प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को इंदौर में जमकर जलवा बिखेरा। उन्होंने बायोगैस संयंत्र का लोकार्पण तो वर्चुअल किया, पर उन्होंने जो कहा उससे इंदौरी गदगद हो गए! ख़ास बात ये कि उन्होंने स्वच्छता के मामले में यहाँ के लोगों की तारीफ की और इंदौर के लोगों की सबसे बड़ी कमजोरी ‘इंदौर के नमकीन’ का भी जिक्र किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इंदौर के लोग जितने अच्छे हैं, उन्होंने उतना अच्छा इंदौर को भी बनाया। मोदी ने इंदौरी नमकीन को याद करते हुए कहा कि इंदौर के लोग सिर्फ ‘सेंव’ के शौकीन नहीं हैं, बल्कि उन्हें ‘सेवा’ करना भी आता है। उन्होंने कहा कि आज का दिन इंदौर को एक नई पहचान और ताकत देगा।
प्रधानमंत्री ने 30 साल तक इंदौर का लोकसभा में प्रतिनिधित्व करने वाली पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन की भी तारीफ की।PM ने कहा कि मैं सुमित्रा ताई का आभार व्यक्त करना चाहूंगा, जिन्होंने इंदौर की पहचान को नई ऊंचाई तक पहुंचाया। इस बात की प्रसन्नता है कि मौजूदा सांसद शंकर लालवानी भी उनके नक्शे-कदम पर इंदौर को आगे बढ़ाने, बेहतर बनाने के लिए काम कर रहे हैं।
केंद्र में रक्षा उत्पादन सचिव पद के लिए लॉबिंग
केंद्र सरकार में रक्षा उत्पादन सचिव का पद पिछले लगभग तीन महीने से खाली पडा है। रक्षा सचिव ही इसका अतिरिक्त प्रभार संभाले हुए हैं। हालांकि केंद्र में पदस्थ दो सचिव और एक राज्य में पदस्थ आई ए एस इस महत्वपूर्ण पद को पाने के लिए लाबिंग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक किसी को भी सफलता नहीं मिली है।
पहले रक्षा उत्पादन सचिव राजकुमार थे जो पिछले साल अक्टूबर में अपने काडर गुजरात वापस चले गए। रक्षा सचिव अजय कुमार के पास पिछले साल नवंबर से अतिरिक्त चार्ज है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केंद्र के इस महत्वपूर्ण विभाग में सचिव बनने के लिए जो प्रयासरत हैं, उनमें सूचना प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा और परिवहन सचिव गिरधर अरमाने शामिल हैं। इनके अलावा उ प्र के पूर्व मुख्य सचिव आर के तिवारी, जो फिलहाल उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम के अध्यक्ष हैं भी दिल्ली आकर इस महत्वपूर्ण पद पर आसीन होना चाहते हैं। वैसे उनका केंद्र सरकार में सचिव पद पर एंपैनलमेंट हो चुका है।
केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से MP वापस लौटने को बेताब यह IAS
मध्यप्रदेश कैडर के 87 बैच के एक आईएएस अधिकारी, जो पिछले 3 साल से केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं, वापस मध्यप्रदेश लौटने को बेताब हो रहे हैं। वे जिस विभाग के अभी सचिव हैं, वह विभाग तुलनात्मक रूप से कम महत्व का है और बहुत छोटा माना जाता है और उन्हें कतई रास नहीं आ रहा है।
अधिकारी को सचिव बने हुए 2 साल हो चुके हैं। जब वे पदोन्नत होकर सचिव बने थे तब शुरुआत के दौर में वे महिला और बाल विकास विभाग के सचिव थे जो पूरे मंत्रालय को संभालता था। लेकिन वे इस मंत्रालय में 6 महीने भी टिक नहीं सके और उन्हें शिफ्ट कर ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधीन एक छोटे और कम वजनदार विभाग भूमि संसाधन में सचिव बना दिया गया जहां वे डेढ़ साल से पदस्थ हैं और पूरी कोशिश में लगे रहते हैं कि वापस अपने मूल कैडर मध्यप्रदेश लौट जाएं। सभी प्रयास और तिकड़म लगाने के बाद भी, अभी तक उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो पाई है। ऐसा लगता है कि मध्यप्रदेश सरकार भी उन्हें वापस लेने में बहुत रुचि नहीं ले रही है क्योंकि अगर ऐसा होता तो शायद अब तक उनकी मध्यप्रदेश में वापसी हो जाती।
