Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista:आतंकवादियों को फांसी: तत्कालीन SP की बहादुरी का सम्मान

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Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: आतंकवादियों को फांसी: तत्कालीन SP की बहादुरी का सम्मान

6 साल पहले भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में हुए धमाकों में कई लोग घायल हुए थे। 2017 की इस घटना में नौ आतंकवादी शामिल थे और एक नियोजित षड्यंत्र के तहत इस ट्रेन में विस्फोटक प्लांट किए गए थे। इस घटना में शामिल एक आतंकवादी को तो पुलिस ने एनकाउंटर में मार दिया था। बाकी बचे 8 आतंकवादियों में से 7 को पिछले हफ्ते लखनऊ की एक अदालत ने फांसी की सजा सुनाई और एक को आजीवन कारावास की सजा दी। दरअसल, इस केस को पुख्ता बनाने में सबसे बड़ी भूमिका थी होशंगाबाद के तत्कालीन एसपी आशुतोष प्रताप सिंह की।

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: आतंकवादियों को फांसी: तत्कालीन SP की बहादुरी का सम्मान

7 मार्च 2017 को उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में आतंकवादियों ने धमाका किया था। उसके बाद आतंकवादी भागकर पिपरिया आ गए। इस बात की जानकारी तत्कालीन एसपी को मिली और फुलप्रूफ योजना बनाई गई। उनके नेतृत्व में जिला पुलिस बल ने तीन आतंकवादियों को दोपहर 3 बजे चलती बस से पकड़ लिया। जब उनसे कड़ाई से पूछताछ की गई, तो उन्होंने सब कुछ उगल दिया। पकड़े गए इन आतंकवादियों ने अपने साथियों का पता बताया जिसके बाद यूपी की एटीएस ने सभी को गिरफ्तार कर लिया।

लखनऊ कोर्ट ने पिछले सप्ताह इन सभी आठ आतंकवादियों को सजा दी। इस ऑपरेशन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका जिन लोगों की थी, उनमें एसपी आशुतोष प्रताप सिंह के अलावा इंस्पेक्टर देवेंद्र चंद्रवंशी थे, जो अब स्वर्गीय हो गए। इसके अलावा तत्कालीन लवकुश शर्मा ने भी अपने अदम्य साहस का परिचय दिया था। इटारसी में पदस्थ एसडीओपी चौहान, थाना प्रभारी राम सनेही चौहान भी इस ऑपरेशन का हिस्सा थे।

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: आतंकवादियों को फांसी: तत्कालीन SP की बहादुरी का सम्मान

तत्कालीन एसपी आशुतोष प्रताप सिंह के नेतृत्व में जिला पुलिस बल को मिली इस सफलता पर कई सम्मान समारोह भी हुए। माधव ज्योति अलंकरण में भी जिला पुलिस बल की टीम को सम्मानित किया था। लेकिन, तत्कालीन एसपी आशुतोष प्रताप सिंह ने तब कहा था कि असली सम्मान उस दिन होगा जिस दिन इन आतंकवादियों को फांसी की सजा होगी। उनका भरोसा सही भी निकला। 9 में से एक तभी मार दिया गया था। बाकी 8 को अदालत ने सजा सुना दी।

कुछ ऐसे ‘कारनामे’ जो गोपाल रेड्डी की मुसीबत बने!

मध्यप्रदेश के पूर्व चीफ सेक्रेटरी एम गोपाल रेड्डी किसी भी समय गिरफ्तार किए जा सकते हैं। मनी लांड्रिंग के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गोपाल रेड्डी की अग्रिम जमानत खारिज कर दी। अब कोई ऐसा रास्ता नहीं बचा कि गोपाल रेड्डी उसकी आड़ ले सकें।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ईडी के हाथ कुछ ऐसे सबूत लगे हैं, जो उनकी गिरफ्तारी का कारण बन सकते हैं। बताया गया कि ईडी की रिपोर्ट में जल संसाधन विभाग के ठेके लेने वाली हैदराबाद की कंपनी मोंटेना के निजी प्लेन में अकसर गोपाल रेड्डी घूमा करते थे। उन्होंने अपने बेटे को हवाला के जरिए इस कंपनी से विदेशी मुद्रा भी भिजवाई थी। यह उस समय की बात है, जब गोपाल रेड्डी जल संसाधन विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव थे।

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उसी दौरान प्रदेश में ई-टेंडर घोटाला सामने आया और इसे लेकर ईओडब्ल्यू में मामला दर्ज किया गया था। उन्हीं जानकारियों के आधार पर ईडी ने भी मामला केस दर्ज कर लिया था! अब गोपाल रेड्डी की गिरफ्तारी की तैयारी है। सितंबर 2020 में रिटायरमेंट तक सब कुछ नॉर्मल था। लेकिन, तब तक ईओडब्ल्यू ने इस घोटाले के दस्तावेज ईडी को सौंप दिए थे।

गोपाल रेड्डी की मुश्किलों का असल दौर तब शुरू हुआ, जब ईडी ने रेड्डी के रिटायरमेंट के 3 महीने बाद 15 दिसंबर को उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज दर्ज किया। इसके बाद उनके हैदराबाद स्थित बंजारा हिल्स के मकान और मोंटेना सहित कई कंपनियों के ठिकानों पर छापेमारी की। इस छापेमारी में ऐसे डिजिटल सबूत हाथ लगे जिससे गोपाल रेड्डी ईडी के चंगुल से मुक्त नहीं हो सके हैं।

अविश्वास प्रस्ताव पर 47 कांग्रेस विधायकों के दस्तखत नहीं!

