Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista : CM का दिल्ली में अमित शाह से मिलने का राजनीतिक मंतव्य!

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Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista : CM का दिल्ली में अमित शाह से मिलने का राजनीतिक मंतव्य!

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista : CM का दिल्ली में अमित शाह से मिलने का राजनीतिक मंतव्य

इन दिनों भाजपा में क्या चल रहा है, इस पर कांग्रेस के अलावा उनकी भी नजर है, जो राजनीति की हर चाल को समझते हैं। यही कारण है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की बुधवार को अचानक दो घंटे के लिए हुई दिल्ली यात्रा इन दिनों सुर्खियों में है। बताया गया कि CM दिल्ली गए और गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर लौट आए। CM के दिल्ली जाने और अमित शाह से मिलकर आने के बीच कोई बड़ा राजनीतिक मंतव्य दिखाई दे रहा है!

इन्हीं में से एक अनुमान है संभवत भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा की जगह चुनाव से पहले किसी और नेता को जिम्मेदारी सौंपने का फैसला हुआ है। अनुमान है कि बहुत जल्द भाजपा को नया अध्यक्ष मिलेगा! लेकिन, वह कौन होगा अभी इस बात का खुलासा नहीं हुआ। इस संदर्भ में जो नाम लिए जा रहे हैं, उनमें एक नाम कैलाश विजयवर्गीय का भी है।

इसका एक कारण यह है कि मालवा-निमाड़ में भाजपा की कमजोरी पिछले चुनाव में ही सामने आ गई थी। समझा जा रहा है कि यदि इसी इलाके के किसी नेता को कमान सौंपी जाए तो पार्टी की स्थिति में सुधार संभव है। लेकिन, फैसला अभी पार्टी के पाले में है कि आने वाले दिनों में क्या होता है! किसी भी नेता को पार्टी की कमान सौंपी जाती है तो उसके सामने चुनौतियों का अंबार होगा!

दिल्ली में वरिष्ठ IAS अफसर की CM से मुलाकात

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की गत बुधवार 2 घंटे की दिल्ली यात्रा सियासी और प्रशासनिक दृष्टि से चर्चा में रही। इस संक्षिप्त यात्रा के दौरान जहां वे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिले वही मध्यप्रदेश कैडर के वरिष्ठ IAS अधिकारी  विवेक अग्रवाल उनसे मिलने मध्य प्रदेश भवन पहुंचे।

भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1994 बैच के अधिकारी विवेक अग्रवाल केंद्र सरकार में अपर सचिव स्तर के अधिकारी हैं और महत्वपूर्ण विभाग संभाले हुए हैं। बता दें कि मध्यप्रदेश में विवेक अग्रवाल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सचिव रह चुके हैं। उन्हें मुख्यमंत्री का विश्वसनीय और निकट अधिकारी माना जाता है।    यह नहीं कहा जा सकता कि उन दोनों के बीच किस मुद्दे को लेकर लम्बी चर्चा हुई। लेकिन, यह निश्चित है कि यह चर्चा महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर ही हुई होगी। क्योंकि, आख़िर 15 मिनट की चर्चा में दोनों के बीच जरूर कुछ ना कुछ तो पका होगा।

ये होता है पर्यावरण संरक्षण का सही काम!

पर्यावरण संरक्षण की बातें करना और उपदेश देना बहुत आसान है। पर, इस दिशा में ठोस कदम उठाना उतना आसान नहीं होता। पर, धार कलेक्टर प्रियंक मिश्र ने अपने पर्यावरण प्रेम को साबित किया और उसे सार्थक भी किया। उन्होंने पर्यावरण दिवस पर मांडू की विश्व प्रसिद्ध खुरासानी इमली की जियो टैगिंग की शुरुआत की।

जिला प्रशासन ने सभी विभागों को इस संबंध में निर्देश भी जारी किए हैं। ख़ास तौर पर नगर परिषद मांडू, वन विभाग और राजस्व विभाग को अपने क्षेत्र के ऐसे पेड़ों की जियो टैगिंग सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। वे पेड़ जो निजी भूमियों पर हैं, उनकी भी जियो टैगिंग होगी। ये अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण कदम है।

