Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: भाजपा की राजनीति में नए इक्वेशन

1291
Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: भाजपा की राजनीति में नए इक्वेशन

शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बने वैसे तो पौने दो साल हो गए हैं लेकिन सियासी गलियारों में अभी भी यह माना जाता है कि अभी भी उनकी स्थिति पिछले कार्यकालों के समान मजबूत नहीं दिखाई देती है। यह बात शायद वे खुद भी जानते हैं इसीलिए वे प्रदेश के दिग्गज भाजपा नेताओं को यदा-कदा यहां वहां संभालते रहते हैं।

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: भाजपा की राजनीति में नए इक्वेशन

ताजा मामला नरेंद्र सिंह तोमर को लेकर है। पिछले कुछ दिनों से यह माना जा रहा था कि शिवराज और नरेंद्र सिंह तोमर के बीच वह इक्वेशन नहीं दिखाई दे रहा है जो पिछले कार्यकाल में था।

ज्योतिरादित्य सिंधिया को खुश रखना शायद यह शिवराज की मजबूरी है लेकिन नरेंद्र सिंह तोमर से दूर रहना, बात समझ से परे है। शायद इसी बात को देखते हुए हाल ही में तो ऐसे दो वाकए हुए जहां शिवराज और तोमर के बीच इक्वेशन बेहतर दिखाई दिए।

shivraj singh chouhan jyotiraditya scindia 1584692254

दिल्ली में हाल ही में नितिन गडकरी के कार्यालय में प्रदेश की सड़कों को लेकर महत्वपूर्ण मीटिंग में नरेंद्र सिंह तोमर शिवराज के साथ बैठे दिखाई दिए। वैसे केंद्र में मध्य प्रदेश के तीन और मंत्री हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया, वीरेंद्र कुमार और प्रहलाद पटेल (धर्मेंद्र प्रधान को हम यहां नहीं जोड़ रहे हैं, वह भले ही मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य होकर केंद्र में मंत्री है लेकिन उनकी गिनती उस तरह से नहीं ली जा सकती) लेकिन इन तीनों मंत्रियों को उस बैठक में नहीं बुलाया गया जबकि सड़कों के मान से इनके इलाकों में भी धनराशि का आवंटन हुआ है।

एक और प्रसंग है- ग्वालियर में हाल ही में जब मुख्यमंत्री गए तो उन्होंने शाम को 3 घंटे शहर भ्रमण किया। इसमें भी अकेले नरेंद्र सिंह तोमर ही साथ में थे। इसके पहले के सभी दौरों में सीएम के साथ सिंधिया नजर आते थे लेकिन शहर भ्रमण के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया का साथ में दिखाई नही देना, कई नए प्रश्नों को जन्म दे गया।

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: भाजपा की राजनीति में नए इक्वेशन

उधर प्रदेश के दिग्गज गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा कि दिल्ली में सिंधिया से गुपचुप हुई मुलाकात को भी इसी नजर से देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि ग्वालियर की राजनीति की दृष्टि से और प्रदेश की ओवरऑल राजनीति की दृष्टि से भी, नरोत्तम मिश्रा और सिंधिया का नजदीक आना नए इक्वेशन को जन्म दे रहा है। मामला जो भी हो, राजनीति में सब कुछ जायज है, संभव है।

दो दिग्गजों का विवाद सोनिया के दरबार में!

प्रदेश के दो दिग्गज कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच खींचतान का मामला गंभीर होता जा रहा है। बताया जा रहा है कि अब ये मसला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के दरबार में पहुंच गया है। दिग्विजय सिंह ने सीएम निवास के सामने धरने वाले दिन हुई घटना को सोनिया गांधी के सामने रखा है।

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: भाजपा की राजनीति में नए इक्वेशन

समझा जा रहा है कि सार्वजनिक जगह पर दोनों के बीच हुआ विवाद अब इस स्थिति में आ गया कि इसका नुकसान कमलनाथ को झेलना पड़ सकता है। सूत्रों से मिली जानकारी को अगर माने तो दिग्विजय सिंह ने साफ़ कहा कि अब या तो कमलनाथ को प्रदेश बनाकर रखा जाए या नेता प्रतिपक्ष! दोनों पद तो कतई स्वीकार नहीं! लेकिन, खाली होने वाले पद पर फिर कौन बैठेगा, दिग्विजय सिंह ने उसका भी नाम बता दिया! अब इंतजार इस बात का है कि ये फैसला होता कब है और क्या दिग्विजय द्वारा बताए नाम को हाईकमान मंजूर करेगा!

