Vikram University की प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में “भारतीय ज्ञान विज्ञान में जैव वैज्ञानिकों का योगदान”विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी
उज्जैन: विक्रम विश्वविद्यालय की प्रणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
विक्रम विश्वविद्यालय की प्राणिकी एवं जैव प्रोद्योगिकी अध्ययनशाला में “भारतीय ज्ञान विज्ञान में जैव वैज्ञानिकों का योगदान” विषय पर आयोजित किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्राणिकी एवं जैव प्रोद्योगिकी अध्ययनशाला के संस्थापक प्रोफेसर हरस्वरूप की परिसर में प्रतिमा पर अतिथियों , प्राध्यापकों एवम विद्यार्थियों द्वारा माल्यार्पण किया गया। अतिथियों द्वारा मां सरस्वती का पूजन वंदन एवं दीप प्रज्वलन किया गया। अतिथियों का परिचय विभागाध्यक्ष डॉ सलिल सिंह द्वारा किया गया।
प्रोफेसर तेज प्रकाश पूर्णानन्द व्यास, अध्यक्ष, डॉक्टर हरस्वरूप ग्लोबल फाउंडेशन ने सदन को विश्व विख्यात प्रोफेसर एवम जैव वैज्ञानिक डॉक्टर हरस्वरूप के व्यक्तित्व कृतीत्व का अप्रतिम निरूपण किया । प्रोफेसर स्वरूप का परिचय देते हुए उनके द्वारा अर्जित की गई अप्रतिम आनुवांशिकी इंजीनियरिंग की अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियों के बारे में विस्तृत से बताया। डॉक्टर हरस्वरूप ने बीसवीं शताब्दी के पांचवे दशक में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में गैस्टरोस्टियस एक्यूलेटस फिश में पोलीप्लोयडी का प्रयोगशाला में निर्माण कर आनुवांशिकी क्षेत्र में विश्व समुदाय में भारत का नाम उज्ज्वल कर दिया था। आपका शोध नेचर और जर्नल ऑफ जेनेटिक्स में प्रकाशित हुआ। आपने इंग्लैंड में विभिन्न विश्व विद्यालयों , संस्थानों में अपने विज्ञानपरक व्याख्यान से जेनेटिक इंजीनियरिंग के ज्ञान का संचार किया। डॉक्टर हरस्वरूप दया, करूणा, प्रेम, परहित एवम विनम्रता के पर्याय थे।
डॉक्टर व्यास के युवा छात्रों के प्रेरक उद्बोधन से सदन करतल ध्वनियों से कई बार गुंजायमान हो उठा। “उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक तुम्हें तुम्हारे लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए। विवेकानन्द की पंक्तियों के साथ युवाओं को अपने अवचेतन को सशक्त बनाने की आपने उत्कृष्ट प्रेरणा दी।”
ग्वालियर से पधारे कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्य अतिथि डॉक्टर सोमदेव भारद्वाज ने भारतीय ज्ञान विज्ञान में जैव वैज्ञानिक का योगदान विषय पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आज जैव विज्ञान और जैव वैज्ञानिको का भारत की प्रगति में विशेष योगदान रहा है, उन्होंने विद्यार्थियों को जीवन में सर्वश्रेष्ठ करने को कहा जिससे उनका और उनके विषय का नाम विश्व में फैले।आपने कहा कि मानव जीवन सफल के साथ ही लोक हित के लिए सार्थक भी होना चाहिए।
कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय ने अभिव्यक्त किया कि विद्यार्थियों को सदैव ही चुस्त, चैतन्य और सजग रहना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से अपील की की वे किसी भी महत्वपूर्ण संगोष्ठी में हो रही चर्चा को नोट पैड पर नोट करने के साथ- साथ अपने मस्तिष्क के साथ साथ अपने व्यक्तिव में भी समाहित करे। उन्होंने कहा अच्छे श्रोता बनिए तभी अच्छे वक्ता बन पाएंगे।आपने छात्रों और शिक्षकों को भी जीवन में निरंतर प्रगति पथ पर बढ़ने की प्रेरणा भी दी