कलेक्टर ने एक जारी करके भी जिले वासियों से अपील की है कि खुरासानी इमली के दुर्लभ पेड़ों के साथ सदियों पुराने प्राचीन पेड़ों के संरक्षण के लिए जिला प्रशासन का सहयोग करें। अपने फोटो इन दुर्लभ पेड़ों के साथ खिंचवा कर पोर्टल पर अपलोड करें। उन्होंने खुरासानी इमली के पेड़ों को नायाब और दुर्लभ बताते हुए इसके संरक्षण की बात कही।    इस दुर्लभ इमली के पेड़ों को पहले हैदराबाद की एक कंपनी को यहां से उखाड़कर वहां लगाने की अनुमति मिल गई थी। लेकिन, प्रियंक मिश्र ने उस कंपनी को इस काम से उस समय रोका जब ऐसे पेड़ को जड़ समेत उखाड़कर ट्रक पर ले जाया जा रहा था। यहां तक कि उस पेड़ को फिर से वहीं लगा दिया गया और अब उस पेड़ ने जब भी पकड़ ली।

मुख्यमंत्री की अनोखी पहल 

अभी तक किसी मुख्यमंत्री ने पार्टी के लिए वह काम नहीं किया, जो शिवराज सिंह शुरू कर रहे हैं। उन्होंने हर हफ्ते प्रदेश के एक जिले के मंडल स्तर के कार्यकर्ताओं को बुलाकर उनसे चर्चा करने का कार्यक्रम बनाया है। अभी तक मुख्यमंत्री की पार्टी की बड़े नेताओं से ही बात होती रही है या जिले के अध्यक्ष और पदाधिकारियों से।

लेकिन, पहली बार देखा जा रहा है कि कोई मुख्यमंत्री मंडल स्तर के कार्यकर्ताओं को मुख्यमंत्री हाउस में बुलाकर उनसे चुनाव को लेकर चर्चा करेंगे। उस स्थान के राजनीतिक हालातों और चुनाव में पार्टी की संभावनाओं पर उनकी बातों को सुनेंगे।

इंदौर की घटना से सरकार उलझन में फंसी!

इंदौर में पिछले दिनों हिंदूवादी संगठनों ने नशे के खिलाफ कार्रवाई को लेकर पलासिया थाने का घेराव किया था। इस चौराहे को शहर का सबसे व्यस्ततम चौराहा माना जाता है। शाम साढ़े 7 बजे जब यातायात पूरे जोर पर था, तो हिंदूवादी नेताओं ने इस चौराहे पर चक्का जाम कर दिया। यह चक्का जाम एक घंटे से ज्यादा समय तक रहा। चारों तरफ वाहनों की लंबी कतार लग गई और लोग परेशान हो गए। पुलिस ने चक्का जाम करने वाले हिंदू वादियों को समझाने की कोशिश की, पर वे नहीं माने। अंततः पुलिस को चक्का जाम हटाने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा।

यही वह मुद्दा था, जो विवाद का कारण बन गया। बाद में पुलिस ने गिरफ्तार किए गए बजरंग दल और संघ के नेताओं को छोड़ दिया। लेकिन, पुलिस की पिटाई विवाद का कारण बन गया और बात सरकार तक पहुंची। गृहमंत्री ने भोपाल के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को इस मामले की जांच सौंपी। पर, उससे पहले पलासिया थाने के टीआई और एक आईपीएस अधिकारी को हटा दिया गया।

यह वो मुद्दा था जिसने सरकार को उलझन में डाल दिया। क्योंकि, सरकार अभी तक अपना स्टैंड क्लियर नहीं कर पाई है कि उन्हें हिंदूवादी नेताओं का चक्का जाम करना सही लगा या पुलिस का लाठीचार्ज करके उन्हें हटाना! क्योंकि, दोनों मुद्दे एक दूसरे से जुड़े हैं। लेकिन, इसमें जो सबसे महत्वपूर्ण बात थी, जनता को होने वाले परेशानी, जिसकी तरफ किसी का ध्यान नहीं गया।