कांग्रेस में अंदरूनी कलह के हालात कई दिनों से बन रहे हैं। अब ये कलह सतह पर आने लगी है। बजट सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के निलंबन ने पार्टी की इस कलह को उजागर भी कर दिया। जीतू पटवारी के निलंबन के विरोध में विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में कांग्रेस की एकजुटता टूटती दिखाई दी।

कांग्रेस की तरफ से विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर कांग्रेस के सिर्फ 48 विधायकों ने दस्तखत किए हैं। जबकि, 47 विधायकों ने अविश्वास प्रस्ताव में दस्तखत नहीं किए। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ समेत कई विधायक उस दिन सदन से भी नदारद रहे। इसे बॉयकॉट समझा जाए या कांग्रेस की गुटबाजी, ये तो आने वाले वक्त में पता चलेगा। पर, अंदर जो चल रहा है, वो दिख भी रहा है।

मध्य प्रदेश: पूर्व मंत्री जीतू पटवारी को विधानसभा ने नोटिस जारी किया, सदन में कांग्रेस विधायकों का हंगामा न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Wed, 16 Mar 2022 01:10 PM IST सार राज्यपाल के अभिभाषण के बहिष्कार के मामले में कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी को बुधवार को विधानसभा ने नोटिस जारी किया है। इस पर सदन में कांग्रेस विधायकों ने नारेबाजी और हंगामा किया। मध्य प्रदेश विधानसभा (फाइल फोटो) मध्य प्रदेश विधानसभा (फाइल फोटो) - फोटो : अमर उजाला विस्तार कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी को बुधवार को विधानसभा ने नोटिस जारी किया है। राज्यपाल के अभिभाषण के बहिष्कार के मामले में ये कार्रवाई की गई है। इस पर सदन में कांग्रेस विधायकों ने नारेबाजी और हंगामा किया। विधानसभा की तरफ से जीतू पटवारी को जारी नोटिस पर गोविंद सिंह ने विरोध दर्ज कराया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने नियम पढ़कर बताया। नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कोई खेद प्रकट नहीं करेगा। इसके बाद कांग्रेस विधायकों ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी और जमकर हंगामा किया

जीतू पटवारी के निलंबन के बाद कई कांग्रेसी विधायक उनके आवास पर पहुंचे! तय हुआ है कि 13 या 14 मार्च को कांग्रेस प्रदेश में बड़ा आंदोलन करेगी। कमलनाथ से बात करने के बाद तारीख तय होगी। नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने कहा कि बड़े आंदोलन की तैयारी करों। हम ईंट से ईंट बजा देंगे।

‘आप’ के ठंडे पड़े चुनाव अभियान को हवा देने की कोशिश!

मध्यप्रदेश में नगर निगम चुनाव के समय बहुत ज्यादा सक्रिय दिखाई देने वाली और एक जगह महापौर का चुनाव जीतने वाली ‘आम आदमी पार्टी’ (आप) की सक्रियता ठंडी पड़ गई। अब पार्टी विधानसभा चुनाव के लिए उतनी मुस्तैदी से काम करती दिखाई नहीं दे रही, जितना उसे होना चाहिए। बताते हैं कि इसके पीछे मूलतः दो कारण हैं, जिस कारण ‘आप’ का मध्यप्रदेश फ़तह का अभियान ठंडा पड़ गया।

Manish Sisodia Arrested

एक कारण तो यह कि दिल्ली सरकार के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया इन दिनों जेल में है। उनकी रिमांड अवधि भी हाल ही में फिर बढ़ा दी गई। इस कारण आप पार्टी की राजनीतिक गतिविधियां अपेक्षाकृत ठंडी पड़ गई। दूसरा बड़ा कारण यह बताया जा रहा कि मध्य प्रदेश की ‘आप’ पार्टी की प्रदेश इकाई को पार्टी के केंद्रीय संगठन ने भंग कर दिया था। उसके बाद प्रदेश के सारे ‘आप’ नेता भूतपूर्व हो गए।

अभी कोई भी ऐसा पदाधिकारी नहीं है, जो पार्टी की गतिविधियों का झंडा थाम कर आगे चल सके। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव को लेकर चल रहा पार्टी का कामकाज ठंडा पड़ गया। ऐसे में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी ने उसे और ठंडा कर दिया। अब जो बयानबाजी चल रही है, वह पार्टी की भंग इकाई के नेता ही पार्टी को जिंदा रखने के लिए कर रहे हैं।

पार्टी ने 14 मार्च को भोपाल में अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान के नेतृत्व में पहली चुनावी सभा का एलान भी किया है। पार्टी का यह भी कहना है कि पार्टी का सदस्यता अभियान भी जारी है। लेकिन, प्रदेश की नई इकाई मार्च के अंत तक ही आकार लेगी।

आदिवासियों में क्यों धड़कता है कमिश्नर का दिल! 

