Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista : प्रियंका का इशारा, कमलनाथ के नाम पर मुहर!

1310

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista : प्रियंका का इशारा, कमलनाथ के नाम पर मुहर!

बहुत दिनों से इस मामले को लेकर असमंजस था, कि यदि अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री कौन होगा! कांग्रेस में भी इस मुद्दे पर उहापोह की स्थिति देखी गई। लेकिन, प्रियंका गांधी के ग्वालियर दौरे से यह स्पष्ट हो गया कि यदि कांग्रेस की सरकार बनाने की स्थिति आती है तो मुख्यमंत्री कमलनाथ ही होंगे। प्रियंका गांधी ने इशारे में इस बात का संकेत भी दे दिया।

जनआक्रोश रैली में ग्वालियर आई पार्टी की महासचिव ने जनता को संबोधित करते हुए प्रदेश सरकार पर जमकर हमला बोला। साथ ही आगामी चुनावी को लेकर जनता से कई वादे भी किए। प्रियंका ने चुनाव में कांग्रेस पार्टी को वोट देने की अपील की। उन्होंने कमलनाथ से भरे मंच से एक आग्रह करके एक मामले में सील लगा दी।

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista : प्रियंका का इशारा, कमलनाथ के नाम पर मुहर!

प्रियंका गांधी ने कहा कि जब वे रानी लक्ष्मीबाई की समाधी से आ रहीं थी, तो उन्हें कुछ दिव्यांग रास्ते में मिले। जिनसे बात करने के लिए प्रियंका गांधी ने काफिला रुकवाकर उनसे मुलाकात की। दिव्यांगों ने बताया कि उनकी पेंशन मात्र 600 रुपए है। प्रियंका ने प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने पर पेंशन बढ़ाने का आश्वासन दिया। फिर प्रियंका ने मंच से ही कमलनाथ से आग्रह करते हुए कहा कि सीएम बनने के बाद वे दिव्यांगों की पेंशन बढ़ा दें।

गोपाल भार्गव क्या अभी तीन चुनाव और लड़ेंगे!

भारतीय जनता पार्टी ने अभी विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण को लेकर कोई नीति स्पष्ट नहीं की है। लेकिन, यह खबरें हवा में है कि 70 साल से ऊपर के किसी नेता को उम्मीदवार नहीं बनाया जाएगा और न पार्टी किसी नेता के बेटे को टिकट देगी। यह बात पहले भी हो चुकी है।

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista : प्रियंका का इशारा, कमलनाथ के नाम पर मुहर!

लेकिन सागर के एक भारी-भरकम नेता, प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री और 8 बार चुनाव जीते गोपाल भार्गव ने एक तरह से पार्टी को चुनौती दे दी। उन्होंने कहा कि उनके गुरु जी का कहना है कि वे अभी तीन चुनाव और लड़ेंगे। इसका सीधा सा मतलब है कि 71 साल के हो गए गोपाल भार्गव अगले 15 साल तक सक्रिय राजनीति में रहेंगे। अब यदि पार्टी होने से वंचित करती है तो वे क्या करेंगे इस सवाल का जवाब तो तभी मिलेगा जब पार्टी कोई ऐसी नीति बनाती है।

खबरें यह भी है गोपाल भार्गव अपने बेटे अभिषेक को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते हैं। लेकिन, क्या पार्टी उनके राजनीतिक उत्तराधिकार वाले विचार को कुबूल करेगी। यदि नहीं किया तो गोपाल भार्गव क्या करेंगे फिलहाल यह देखने की बात होगी।

कौन हो सकते हैं इंदौर, उज्जैन के कमिश्नर, इन नामों की है चर्चा

वैसे अभी यह तय नहीं है कि इंदौर उज्जैन संभाग के कमिश्नरों को बदला जाएगा। बताया गया है कि यह पद इलेक्शन कमीशन के एक ही स्थान पर 3 साल के पदस्थ रहने के क्राइटेरिया में नहीं आता है। फिर भी, क्योंकि इन दोनों अधिकारियों को 3 साल पूरे हो गए हैं इसलिए माना जा सकता है कि वैसे भी सरकार इनका तबादला कर सकती है। इनमें इंदौर के कमिश्नर तो प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी हो गए हैं तो उनका तबादला होने की संभावना ज्यादा है।

