Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista : क्या बनी रहेगी शिवराज- इकबाल की जोड़ी?

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Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista : क्या बनी रहेगी शिवराज- इकबाल की जोड़ी?

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista :

क्या बनी रहेगी शिवराज-इकबाल की जोड़ी?

अब इस बात के आसार ज्यादा दिखाई दे रहे हैं कि सीएम शिवराज सिंह चौहान और चीफ सेक्रेटरी इकबाल सिंह बैस की जोड़ी बनी रहेगी। हांलाकि अभी तक इस मामले पर असमंजस बना हुआ है। इस कुर्सी को लेकर अभी भी प्रशासकीय और सियासी गलियारों में यही चर्चा है कि केंद्र सरकार में सचिव अनुराग जैन प्रदेश के अगले मुख्य सचिव बन सकते हैं लेकिन जानकारों का यह कहना है कि अनुराग जैन को रिटायरमेंट में अभी पौने 3 साल हैं और वे अगर वही केंद्र में ही लगातार बने रहते हैं तो रिटायरमेंट के बाद अच्छी पोजीशन में रहेंगे। नाम तो अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान का भी बहुत चला, चल रहा है, लेकिन, आज 21 नवंबर तक मंत्रालय में इनमें से किसी को अभी तक ओएसडी नियुक्त नहीं किया गया। जबकि, यह परंपरा रही है कि जिसे चीफ सेक्रेटरी बनाया जाना होता है, उसे पहले मंत्रालय में ओएसडी बनाया जाता है। यह इसलिए जरुरी होता है कि वह सरकार के कामकाज करने के तरीके, मंशा और सीएस के काम को ठीक से फील कर सके, समझ सके।

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista : क्या बनी रहेगी शिवराज- इकबाल की जोड़ी?

यह तो सर्वविदित है कि शिवराज सिंह और इकबाल सिंह की जोड़ी की अंडरस्टैंडिंग प्रशासन में अव्वल दर्जे की मानी जाती है। समझा जाता है कि सीएम की मंशा को इकबाल सिंह बैस न सिर्फ समझते हैं, बल्कि उसके आगे तक का निष्कर्ष निकालने में माहिर हैं। अगला साल चुनावी साल है और ऐसे दौर में दोनों का लगातार सात बना रहा तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

अब इस बात की भी संभावना सबसे ज्यादा लग रही है कि बीजेपी हाईकमान ने शिवराज सिंह के नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव लड़ने का मन बना लिया है तो उनकी पसंद का भी ध्यान रखा जाना जरुरी है।

ऐसी स्थिति में इस बात की संभावना अब लगने लगी है कि इकबाल सिंह बैंस को आगामी विधानसभा चुनाव तक 1 साल का एक्सटेंशन मिल सकता है। और यह कोई नई बात नहीं है। पहले भी यह नुस्खा कुछ भाजपा शासित राज्यों में सफलता के साथ अपनाया गया है।

जिस प्रकार केंद्र में कैबिनेट सचिव, गृह सचिव तथा जांच एजेंसियों के मुखिया का कार्यकाल रिटायरमेंट के बाद हर साल बढाया जा रहा है, उसी तरह गुजरात के मुख्य सचिव पंकज कुमार का कार्यकाल भी दिसंबर तक बढा दिया गया है। उन्हें इस वर्ष मई मे रिटायर होना था। वे 1986 बैच के IAS अधिकारी है।

उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र को भी रिटायरमेंट के एक हफ्ते पहले सेवा विस्तार देकर उत्तर प्रदेश राज्य का मुख्य सचिव नियुक्त किया गया था। वे 1984 बैच के आईएएस अधिकारी है और केंद्र में आवास तथा शहरी विकास मंत्रालय के सचिव थे। गुजरात में तो अभी चुनाव होना है लेकिन उत्तर प्रदेश में यह नुस्खा काफी कारगर रहा था।

ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जिस प्रकार उत्तर प्रदेश और गुजरात में मुख्य सचिव पद के लिए प्रयोग किया गया क्या उसकी पुनरावृति मध्यप्रदेश में भी होगी और क्या उसी प्रकार इकबाल सिंह बैंस को भी 1 साल का एक्सटेंशन मिल जाएगा? इकबाल सिंह बैंस 1985 बैच के आईएएस अधिकारी हैं जबकि अनुराग जैन और मोहम्मद सुलेमान 1989 बैच के अधिकारी है। इकबाल 24 मार्च 2020 से एमपी के सीएस है.