डॉक्टर व्यास ने विभाग से संबद्ध अनेकों वैज्ञानिकों एवम विद्वानों का स्मरण किया । ये हैं: डॉ बी एम सिन्हा, डॉ जी एन जोहरी, डॉ जगदीश बहादुर, डॉ अवधेश कुमार पांडेय, डॉ डॉ सी रमन भास्कर, डॉ डी के बेलसरे, डॉक्टर शशिकला बेलसरे, डॉ ए बी सक्सेना, डॉ के एस राव, डॉ सुरेश कोठारी, डॉ एस सी जोशी, डॉ शरद श्रीवास्तव, डॉ मोरध्वज सिंह परिहार,डॉ एस के प्रसाद, डॉ एच एस राठौर, डॉ जॉन, डॉ जे पी एन पाठक, डॉ पी डी प्रसाद राव, डॉ जी के लहरी, डॉ एस एस श्रीवास्तव, डॉ शीलेंद्र कुमार कुलश्रेष्ठ, डॉ के के कालरा, डॉ डी एन सक्सेना,डॉ प्रकाश बाकरे, डॉ उपकार अधोलिया, डॉ बी एन पांडे ,डॉ डी के शर्मा, डॉ रवींद्र कान्हेरे , डॉ संतोष श्रीवास्तव, डॉ विनोदिनी अग्रवाल, डॉ प्रतिभा कासखेड़िकर , डॉ आशा खन्ना, डॉ विपिन व्यास, डॉ स्निग्धा दास,डॉ रीता भट्टाचार्य, डॉ मधु व्यास, डॉ संतोष पाठक, डॉ चंद्र शीला गुप्ता, डॉ रेखा खन्ना, डॉ शेहला इशाक, संदीप बहादुर, डॉ जी एस टोटेजा, डॉ एम एम पी अरोरा, डॉ नरेंद्र कुमार कौशिक, डॉ सावित्री स्वरूप, डॉ अनूप स्वरूप, डॉ आभा स्वरूप,अभय स्वरूप, डॉ पूर्णिमा स्वरूप, चरण जीत सिंह बग्गा, किरण कांत मेहता, डॉ अश्वनी कुमार दुबे, डॉ नील प्रभा कोल्हे, श्री रवीन्द्र गुप्ता, श्री सुरेश जैन, चंद्र मोहन दास, डॉ भावना नगर , शील कुमार जैन,विलास राजाराम खोचे, आदि ।*
कार्यक्रम की विशेष अथिति प्रो उमा शर्मा, विभागाध्यक्ष रसायन शास्त्र ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए स्वयं के रसायन शास्त्र अपने शोध कार्य को निरूपित किया और उन्होंने छात्रों को प्रेरणा दी कि वे इस विश्वविद्यालय को गौरवान्वित करने वाले शोध कार्य करें। डॉ उमा शर्मा ने विभाग के कर्मठ प्रोफेसर संतोष ठाकुर की भूरी भूरी प्रशंसा की। सदन करतल ध्वनि से गूंज उठा।
*प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर सुरेश कोठारी ने विभाग के प्राध्यापकों और शोधार्थियों को शोध के लिए प्रेरित किया । उन्होंने कहा कि वे लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित होकर होलकर विज्ञान महाविद्यालय में पदस्थ हुए ,नई सेवा में शोध अवकाश संभव नहीं था तो वे होलकर विज्ञान महाविद्यालय की सेवाओं को छोड़कर पुनः विदिशा जैन कालेज लौट गए। शोध को प्राथमिकता देकर श्रेष्ठ शोध कार्य किया एवम प्राणिकी अध्ययन शाला में रहकर उत्कृष्ट शोध कार्य भी करवाया ।
प्रो काजल कुमार नंदी ने कहा कि विभाग को इस प्रकार के आयोजन करवाते रहना चाहिए , ताकि विद्यार्थी अपने विभाग की उपलब्धियों से परिचित हों।
कार्यक्रम में प्रोफेसर डी डी बेदिया,सहित विश्वविद्यालय और प्रणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला के शिक्षक और कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर संतोष ठाकुर ने किया एवं आभार डॉक्टर स्मिता सोलंकी ने माना माना। यह जानकारी प्राणिकी अध्ययन शाला के प्राध्यापक डॉक्टर संतोष ठाकुर द्वारा दी गई।