लोकेश कुमार जाटव
लोकेश कुमार जाटव

ऐसे में प्रशासनिक गलियारों में यह प्रश्न चर्चा में है कि अगर पवन शर्मा का तबादला होता है तो इंदौर के अगले कमिश्नर कौन होंगे। एक नाम 2004 बैच के लोकेश कुमार जाटव का है जो वर्तमान में इंदौर में ही वाणिज्यक कर कमिश्नर हैं और जो पूर्व में इंदौर के कलेक्टर भी रह चुके हैं। डॉक्टर नवनीत कोठारी का नाम भी चर्चा में है। कोठारी 2001 बैच के हैं। वर्तमान में इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के एमडी हैं। उज्जैन संभाग के कमिश्नर पद के लिए 2008 बैच के आलोक कुमार सिंह का नाम चर्चा में है। आलोक कुमार सिंह वर्तमान में राज्य विपणन संघ के एमडी है।

WhatsApp Image 2023 07 23 at 11.48.21 PM

जानकारी मिली है कि सामान्य प्रशासन विभाग ने चुनाव आयोग से इस संबंध में दिशा-निर्देश मांगे हैं कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर क्या तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुके कमिश्नरों का तबादला किया जाना जरूरी है। बताते हैं कि सरकार आयोग के जवाब का इंतजार कर रही है।

तो क्या पेंशनर्स वोटर नहीं है शिवराज जी!

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश के शासकीय कर्मचारियों के लिए तो केंद्र के समान 42% महंगाई भत्ता मंजूर कर उसे 1 जनवरी से ही देने की घोषणा कर दी। अच्छी बात यह है कि यह महंगाई भत्ता जुलाई माह से ही मंजूर होकर अगस्त माह की सैलरी में नकद भुगतान होने लगेगा।

pension11

जनवरी से जून तक का एरियर का भुगतान तीन समान किश्तों में अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में किया जाएगा। यानी तब वोट देने का समय आएगा। लेकिन, पेंशनर्स के लिए सरकार ने अभी भी कुछ नहीं किया। पहले भी जब 33% से 38% भत्ता बढ़ाया था, तब भी पेंशन के लिए यह मंजूर नहीं किया गया। अब 38 से 4 परसेंट बढ़कर 42% परसेंट किया, तब भी पेंशन को लेकर मंजूरी नहीं दी गई है।

बहाना वही पुराना है कि छत्तीसगढ़ सरकार से सहमति के बाद ही यह हो पाएगा। सरकार चाहे तो यह सहमति एक दिन में ले सकती है। लेकिन, सरकार पेंशनर्स को शायद वोटर ही नहीं मानती, इसलिए प्रदेश के 4 लाख पेंशनर्स कई दिनों से इस बात की बाट जोह रहे हैं कि उन्हें भी 42% परसेंट महंगाई भत्ता मिलने लगेगा। लेकिन, सरकार को सिर्फ वोट की चिंता है। क्योंकि कर्मचारियों की संख्या करीब 10 लाख है और पेंशनर्स की केवल 4 लाख। पता चला है कि पेंशनर्स अपनी मांगों को पूरा करने के लिए एक रणनीति बनाने वाले हैं और इसके लिए उज्जैन में 2 अगस्त को एक बड़ी बैठक रखी गई है।

पहली बार IAS- IPS विहीन सूचना आयोग अब पत्रकारों के हवाले!

