Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: मोहम्मद सुलेमान का जलवा!

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Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista:  मोहम्मद सुलेमान का जलवा!

सीनियर IAS अधिकारी मोहम्मद सुलेमान की बेटी की दो दिन पहले भोपाल में शादी हुई। शादी के रिसेप्शन समारोह में राजनेता से लेकर ब्यूरोक्रेट्स और उद्योग से जुड़े परिवार शामिल हुए, उससे सुलेमान की लोकप्रियता का पता लगाया जा सकता है।शादी के रिसेप्शन में जितने और जिस तरह के मेहमान शामिल हुए, उससे सुलेमान का जलवा साफ साफ दिखाई दिया। बताते हैं कि इस शादी के आमंत्रितों ने कई नए अनुमानों को जन्म दिया।

इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ,कई मंत्री, भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय के अलावा पूर्व महामंत्री सुहास भगत भी दिखाई दिए। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के साथ ही भोपाल में पदस्थ आईएएस और आईपीएस बड़े अधिकारियों के साथ कई जिलों कलेक्टर, कमिश्नर और दिल्ली से भी कई आईएएस शादी समारोह में शामिल हुए। सबसे ख़ास था संघ के नेताओं का आना। इससे ये धारणा खंडित हुई कि उनके मुख्य सचिव बनने की राह में कोई रोड़ा है।

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista:  मोहम्मद सुलेमान का जलवा!

अब मुद्दे की बात ये है कि मोहम्मद सुलेमान के मुख्य सचिव बनने की लाइन अभी मिटी नहीं है। 31 मई को जब इक़बाल सिंह बैस रिटायर होंगे, तो उनकी जगह मोहम्मद सुलेमान उस कुर्सी पर बैठे नजर आएंगे, इस बात की पूरी पूरी संभावना है। वे इस कुर्सी के सबसे सशक्त दावेदार पहले भी थे और अभी भी उनका दावा मजबूत है।

कांग्रेस अधिवेशन की कमेटियों में एमपी के दिग्गज नेताओं के नाम नहीं!

कांग्रेस का 85वां पूर्ण अधिवेशन रायपुर में 24 से 26 फरवरी के बीच आयोजित होगा। इससे पहले कांग्रेस का पिछला पूर्ण अधिवेशन वर्ष 2018 में दिल्ली में आयोजित हुआ था।

इस अधिवेशन में राजनीति और अर्थव्यवस्था समेत 6 विषयों पर मुख्य रूप से चर्चा की जाएगी। मल्लिकार्जुन खडगे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार पार्टी का पूर्ण अधिवेशन होगा। इसमें उनके निर्वाचन पर औपचारिक रूप से मुहर लगेगी और नई कार्य समिति के गठन की शुरुआत भी होगी।

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मध्यप्रदेश की दृष्टि से इस अधिवेशन को लेकर खास बात ये कि इसके लिए बनाई गई 6 कमेटियों में मध्यप्रदेश के दो दिग्गज नेताओं को किनारे कर दिया गया। कमलनाथ और दिग्विजयसिंह जैसे बड़े नाम इसमें नदारद हैं। मध्यप्रदेश से सिर्फ दो नेताओं को जगह मिली। ड्राफ्टिंग कमेटी में विवेक तनखा और किसानों और खेती की समिति में अरुण यादव का नाम है। बाकी बड़े नेताओं को हाशिये पर क्यों रखा गया, ये पार्टी में चर्चा का विषय है और मध्यप्रदेश की दृष्टि से आश्चर्य जनक भी कहा जा सकता है।

कई राज्यों के राज्यपाल बदले, ‘ताई’ फिर निराश!

राष्ट्रपति ने 13 राज्यों के राज्यपाल और एलजी बदल दिए। लेकिन, इंदौर से आठ बार सांसद रहीं सुमित्रा महाजन को राज्यपाल बनाने की सारी अटकलें फिर गलत साबित हुई। ये तीन बार हुआ, जब ‘ताई’ समर्थकों की उम्मीदें सही नहीं निकली। देखा गया है कि जब भी सुमित्रा महाजन के समर्थकों को लगता है कि उनकी नेता कमजोर हो रही हैं, तो वे उन्हें राज्यपाल बनाने का शिगूफा छोड़ देते हैं। खास बात ये कि हर बार उन्हें महाराष्ट्र का ही राज्यपाल बनाए जाने की बात चर्चा में आई।

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पिछले साल 11 अक्टूबर को जब प्रधानमंत्री श्री महाकाल लोक के लोकार्पण के लिए उज्जैन आए थे, तब उन्होंने सुमित्रा महाजन से बातचीत की थी। उसके बाद उनकी राजनीतिक सक्रियता भी बढ़ गई थी। इंदौर से जुड़े मामलों में भी उन्होंने बैठकें लेना शुरू कर दिया था। इसी बीच अटकलों का बाजार गरम हो गया कि उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया जा रहा है। इसके बाद बधाइयों का तांता लग गया।