बता दें कि मध्य प्रदेश कैडर के 1987 बैच के अन्य अधिकारी, जो केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं, अच्छे विभागों में पदस्थ हैं।
MP में सड़कों की नई योजनाओं की मंजूरी: परदे के पीछे है यह महिला IAS
मध्यप्रदेश में सड़कों को लेकर पिछले दो माह में कई नए कार्यों और योजनाओं को मंजूरी मिली है। बेशक इसके लिए राज्य सरकार द्वारा सभी स्तरों पर प्रयास भी किए गए लेकिन इसके पीछे सर्वाधिक रोल अगर किसी का है तो वह है मध्यप्रदेश कैडर की 1990 बैच की आईएएस अधिकारी अलका उपाध्याय का।
वे 2 माह पहले राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की चेयरमेन बनाई गई है। वे उन बिरले अधिकारियों में हैं जिन्हें केंद्र सरकार ने एडिशनल सेक्रेटरी होने के बावजूद भी सेक्रेटरी स्तर के इस महत्वपूर्ण पद पर पदस्थ किया। वैसे उनका सेक्रेटरी पद के लिए एंपैनलमेंट हो चुका है और वे अब कभी भी उस रूप में इस पद पर आ जाएंगी।
आपको बता दें कि अभी कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली गए थे जहां केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने MP के 56 नगरों की सड़कें को चकाचक करने के लिए 747 करोड़ की योजना को मंजूरी दी। इस बैठक में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के सभी महत्वपूर्ण अधिकारी मौजूद थे जिनमें अलका उपाध्याय भी मौजूद थी।
इंदौर में आगरा मुंबई बाईपास पर एक साथ पांच फ्लाईओवर बनाने की मंजूरी के पिछले 2 साल से प्रयास चल रहे थे लेकिन हाल ही में इनकी मंजूरी मिल गई और टेंडर जारी हो गए है। इनमें मध्य प्रदेश में अपने तरह का 3 लेयर वाला पहला ब्रिज भी शामिल है जिसके लागत 200 करोड़ बताई जा रही है।
दरअसल मध्यप्रदेश केडर की अधिकारी होने के कारण उसका फायदा प्रदेश के विकास में सही रूप में मिल रहा है, इसमें कोई शक नहीं है।
दिग्विजय के राजनीतिक मजाक का संकेत
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की राजनीति की अपनी एक अलग ही अदा है। वे राजनीति करने में बेहद गंभीर हैं, पर अपनी बात को कुछ अंदाज में कहते हैं कि सामने वाले को उसे समझने में ज्यादा मेहनत करना पड़ती है। जिस दिन प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ भोपाल में जिला अध्यक्षों की बैठक ले रहे थे, दिग्विजय सिंह निमाड़ में थे।
खंडवा में एक दरगाह पर चादर चढाने गए थे, वहां अनौपचारिक बातचीत के दौरान जब कांग्रेस के भावी मुख्यमंत्री की चर्चा चली, तो दिग्विजय सिंह ने मजाक के अंदाज में ऐसा तीर चलाया कि लोग समझ भी गए और दिग्विजय सिंह ने साफ़-साफ़ कुछ कहा भी नहीं! क्योंकि, वे जानते हैं कि राजनीतिक मजाक के अपने अलग मतलब होते हैं। दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस के भविष्य के चेहरे को लेकर अपनी राय भी दे दी।
प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव भी उनके थे। वहां मौजूद लोगों ने दिग्विजय सिंह के दोबारा मुख्यमंत्री बनने की दुआ मांगने की अपील की। इस पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि हमारा काम तो पूरा हो गया। अरुण यादव की तरफ इशारा करके बोले ‘अब ये नए लड़के हैं, इस काम के लिए।’ उन्होंने संकेत दे दिया कि वे अब चुकी उम्र के नेताओं को मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में बिलकुल नहीं हैं! समझने वाले समझ गए कि उनका निशाना कमलनाथ की तरफ था।