यह शीर्षक जरूर चौंकाने वाला है, लेकिन है बिल्कुल सही। मध्य प्रदेश सूचना आयोग में अब केवल दो ही आयुक्त शेष बचे हैं। ये दोनों अपने समय के धाकड़ पत्रकार रहे हैं विजय मनोहर तिवारी और राहुल सिंह। सूचना आयोग में आयुक्त के पद पर पूर्व आईएएस और आईपीएस अधिकारी ही पदस्थ होते आए है। अपर मुख्य सचिव से रिटायर हुए वरिष्ठ पूर्व आईएएस अधिकारी इकबाल अहमद से लेकर रिटायर्ड डीजीपी सुरेंद्र सिंह तक की लंबी फेहरिस्त है।

पहली बार IAS- IPS विहीन सूचना आयोग अब पत्रकारों के हवाले!

राहुल सिंह
राहुल सिंह

हाल ही में पूर्व आईएएस अधिकारी डॉ अरुण कुमार पांडे के रिटायर होने के बाद अब यह दोनों पत्रकार ही सूचना आयुक्त के रूप में पदस्थ हैं। सूचना आयोग में कुल 10 सूचना आयुक्त के पद हैं। इस प्रकार वर्तमान में 8 पद खाली पड़े हैं। सरकार को इन पदों की भरने की न तो पहले कोई चिंता थी और न अब कोई चिंता है। मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर जस्टिस अरविंद शुक्ला पदस्थ हैं।

एक और महिला IAS अधिकारी नहीं बन पाई कलेक्टर

यूं तो राज्य सरकार महिला सशक्तिकरण को लेकर रोज दावे करती है लेकिन प्रमोटी आईएएस महिला अधिकारियों को कलेक्टर बनने में महत्व नहीं देती है। भारतीय प्रशासनिक सेवा की 2008 बैच की अधिकारी उर्मिला शुक्ला को अगले साल जनवरी में सुपर टाइम स्केल भी मिल जाएगा लेकिन वे कलेक्टर नहीं बन पाई । उनकी ही बैच के वीरेंद्र सिंह रावत इस समय सागर के कमिश्नर हैं। उनके साथ के और उनके बाद के 6 साल तक के अधिकारी यानी 2014 तक के प्रमोटी IAS अधिकारी कई जिलों के कलेक्टर बन चुके हैं लेकिन उर्मिला शुक्ला आज तक कलेक्टर नहीं बन सकी।

WhatsApp Image 2023 07 23 at 11.40.55 PM
अधिकारी उर्मिला शुक्ला

सरकार में दूसरी बार ऐसा हो रहा है जब महिला आईएएस अधिकारी को कलेक्टर नहीं बनाया गया। इसके पहले प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री शिवभानु सिंह सोलंकी की सुपुत्री राजकुमार खन्ना भी सुपर टाइम तक पहुंचकर रिटायर तो हो गई लेकिन कभी भी कलेक्टर नहीं बन सकी। बता दे कि उर्मिला शुक्ला विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व मंत्री राम किशोर शुक्ल की बहू है। उर्मिला भोपाल में वर्तमान में वाल्मी संस्थान की संचालक हैं।

IAS के अलावा अन्य सेवाओं के आधा दर्जन अधिकारी बने संयुक्त सचिव

केंद्र सरकार में पिछले हफ्ते 35 संयुक्त सचिव नियुक्त किए। इनमे दो दर्जन से अधिक आईएएस अधिकारी है और आधे दर्जन से अधिक अन्य अखिल भारतीय सैवाओं के अधिकारी है। एक लंबे अर्से के बाद अन्य सेवा के अधिकारियों को संयुक्त सचिव के पद पर नियुक्ति मिली है। इस बीच पता चला है कि केंद्र मे आधै दर्जन सचिव की नियुक्ति इस महीने के अंत तक हो सकती है।

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष को सेवा विस्तार मिलेगा या नहीं?

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष विवैक जौहरी 31 जुलाई को रिटायर हो रहे है। वे भारतीय राजस्व सेवा, कस्टम के अथिकारी है। हालांकि गलियारों में उन्हे सैवा विस्तार मिलने की चर्चा है। लेकिन सूत्रों ने इस संभावना से इंकार किया है। बहरहाल, बोर्ड के नये मुखिया का फैसला भी इसी महीने होना है।

Author profile
Suresh Tiwari
सुरेश तिवारी

MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।