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सोशल मीडिया पर उन्हें शुभकामनाएं दी जाने लगीं। इसके छह महीने पहले भी ‘ताई’ को महाराष्ट्र और गोवा का राज्यपाल बनाए जाने की हवा चली थी। पहले भी ‘ताई’ समर्थकों ने ऐसी ही नियुक्ति के झंडे लहराए थे। दरअसल, सुमित्रा महाजन के समर्थकों में राजनीतिक समझ वालों की कमी है। यही कारण है कि वे बिना संवैधानिक व्यवस्थाओं की जानकारी के बयानबाजी किया करते हैं। ये अलग बात है कि ‘ताई’ भी उन्हें समझाने के बजाए समर्थकों को ख्याली पुलाव बनाने का मौका देती है।

विधानसभा चुनाव में शिवराज ही बीजेपी का चेहरा होंगे!

मध्यप्रदेश को लेकर लंबे समय से भाजपा में सुगबुगाहट है कि विधानसभा चुनाव से पहले क्या होगा! लेकिन, किसी के पास इस सवाल का पक्का जवाब नहीं है। यही कारण है कि सवाल लगातार आकार बढ़ाता जा रहा है। क्या मुख्यमंत्री चुनाव तक रहेंगे? क्या प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा को दूसरे कार्यकाल का मौका मिलेगा? क्या विधानसभा चुनाव तक दोनों रहेंगे या दोनों हटेंगे, क्या दोनों में से कोई एक हटेगा? ऐसे कई सवाल हवा में हैं, पर अब धीरे-धीरे स्थिति स्पष्ट होती जा रही है। ऐसा लगता है और यह दिखा

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista:  मोहम्मद सुलेमान का जलवा!

ई भी दे रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विधानसभा चुनाव तक रहेंगे। पार्टी उनके चेहरे पर ही चुनाव लड़ेगी।
लेकिन, सियासी गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि वीडी शर्मा को उनका कार्यकाल पूरा होने पर पद से मुक्त किया जा सकता है। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उनकी जगह किसी वरिष्ठ नेता को मध्य प्रदेश के भाजपा संगठन की कमान सौंपी जा सकती है।

पहले यह कहा जा रहा था कि जेपी नड्डा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से वीडी का पलड़ा मजबूत हुआ है और वे बने रहेंगे, पर दिल्ली का सूत्र बता रहे हैं कि जेपी नड्डा के होते हुए भी वीडी शर्मा हटाए गए तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। अब देखना है कि पार्टी द्वारा अध्यक्ष पद के लिए कोई आदिवासी फार्मूला इस्तेमाल किया जाता है या मध्य प्रदेश के किसी जानकार और अनुभवी नेता को यह जिम्मेदारी दी जाती है।

उमा भारती से कैसे निजात पाएगी भाजपा!

इन दिनों भाजपा नेता उमा भारती पूरे फॉर्म में है। वह क्यों है यह बात किसी से छुपी नहीं है। उनकी नाराजगी पार्टी से है, सरकार से है या शिवराज सिंह से ये किसी को समझ नहीं आ रहा! क्योंकि, वे अपनी बयानबाजी में किसी को नहीं बक्श रही। यही कारण है कि उन्होंने शराबबंदी को हथियार बनाकर शिवराज सरकार पर हमला करना शुरू कर दिया। करीब साल भर से वे किसी ने किसी बहाने सरकार को घेरती नजर आ रही है। कभी रायसेन के किले के मंदिर का दरवाजा खोलने के लिए, कभी शराबबंदी को लेकर, कभी शराबनीति को लेकर वे मुखर होने का कोई मौका नहीं छोड़ती।

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उनका कहना है कि मैंने अपने सुझाव सरकार को दे दिए थे कि शराब नीति कैसी होना चाहिए! दरअसल, वे सुझाव को आदेश की तरह समझ रही है। उन्होंने आदेश नहीं दिए और इसका उन्हें अधिकार भी नहीं है। लेकिन, वे इस तरह प्रचारित कर रही हैं कि उन्होंने जो सुझाव दिए हैं, वह मान लिया जाए और उसी हिसाब से मध्यप्रदेश की शराब नीति बने।
उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि यदि प्रदेश में शराबबंदी कर दी गई, तो प्रदेश को हर साल मिलने वाला करीब साढ़े 11 हजार करोड़ के राजस्व के नुकसान की पूर्ति कहां होगी? क्योंकि, यह नुकसान छोटा-मोटा नहीं है और मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था जिस स्थिति में है उसमें इतना बड़ा नुकसान असहनीय होगा। उमा भारती की आदत है कि वे किसी की सुनने की स्थिति में नहीं रहती। लेकिन, अब स्थिति यहां तक आ गई कि शायद पार्टी को चुनाव से पहले उमा भारती को लेकर कोई गंभीर फैसला लेना पड़े।


