही 24 घंटे में बनाया कुलपति
मध्यप्रदेश सरकार भी कभी-कभी अजीबो-गरीब आदेश देती है। जिस व्यक्ति के खिलाफ 27 जनवरी को जांच के आदेश दिए गए, उसी को अगले दिन 28 जनवरी यानी 24 घंटे में उसी यूनिवर्सिटी का कुलपति बना दिया। ये मामला है, महू के डॉ बी आर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलसचिव प्रो डी के शर्मा का। वे इंदौर के होल्कर साइंस कॉलेज में दो दिन पहले तक प्राध्यापक रहे हैं, अब महू की इस यूनिवर्सिटी के कुलपति बना दिए गए।
राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने डॉ डीके शर्मा के खिलाफ 27 जनवरी को एक पत्र लिखकर अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा से फर्जी चिकित्सा प्रमाण पत्र के संबंध में तथ्यात्मक प्रमाण मांगे हैं।
लेकिन, अभी इस पत्र को भेजे 24 घंटे भी नहीं बीते थे, कि 28 जनवरी को उन्हें उसी संस्थान (महू के डॉ बी आर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय) का कुलपति नियुक्त कर दिया। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि जिस व्यक्ति के खिलाफ संस्था से जुड़े किसी मामले में सरकार ने जांच के आदेश दिए, उसी व्यक्ति को संस्थान का प्रमुख क्यों और किन परिस्थितियों में बनाया गया!
सहकारिता निर्वाचन प्राधिकारी की नियुक्ति को लेकर असमंजस
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में सहकारिता निर्वाचन प्राधिकारी की नियुक्ति के सन्दर्भ में लंबित याचिका की सुनवाई अब 2 फरवरी को होना है।
हालांकि 17 जनवरी को हाई कोर्ट में हुई सुनवाई में सरकार को यह आदेशित किया गया था कि 27 जनवरी के पहले इस पद पर नियुक्ति प्रदान करें ताकि सहकारी संस्थाओं के चुनावों में रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति की जा सके अन्यथा हाई कोर्ट स्वयं रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति कर देगा जिसके लिए कोर्ट ने एडवोकेट जनरल से तीन नामों का पैनल भी देने को कहा था।
इस संबंध में जब 27 जनवरी को प्रकरण की पेशी हुई तो सरकार ने कुछ और समय मांगा है। हाई कोर्ट ने फिलहाल 2 फरवरी 2022 को पेशी निर्धारित की है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या राज्य सरकार 2 फरवरी के पहले सहकारिता निर्वाचन पदाधिकारी की नियुक्ति कर देगा या हाईकोर्ट में कुछ और जवाब देगा।
इसी बीच सरकार में यह भी सोच रही है कि इस पद को अपर मुख्य सचिव स्तर का कर दिया जाए। शायद सरकार इस पद पर ACS स्तर के अपने किसी पसंदीदा अधिकारी को नियुक्त करना चाहती है। अभी तक इस पद पर सचिव स्तर के अधिकारी ही पदस्थ रहे हैं।
कांग्रेस के इस नेता को मिला वफादारी का ईनाम
इंदौर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के तीन विधायक हैं और कम से कम आधा दर्जन ऐसे नेता हैं, जो प्रदेश कांग्रेस में अपना दबदबा रखते हैं। लेकिन, उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी के साथ काम करने का मौका मिला पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल को। ये कांग्रेस के नेताओं के लिए सबक है कि अपने घर में कितना भी हो-हल्ला मचा लो, पर जब तक दिल्ली दरबार में पहुंच नहीं होगी, उद्धार संभव नहीं है। उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी देने से पहले सत्यनारायण पटेल को कांग्रेस का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया और सह-प्रभारी के तौर पर प्रियंका गांधी के साथ पदस्थ किया गया।
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कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पिछले साल अक्टूबर में जब उनका राष्ट्रीय सचिव नियुक्ति किया, तभी उत्तर प्रदेश में प्रियंका के सह-प्रभारी के रूप में भी जिम्मेदारी सौंप दी थी। कहा जा रहा है कि सत्यनारायण पटेल को ये ईनाम इसलिए मिला कि उन्होंने कांग्रेस छोड़ने इंकार कर दिया था। पटेल ने इंदौर में ही कार्यकर्ताओं की बड़ी बैठक कर सबके बीच घोषणा कर दी थी कि वे कांग्रेस में ही बने रहेंगे।
‘खाकी’ के दिल में पनपनी कविता
किसी अफसर का सोच और रूचि यदि कवितामय होती है, तो वो हर जगह झलकती भी है। कुछ ऐसा ही होमगार्ड एवं आपदा प्रबंधन के पुलिस महानिदेशक पवन जैन (IPS) के साथ भी है। वे पुलिस के बड़े अफसर हैं, पर उनका दिल कविता करता रहता है। यही कारण है कि होमगार्ड मुख्यालय में नव निर्मित ‘शिल्प उपवन’ के लोकार्पण कार्यक्रम के निमंत्रण पत्र को उन्होंने कवितामयी बना दिया।
इस निमंत्रण पत्र में लिखी गई चार पंक्तियाँ पढ़िए :
साध स्वयं को गढ़ दिया, पत्थर पर संसार!
कलाकार के स्वेद से, रूप हुआ साकार!
किसी के ज़ख़्म को मरहम दिया है गर तुमने,
समझ लो तुमने ख़ुदा की ही बंदगी की है!
प्रदेश के वरिष्ठ आईपीएस पवन जैन की ख्याति एक कवि के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर है और वे कई बार दिल्ली में लाल किले सहित देश के कई महत्वपूर्ण कवि सम्मेलनों में अपनी धाक जमा चुके हैं।