वैसे अगर वरिष्ठता से देखा जाए तो इकबाल सिंह बैंस के बाद केंद्र सरकार में सचिव भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1987 बैच के अधिकारी अजय तिर्की है। बताया गया है कि वे राज्य के सबसे बड़े प्रशासनिक पद की दौड़ में अभी भी हैं।

कुल मिलाकर अभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। मुख्यमंत्री किसके नाम की मुहर लगाते हैं,यह तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा।

बीजेपी विधायकों के टिकट सुरक्षित नहीं!

गुजरात में चुनावी सरगर्मी चरम पर है, पर इधर मध्यप्रदेश में बीजेपी के विधायकों की हवा खिसक रही है। क्योंकि, प्रदेश में चुनावी हलचल शुरू हो गई और किस विधायक को टिकट दिया जाएगा किसे नहीं, इस पर चर्चा होने लगी। शनिवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीजेपी के सभी विधायकों से वन-टू-वन बात की। सबकी परफॉरमेंस रिपोर्ट और फीडबैक मुख्यमंत्री ने सामने रखकर विधायकों से बात की। तय है कि विधायक तो अपने 5 साल के कार्यकाल को बेस्ट बताएंगे और फिर जीतने का दावा भी करेंगे! लेकिन, असलियत मुख्यमंत्री को पता थी।

BJP's New Ticket Formula

इस वन-टू-वन मीटिंग के बाद रिसी जानकारी बताती है कि पार्टी 40 से 50 फीसदी विधायकों के टिकट काट सकती है। कुछ विधायकों का क्षेत्र भी बदला जा सकता है। बीजेपी ने गुजरात चुनाव में भी यही किया। गुजरात को पार्टी की प्रयोगशाला माना जाता है। वहां भी बीजेपी 40% विधायकों के टिकट काट चुकी है, पर बगावत का कोई सुर सुनाई नहीं दिया। इसमें कई मंत्री भी हैं। यही फार्मूला मध्यप्रदेश में भी अपनाया जाता है, जिसके आसार भी हैं, तो कई पर गाज गिर सकती है। यह भी कहा जा रहा है कि सिंधिया समर्थकों के टिकट भी सुरक्षित नहीं हैं। ऐसे में बीजेपी नए चेहरों को मैदान में उतार सकती है! पर इसका फार्मूला क्या होगा, अभी इसके लिए इंतजार करना होगा!

राहुल की यात्रा और कांग्रेसियों की सिर फुटव्वल!

राहुल गांधी की यात्रा से पहले की हलचल बहुत तेज है। अभी इस यात्रा के कदम मध्यप्रदेश में भी नहीं पड़े, पर कांग्रेसी नेताओं में सिर फुटव्वल शुरू हो गई। राहुल गांधी के रास्ते को बदलाने की भी कोशिशें हुई। लेकिन, सुरक्षा कारणों से वह संभव नहीं हुआ। इसके बाद दूसरे नेता की इमेज बिगाड़ने का काम शुरू हो गया। इसे इस तरह समझा जा सकता है कि इंदौर के क्षेत्र क्रमांक-1 के विधायक संजय शुक्ला ने शिवपुराण कथा का भव्य आयोजन किया है। 24 से 30 नवंबर तक ये कथा राहुल गांधी की यात्रा के रास्ते पर ही होना है! पहले तय था कि राहुल इसमें शामिल होंगे, पर ऐन वक्त पर किसी ने अड़ंगा डालकर उनका जाना रुकवा दिया।

कौन बनेगा ONGC का नया मुखिया? नाम लगभग तय भारत की सबसे बड़ी तेल कंपनी ONGC को नया अध्यक्ष मिलने जा रहा है। भारत पैट्रोलियम के रिटायर्ड अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह इस दौड मे सबसे आगे बताए जाते हैं। चयन समिति ने उनके नाम की सिफारिश की है। बताया जाता है कि मंत्रालय ने उम्र संबधी नियमों में बदलाव कर उसे 57 से बढा कर साठ साल कर दिया। इसके बाद ही सिंह का नाम आगे बढाया गया। हालांकि अभी इनके नाम की आधिकारिक घोषणा अभी होनी है।