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यदि वे पार्टी में रहेंगी, तो उन्हें पार्टी की रीति-नीति के हिसाब से चलना पड़ेगा अन्यथा पार्टी उनसे मुक्त हो सकती है। लेकिन, मुक्त होने की स्थिति में 9% लोधी वोटर को पार्टी किस तरह मैनेज करेगी, उसे देखना होगा। क्योंकि, उमा भारती की यही सबसे बड़ी ताकत है। इसके अलावा उनके पास कोई ऐसे लोग भी नहीं हैं, जो उनके समर्थन में सड़क पर आ सके। लेकिन, जो भी होना है पार्टी आप उनके बारे में जल्दी फैसला करने के मूड में दिखाई दे रही है।

क्या कमलनाथ ही कांग्रेस के भावी सीएम होंगे?

इन दिनों कांग्रेस में जमकर खदबदाहट के आसार हैं। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, हालात और बिगड़ते जा रहे हैं। अभी तक जिस तरह की स्थिति थी, वह ज्यादा बिगड़ रही है। ख़ास बात ये कि सबके निशाने पर कांग्रेस के अध्यक्ष का कमलनाथ ही दिखाई दे रहे हैं। सबसे ज्यादा विरोध उनको ‘भावी मुख्यमंत्री’ की तरह प्रचारित किए जाने को लेकर है। कमलनाथ समर्थक नेता उन्हें भावी मुख्यमंत्री तरह प्रचारित कर रहे हैं और उनके होर्डिंग और पोस्टर लगा रहे हैं। इस बात को लेकर पार्टी के कुछ नेताओं ने दबी-जुबान से और कुछ नेताओं ने मुखरता के साथ विरोध प्रकट किया।

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कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व में अभी तक उन्हें भावी मुख्यमंत्री नहीं बताया। लेकिन, भावी मुख्यमंत्री कौन होगा इसे लेकर भी कोई स्थिति स्पष्ट नहीं है। यह भी नहीं कहा जा सकता कि वे ही ‘भावी’ होंगे। क्योंकि, प्रदेश के हालात ऐसे हैं कि कोई भी नेता पूरे मध्यप्रदेश में स्वीकार्य हो, ऐसा दिखाई नहीं दे रहा। जो है उसे पार्टी आगे नहीं बढ़ा रही! ऐसे में अजय सिंह और अरुण यादव जैसे नेता कमलनाथ के विरोध में उतरते दिखाई दे रहे हैं तो इसे आश्चर्य नहीं कहा जा सकता! इसलिए कि कोई भी कमलनाथ को भावी मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार करने को तैयार दिखाई नहीं दे रहा।


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इसके अलावा पार्टी के नेताओं में कमलनाथ के व्यवहार को लेकर भी काफी शिकायतें हैं। उनका विधायकों और नेताओं को समय नहीं देना, उनसे मिनटों में बात करना और सबसे बड़ी बात यह कि किसी की बात सुनने के बजाए वे आदेश देने में ज्यादा विश्वास करते हैं। इसका असर यह हुआ कि पार्टी में खींचतान की स्थिति पैदा हो गई।

नई कार्यकारिणी के बाद जिस तरह के हालात बने हैं, उससे कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व के भी नाराज होने की ख़बरें हैं। खंडवा और इंदौर के अध्यक्षों को घोषणा के बाद उन्हें होल्ड पर रखा जाना और नए नाम पर विचार किया जाना ऐसी घटना है, जिसने कमलनाथ को कमजोर किया है। कमलनाथ इनसे सीख लेने के बजाय अपनी जिद पर अड़े हैं। अब गेंद राष्ट्रीय नेतृत्व के पाले में है कि आगे क्या फैसला होता है। वे वास्तव में भावी मुख्यमंत्री होंगे या नहीं!

बेटी की शादी में IAS ने बेसहाराओं को भोज दिया!