   यह भी महत्वपूर्ण है कि जब सरकार ने भोपाल के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी विपिन माहेश्वरी को जांच सौंप दी, तो फिर आईपीएस को हटाने का फैसला जल्दबाजी में क्यों किया गया! इसके बाद भी अभी हिंदूवादियों की मांग पूरी नहीं हुई। उनका कहना है कि और एक आईपीएस और दो टीआई और हैं जिन्हें हटाया जाए।

PM मोदी के धार के कार्यक्रम को क्यों बदला गया! 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब 27 जून को धार के बजाए शहडोल जिले के लालपुर में जनसभा को संबोधित करेंगे। वे यहां से 17 राज्यों के लिए सिकलसेल-एनीमिया मिशन का शुभारंभ करने वाले हैं। पहले यही कार्यक्रम धार में होने वाला था। इसके लिए कॉलेज ग्राउंड का चयन भी कर लिया गया था। लेकिन, अचानक कार्यक्रम में बदलाव किया गया।

इसके प्रशासनिक कारण कुछ भी हों, पर यदि ये कार्यक्रम पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार धार में होता तो इसका असर पूरे पश्चिमी एमपी विशेषकर आदिवासी और निमाड़ अंचल के 4-5 जिलों में होता और भाजपा को उसका राजनीतिक फ़ायदा मिलता। पिछले चुनाव में यहां भाजपा को 66 में से 16 सीटें मिली थी, जो जिसने पार्टी के बहुमत के आंकड़े को घटा दिया था। यदि मोदी यहां आते तो इसका चुनावी फायदा मिलना तय था।

एंपेनेल्ड हुए 24 लेकिन अभी केवल 4 IAS अधिकारी सचिव बने, MP से भी एक अफसर

केंद्र सरकार में पिछले हफ्ते जो दो दर्जन आईएएस अधिकारी सचिव रैंक में एम्पैनल हुए। एम्पैनल सूची में 1992 बैच के केवल चार आईएएस अधिकारी को दस दिन के अंदर ही सचिव पद पर नियुक्ति मिल जाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि जिस प्रकार इन चार अधिकारियों को महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी गई उससे यह स्पष्ट है कि यह चारों अधिकारी परिणाममूलक माने गये हैं।

 

MP के एक और IAS अधिकारी को केंद्र में मिली महत्वपूर्ण जिम्मेदारी

मध्य प्रदेश काडर के एक और आईएएस अधिकारी को केंद्र मे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है। पंकज अग्रवाल नये ऊर्जा सचिव बनाए गए हैं। 1992 बैच के आईएएस अधिकारी अग्रवाल वर्तमान में वित्त मंत्रालय मे अपर सचिव है और अगले महीने अपनी नयी जिम्मेदारी संभालेंगे।

पिछले हफ्ते इस कालम मे भी कहा गया था कि मध्य प्रदेश के जो तीन आईएएस सचिव के लिए एम्पैनल हुए हैं उनमें से एक को बहुत जल्दी नियुक्ति मिल सकती है। और हमारी बात पर मुहर भी लग गई जब पंकज अग्रवाल को ऊर्जा सचिव पद पर नियुक्ति प्रदान की गई।

 

एक महीने में MP के दो IAS को केंद्र में नयी जिम्मेदारी मिलने की संभावना

मध्य प्रदेश काडर के 2007 बैच के दो आईएएस अधिकारी केंद्र में संयुक्त सचिव के पद पर एम्पैनल हुए हैं। एस के मिश्रा और संकेत भोंडवे। मिश्रा अभी वित्त मंत्रालय मे निदेशक है जबकि भोंडवे परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के पी एस है। दोनों ही अधिकारियों को एक महीने के अंदर नयी जिम्मेदारी मिलने की संभावना है।

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सुरेश तिवारी

MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।