विदुर नीति कहती है कि भाषा की विनम्रता व्यक्ति का आभूषण है!

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विदुर नीति कहती है कि भाषा की विनम्रता व्यक्ति का आभूषण  है!

स्वाति तिवारी की विशेष संपादकीय 
राजनीति में यह कौन सी भाषा है ?एक पूर्व मुख्यमंत्री जो उम्र में ,—- उनके लिए वर्तमान मुख्यमंत्रीजी जो संस्कारों ,सनातन परम्पराओं के,और भारतीय मर्यादाओं के कृष्ण हैं ,जो एक आदिवासी के अपमान पर उसके चरण पूजन कर सकते है वे क्या और कौन सी भाषा बोल रहे हैं ?एक शालीन ओर संस्कारी, कुशाग्र बुद्धि और दूरदर्शी व्यक्तित्व से यह संभाषण अच्छा नहीं लगा . राजनीति की नयी पीढ़ी संस्कारों का कौन सा पाठ आपसे सीखेगी आदरणीय भैया ? माँ कहती थी सुई के पीछे धागा लगा होता है -वही करो ,वही कहो जो अपने लिए  ही भी अपेक्षा करते हो .कीचड़ फेंकने में सबसे पहले हाथ अपने ही गंदे होते हैं .
व्यक्ति का ना सही उस पद का सम्मान तो बना रहे जिस पर आप बैठे है .भाषा का जीवन में बहुत महत्त्व है यह मरहम भी लगा सकती है और घाव भी दे सकती है .महाभारत का जिन्हें ज्ञान है. वे विदुर को भलीभांति जानते हैं. विदुर हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री थे. विदुर को धर्मराज का अवतार माना गया है. महाभारत के लोकप्रिय पात्रों में से एक विदुर भी हैं. विदुर ने जीवन में कभी सत्य का मार्ग नहीं छोड़ा. वे हमेशा सत्य ही बोलते थे. राजा धृतराष्ट्र के वे सलाहकार थे.
मनुष्य को जागरूक करने के लिए उन्होनें जो शिक्षाएं दी वहीं विदुर नीति कहलाई. विदुर नीति आज भी प्रासंगिक है.उन्होंने कहा था –
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भाषा की मर्यादा का हमेशा ध्यान रखें

जो व्यक्ति भाषा की मर्यादा का ख्याल नहीं रखते हैं उन्हें भरे दरबार में लज्जित होना पड़ता है. भाषा की विनम्रता व्यक्ति का आभूषण होता है. संवाद करते हुए सदैव भाषा और शब्दों के चयन पर ध्यान रखना चाहिए. आवेश में आकर कभी भी भाषा को खराब नहीं करना चाहिए. जिन लोगों की भाषा खराब होती है उनसे लोग धीरे धीरे दूर होने लगते हैं. भाषा जितनी संतुलित और संयमित होगी व्यक्तित्व उतना सुंदर और लोकप्रिय होगा. किसी भी सूरत में भाषा को अमर्यादित नहीं करना चाहिए. ध्यान रहे वाणी की सुंदरता भाषा से ही है. भाषा के कारण ही पराए भी अपने हो जाते हैं और अपने भी पराए हो जाते हैं. विद्वान व्यक्ति की भाषा में विनम्रता होती है. भाषा में अगर विनम्रता नहीं है तो व्यक्ति कितने ही शास्त्रों का ज्ञाता हो, उसे विद्वान नहीं माना जा सकता है.

आपका यह कहना कि मुझसे पूछ रहा है -मुझसे ?तो सवाल यह है कि प्रश्न  ही तो पूछा है उसमें गलत क्या है ,उत्तर दे दीजिये  ?  आपसे क्यों नहीं पूछा जा सकता ? आपके प्रति जनता की अलग धारणा है ,आप विद्वान् और  साफ़ सुथरी छवि रखते है .  आपसे हर कोई बात कर सकता है तो वो तो विपक्ष है ,उनका काम ही प्रश्न उठाना हैं .  प्रदेश की  बहनें  अपने बच्चों को अपने शिवराज मामा जैसे बनो का आदर्श देती हैं .मामा की दयालुता और विनम्रता की कायल है .आज मेरी जैसी पढ़ी लिखी बहन भी कन्फ्यूज  हो गयी है की अपने बच्चों को जो लड़ने झगड़ने पर अपने विनम्र धैर्यवान सम्मानित  मामा से कुछ सीखो कहती रही ,वो अब क्या कहे ?अहंकार ना करने का उदाहण  हो उसे खंडित मत होने दीजिये  .जानती हूँ जिबान है फिसल गयी भीड़ देख कर .  पर दिमाग तो रोक सकता था इस फिसलन को . रोका क्यों नहीं .यह कठिन समय है भैया .छवि को बिगड़ने मत दीजिये .हम  सभी बहनें  चाहती हैं हम सदियों तक आपका उदाहण दें अपनी आनेवाली पीढ़ियों को, एक मामा ऐसे भी हुए  जिन्होंने सालो साल राज किया पर राई बराबर भी अहंकार कभी छू नहीं सका .  आप तो खुद राजनीति के विदूर कहलाते है आप कैसे विदूर नीति  भूल रहे हैं -आपको तो पता ही है –

विदूर ने अपनी नीति में कहा है किव्यक्ति को किसी भी चीज का गर्व  नहीं करना चाहिए. क्योंकि ज्ञानी व्यक्ति कभी किसी चीज को लेकर अहम  नहीं करता है.  इस धरती पर कोई भी वस्तु स्थाई नहीं है न होती है. न धन और न सुंदर.ता ,न पद कोई भी स्थिर और स्थाई नहीं है. एक  निश्चित समय के बाद ये सभी चीजें नष्ट हो जाती हैंया हमसे दूर हो जाती हैं.आपने एक इतिहास रचा है जो भूतो ना भविष्यति .तो इतिहास का यह स्वर्णिम पन्ना चमकता ही रहेगा ,यह विश्वास हैं .

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