शहडोल कमिश्नर राजीव शर्मा की गिनती बेहद संवेदनशील और सजग ब्यूरोक्रेट में होती हैं। वे अच्छे और जाने-माने लेखक भी हैं। उनकी सक्रियता सरकारी कामकाज के अलावा सोशल मीडिया पर भी अक्सर दिखाई देती है। उन्हें नजदीक से समझने वाले उनमें और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान में एक समानता देखते हैं।

वैसे तो किसी राजनेता और ब्यूरोक्रेट में कोई समानता होने की बात नहीं कही जा सकती, लेकिन इन दोनों का दिल आदिवासियों के लिए एक जैसा धड़कता है। मुख्यमंत्री भी आदिवासियों के प्रति बेहद संवेदनशील और गंभीर नजर आते हैं। वही स्थिति राजीव शर्मा की भी है। वे भी अक्सर बैगा आदिवासियों के बीच दिखाई देते हैं। हाल ही में आयोजित बेगा उत्सव में वे जिस तरह आदिवासियों के बीच गले में ढोल लटका कर थिरके वह कुछ नया संदेश दे रहा था। उत्सवों और कार्यक्रमों में जनजाति के प्रति उनका लगाव और सरकारी योजनाओं में भी उनको ज्यादा से ज्यादा लाभ दिलाने की कोशिश, यह सब भी अलग संदेश देने के लिए काफी है।

Commissioner's Dance in Karma Festival : 'बैगा' के कार्यक्रम में शहडोल कमिश्नर भी मस्ती में झूमे!

 वैसे देखा जाए तो किसी कमिश्नर के लिए यह एक प्रशासनिक कार्य और उनकी जिम्मेदारी है। लेकिन खबर खोजियों का कहना है शायद राजीव शर्मा ये सब भविष्य की तैयारियों के तहत कर रहे हैं। रिटायरमेंट के बाद
ये तैयारियां किस तरह काम आएगी, यह समय बताएगा?


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नरेंद्र सिंह तोमर और गृह प्रदेश के PS

मध्य प्रदेश के बड़े भाजपा नेता और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कद मोदी सरकार में भी काफी वजनदार है। पिछले नौ सालों में उनके चार निजी सचिव रहे!

Return of Agricultural Law : कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के बयान से विवाद बढ़ा https://mediawala.in/return-of-agricultural-law-controversy-escalated-due-to-the-statement-of-agriculture-minister/

इनमें से तीन मध्य प्रदेश काडर के आईएएस अधिकारी रहे। सबसे पहले निकुंज श्रीवास्तव फिर नवनीत मोहन कौठारी और वर्तमान में तेजस्वी नायक उनके पी एस हैं। तोमर के तीसरे पी एस छत्तीसगढ़ काडर के मुकेश कुमार थे। तोमर मोदी सरकार के एक मात्र ऐसे मंत्री है जिन्हें गृह प्रदेश के काडर के ही पी एस मिले।

दो मामलों को लेकर सत्ता के गलियारों में रही गहमागहमी

सुप्रीम कोर्ट ने बीते सप्ताह दो महत्वपूर्ण फैसले सुनाए जिन्हें लेकर सत्ता के गलियारों में काफी गहमागहमी रही। निर्वाचन आयोग की नियुक्ति संबंधी रुलिंग को लेकर जहां अफसरशाही के तीखे तेवर देखने को मिले वहीं अडानी मामले की जांच को लेकर बनाई गई विशेषज्ञों की समिति को लेकर भी गलियारों में बेचैनी देखने को मिली। हालांकि एक वर्ग ऐसा भी था जो अदालत के फैसले से खुश है। अब सबकी नजर सरकार के अगले कदम की ओर है।

राहुल के बयान को लेकर चल रही है बहस

राजधानी दिल्ली के सत्ता और राजनीतिक गलियारों में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में भारत के बारे में दिए गए बयान को लेकर बहस चल रही है।

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कई लोग तो इसे विशुद्ध राजनीतिक बयान बता कर ज्यादा तवज्जो नहीं देने की सलाह दे रहे हैं। गलियारों में इस बात की भी आशंका है कि कांग्रेस के कुछ खास नेताओं के बारे में जल्दी ही कोई विशेष खबर आ सकती है। फिलहाल तो इंतजार करो के फार्मूले का ही पालन करना पडेगा।

SSB को मिली महिला मुखिया

केंद्रीय अर्धसैनिक बल एस एस बी को आखिर नया मुखिया मिल गया। महाराष्ट्र काडर की 1988 बैच की आई पी एस अधिकारी रश्मि शुक्ला एस एस बी की नयी डी जी बनाई गई है। इसके पहले वे सीआरपीएफ मे विशेष महानिदेशक थीं। यह बल नेपाल और भूटान से लगी सीमा की सुरक्षा करता है।