घर में बेटी की शादी हो, तो अमीर हो या गरीब सभी लोग खुशियां अपने परिवार और स्नेहियों के बीच मनाते हैं। लेकिन, यदि कोई IAS अधिकारी अपनी बेटी की शादी की खुशियां गरीब, बेसहारा और कन्याओं के साथ मनाए तो उसे क्या कहा जाएगा! ये कोई ख्याली सवाल नहीं बल्कि सच्चाई है। लेकिन, ग्वालियर में एक आईएएस अधिकारी किशोर कन्याल ने अपनी बेटी की शादी में यही किया।

ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर किशोर कन्याल की बेटी देवांशी की शुक्रवार को शादी थी। उन्होंने शहर के थ्री-स्टार होटल में हुए इस शाही भोज में कन्याल, उनकी बेटी और पत्नी ने हाथों से आमंत्रित गरीबों, बेसहाराओं और कन्याओं को भोजन परोसा। इसके बाद उन्हें उपहार देकर सम्मान के साथ विदा किया। इस भोज में स्वर्ग सदन आश्रम में रहने वाले गरीब बेसहारा शामिल हुए। सभी ने बेटी देवांशी को आशीर्वाद और शुभकामनाएं दीं।

ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर किशोर कन्याल

किशोर कन्याल ने कहा कि उनकी बेटी की खुशियों में सभी हकदार हैं। चाहे वे हमारे साथी अधिकारी हों, कर्मचारी साथी हों या फिर शहर के बेसहारा गरीब और कन्याएं। बेटी की शादी में इन सभी को भोज कराने से मुझे बहुत सुकून मिला। IAS किशोर कन्याल ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर हैं और अपने व्यवहार के कारण काफी लोकप्रिय हैं। वे महिलाओं की समस्याओं को जानने के लिए कई बार जमीन पर बैठकर भी चर्चा कर चुके हैं। उनकी सादगी की भी चर्चा होती रहती है।
सोशल मीडिया पर इस आईएएस अधिकारी की सहृदयता की तारीफ हो रही है। स्वर्ग सदन आश्रम के संचालक विकास गोस्वामी ने भी इसे प्रेरणा से भरा कदम बताया। उन्होंने कहा कि इससे दूसरे लोगों को भी लगेगा कि अपनी खुशियों में हमें उन लोगों को भी शामिल करना चाहिए जिनके लिए ये एक सब एक ख्वाब होता है।


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शहडोल के एडीजीपी डीसी सागर के डांस पर सब फ़िदा

शहडोल के एडीजीपी डीसी सागर सिर्फ पुलिस अधिकारी ही नहीं, उससे अलग बहुत कुछ हैं। उनकी फिजिकल फिटनेस, सुदर्शन व्यक्तित्व को तो सभी पसंद करते हैं। लेकिन, अब उनकी एक और खासियत सामने आई। भोपाल में 4 और 5 फ़रवरी को हुई ‘आईपीएस मीट’ में उन्होंने मंच पर धमाल मचा दिया।

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एडीजीपी ने अपनी टीम के साथ गोंडवाना संस्कृति की झलक दिखाते हुए ’दीया तरे उजियार’ नाटिका प्रस्तुत की। उनके साथ बालाघाट, जबलपुर और शहडोल के पुलिस अधिकारी भी साथ रहे। नाटिका के दौरान सभी ने अपनी अभिनय क्षमता दिखाई! मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सागर को ’बेस्ट एक्टर’ का अवार्ड दिया। उन्होंने मंच पर हनुमान चालीसा भी प्रस्तुति दी। इस साल मकर संक्रांति के दिन भी शहडोल पुलिस लाइन में ‘हर हर शंभू’ की धुन पर डांस करते हुए पतंगबाजी की थी। इसका वीडियो भी वायरल हुआ था।

DG एम्पैनलमेंट में एमपी से कोई IPS अधिकारी नहीं

केंद्र सरकार ने हाल ही में आईपीएस अधिकारियों का बहुप्रतीक्षित एम्पैनलमेंट कर दिया। डीओपीटी के आदेश के अनुसार 20 अधिकारियों को केंद्र में डीजी एम्पैनल किया गया है। ये आईपीएस अधिकारी 1988 और 1990 बैच के है। इनमें दो अधिकारी – रश्मि शुक्ला और विवेक सहाय 1988 बैच के है। 18 आईपीएस अधिकारी 1990 बैच के है। 1990 बैच के तीन आईपीएस अधिकारी – सीमा अग्रवाल, एस एस चतुर्वेदी और तिलोत्तमा वर्मा को डीजी समकक्ष एम्पैनल किया गया है है। इन 20 अधिकारियों में मध्य प्रदेश से कोई भी आईपीएस अधिकारी डीजी लेवल पर एंपैनल नहीं हो पाया।

केंद्र सरकार ने डी जी के साथ ही एडीजी स्तर के अधिकारियों का भी एंपैनलमेंट किया है। 1992 बैच के केवल तीन आईपीएस और 1994 के 30 आईपीएस अधिकारी एडीजी एम्पैनल हुए हैं। एडीजी स्तर पर मध्यप्रदेश से केवल दो अधिकारी 1994 बैच के एंपेनल्ड किए गए हैं। यह है: अनंत कुमार सिंह और मनमीत सिंह नारंग।