सीएम सचिवालय में एक और प्रमुख सचिव की होगी तैनाती

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का काम अब राष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में उन्हें अपने स्टाफ में और अधिक काबिल व्यक्तियों की जरूरत पड़ रही है। सूत्रों की अगर मानें तो 1992 बैच के आईएएस अधिकारी केसी गुप्ता की केंद्र सरकार से प्रतिनियुक्ति से प्रदेश वापसी को इसी नजर से देखा जा रहा है।

K C Gupta 800x445 1

राज्य सरकार ने आग्रह करके उनकी सेवाओं को वापस मांगा है। इसलिए यह माना जा रहा है कि वे मुख्यमंत्री सचिवालय में प्रमुख सचिव बनाए जा सकते हैं। बता दें कि कुछ साल पहले शिवराज सरकार ने ही इकबाल सिंह बैंस को उनकी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से अवधि समाप्त होने से कुछ साल पहले वापस मध्यप्रदेश बुलाया था। उस समय भी उन्हें इसी आधार पर बुलाया गया था कि राज्य सरकार को उनकी सेवाओं की आवश्यकता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार यही आधार के सी गुप्ता के मामले में भी लिया गया है।

वैसे इसी संदर्भ में एक नाम 1998 बैच के आकाश त्रिपाठी का भी चल रहा है जो हाल ही में सचिव से प्रमुख सचिव बने हैं।

2020031252 omgkle1zj772najhmn002uwbwupazo5jy6y6f4nxoo

यह नाम इसलिए भी चर्चा में आया है कि आकाश त्रिपाठी भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जाना चाहते हैं लेकिन सरकार उनको भेजना नहीं चाहती है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में कौन मुख्यमंत्री सचिवालय में आमद देता है।

फिलहाल मुख्यमंत्री सचिवालय में एक ही प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी है। ऐसे में एक- दो प्रमुख सचिव और बढ़ जाएं तो कोई नई बात नहीं होगी। बता दे कि सीएम शिवराज के इसके पहले के कार्यकाल में एक समय में 3 से अधिक प्रमुख सचिव रहे हैं।

एक जिला जहां महिलाओं का ही राज है, एसपी को छोड़कर सभी वरिष्ठ अधिकारी महिलाएं

यह वाकई कल्पना से परे है कि जिले में एसपी को छोड़कर बाकी सभी वरिष्ठ पदों पर अधिकांश महिला अधिकारी पदस्थ हैं। लेकिन यह बात 100% सही है। देश में महिला सशक्तिकरण का शायद इससे बड़ा कोई उदाहरण नहीं मिल सकता।

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: भाजपा की राजनीति में नए इक्वेशन
कलेक्टर हर्षिका सिंह

हम यहां बात कर रहे हैं प्रदेश के आदिवासी बहुल जिले मंडला की, जहां कलेक्टर हर्षिका सिंह, अपर कलेक्टर मीना मसराम, सीईओ जिला पंचायत रानी बाटड़, वन मंडल अधिकारी उत्पादन वसु कनौजिया, उप संचालक कृषि मधु, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी श्वेता जाधव, जिला आबकारी अधिकारी सीमा कश्यप, तीन एसडीएम प्रियंका वर्मा एसडीएम नैनपुर, शिवाली सिंह एसडीएम निवास और सुलेखा ठाकुर एसडीएम बिछिया कार्यरत हैं।

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: भाजपा की राजनीति में नए इक्वेशन
अपर कलेक्टर मीना मसराम

हम यह मानकर चलते हैं कि नक्सलाइट प्रभावित जिले के रूप में गिनती होने से सरकार ने शायद वहां महिला एसपी को पदस्थ करना उचित नहीं समझा वरना

ऐसा लगता है कि राज्य सरकार ने इस जिले को महिला अधिकारियों के लिए आरक्षित कर दिया है।

और अंत में
एक कलेक्टर के तबादले की अंतर्कथा

महाकौशल क्षेत्र के एक कलेक्टर के तबादले को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस कलेक्टर की कार्यप्रणाली से कमिश्नर नाराज थे। कलेक्टर और कमिश्नर के बीच बिल्कुल पटरी भी नहीं बैठ रही थी। कमिश्नर जब से पदस्थ हुए, तब से कलेक्टर के ट्रांसफर के पीछे लगे थे। लेकिन, कलेक्टर उन पर भारी पड़ रहे थे। बताया गया है कि कलेक्टर का आरएसएस कनेक्शन होने से अपनी मनमर्जी का प्रशासन चला रहे थे और कमिश्नर उनका कुछ बिगाड़ नहीं पा रहे थे।

इस बीच प्रभारी मंत्री की गत बैठक में पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा भी कलेक्टर को लेकर कुछ ऐसी बातें बताई गई जिससे पार्टी और शासन की बदनामी हो रही थी। कमिश्नर और पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी के बाद कलेक्टर की नहीं चली और अंततः उनकी विदाई हो गई।