सियासी हलकों में यह माना जा रहा था कि चुनाव के नजरिए से ये अच्छा होता! पर, कांग्रेस में हमेशा ही सबसे पहले अपनी दुकान सजाई जाती है, पार्टी की बाद में! इसी तरह पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल ने भी एक आयोजन रखा था, उसमें भी जाने से इंकार कर दिया गया। ये किसने और क्यों किया है, ये सब जानते हैं, पर अभी कोई बोल नहीं रहा!
ऐसा ही एक मामला खालसा स्टेडियम में कमलनाथ को लेकर हुआ। जबकि, वहां राहुल गांधी को रात रुकाने की योजना थी! पर सिखों के एक गुट ने कमलनाथ को 84 के दंगों से जोड़कर उनका विरोध किया। यह भी धमकी दी गई कि कमलनाथ और राहुल गांधी को वे यहां नहीं आने देंगे। यदि आए तो विरोध होगा। इस घटना का ठीकरा भी कमलनाथ के मीडिया सलाहकार नरेंद्र सलूजा पर फोड़ दिया गया। जानकारी के मुताबिक, उन्हें राहुल की यात्रा के किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया है। अभी तो यात्रा इंदौर नहीं पहुंची है, देखना है अभी और क्या-क्या होता है।

महिला संपादक की दूसरी वर्क एनिवर्सरी

उपमिता वाजपेयी भास्कर की घुमंतू संवाददाता रही है। कश्मीर को लेकर उन्हें काफी कुछ लिखा और अब भास्कर के भोपाल संस्करण की संपादक हैं। हाल ही में उन्होंने अपने कार्यकाल के 2 साल पूरे किए हैं। भास्कर जैसे बड़े अखबार के राजधानी संस्करण में किसी महिला संपादक का 2 साल पूरे करना बड़ी बात है। उन्होंने अपनी वर्क एनिवर्सरी पर ट्वीट भी किया।

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उनका ट्वीट है :
2 years of Being 1st women “संपादक” in Dainik Bhaskar
सबसे पहले देश
फिर जर्नलिज्म
और
और आखिर में एक महिला संपादक…
पिछले 2 साल में चुनौती, फख्र, फर्ज की फेहरिस्त बेपनाह लंबी हो चुकी है।
शुक्रिया, दुनिया।

कौन बनेगा ONGC का नया मुखिया? नाम लगभग तय

भारत की सबसे बड़ी तेल कंपनी ONGC को नया अध्यक्ष मिलने जा रहा है। भारत पैट्रोलियम के रिटायर्ड अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह इस दौड मे सबसे आगे बताए जाते हैं।

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चयन समिति ने उनके नाम की सिफारिश की है। बताया जाता है कि मंत्रालय ने उम्र संबधी नियमों में बदलाव कर उसे 57 से बढा कर साठ साल कर दिया। इसके बाद ही सिंह का नाम आगे बढाया गया। हालांकि अभी इनके नाम की आधिकारिक घोषणा अभी होनी है।

ED चीफ को तीसरी बार मिला सेवा विस्तार

जैसी कि इस कालम में संभावना जताई गई थी उसी के अनुरूप प्रवर्तन निदेशालय के मुखिया को तीसरी बार सेवा विस्तार मिला है। संजय कुमार मिश्र अब निदेशक, ई डी के पद पर अगले साल १८ नवंबर तक बने रहेगें। वे आई आर एस – आई टी अधिकारी हैं और पिछले चार साल से इस पद पर बने हुए हैं।

जानिए रिजवी कैसे बने डेढ़ माह पहले भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव

कामरान रिजवी ने करीब डेढ़ महीने पहले ही भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव का कार्यभार संभाल लिया। हालांकि उन्हें पूर्व के आदेश के अनुसार यह पद भार दिसंबर के अंतिम दिन लेना था लेकिन अरुण गोयल के अचानक रिटायरमेंट लेने के कारण रिजवी को नवंबर में ही चार्ज लेना पड़ा।

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रिजवी उत्तर प्रदेश काडर के आईएएस अधिकारी है जबकि गोयल पंजाब काडर के आईएएस अधिकारी थे। बता दें कि सरकार ने गोयल के वीआरएस लेने के 24 घंटे के भीतर ही उन्हें इलेक्शन कमिश्नर नियुक्त कर दिया था।

राजनीतिक पारी खेलने की तैयारी में IPS अधिकारी

तेलंगाना काडर के एक आईपीएस अधिकारी लगता है राजनीतिक पारी खेलने की तैयारी में है। इसी साल दिसंबर में रिटायर हो रहे डीजीपी एम महेंद्र रेड्डी, पता चला है कि, जनवरी – फरवरी मे भारत राष्ट्र समिति मे शामिल हो सकते हैं। चर्चा तो यह भी है कि वे अगले साल के शुरू में तेलंगाना विधानसभा का चुनाव भी लड सकते हैं।