
Villager’s Initiative: SSP डूब क्षेत्र में टापू बने कुकरा गांव से खेतों तक पहुँचने के लिये रस्सी का झूलता पुल और जुगाड़ की नाव
बड़वानी : नर्मदा बैकवॉटर से घिरे और सरदार सरोवर परियोजना (SSP) में डूब क्षेत्र घोषित बड़वानी जिले के कुकरा गाँव के ग्रामीणों ने खेतों में पहुंचने के लिए जुगाड़ जमाया है। अपनी ज़िंदगी को आसान बनाने के लिए जहां झूलता पुल बनाया है वहीं जुगाड़ की नाव बनायी है।
हर साल बरसात के मौसम में जब बैकवॉटर का जलस्तर बढ़ जाता है, तो गाँव टापू का रूप ले लेता है। खेतों तक पहुँचने के लिए ग्रामीणों ने इस बार 80 फुट लंबा रस्सी का झूला पुल बना डाला, और अस्थायी नाव भी तैयार कर ली हैं।
बड़वानी से 5 किलोमीटर दूर राजघाट के निकट बसे कुकरा गाँव के टापू पर फिलहाल 4-5 परिवारों के करीब 25 लोग रहते हैं। ग्रामीणों ने पिछले चार से पाँच दिनों तक मेहनत कर रस्सियों, लकड़ी और टिन शेड की मदद से यह पुल तैयार किया। दोनों ओर पुल को मज़बूत पेड़ों से बाँधा गया है। नीचे लकड़ी का मचान बनाया गया है और ऊपर लोहे की टिन चादर लगाई गई है, जिससे पैदल पार करने में आसानी हो सके।
ग्रामीण देवेंद्र सोलंकी का कहना है कि सरकार ने इस क्षेत्र को पूरी तरह जलमग्न घोषित किया है, लेकिन पूर्ण पुनर्वास से जुड़ी माँगें अब तक लंबित हैं। प्रशासन द्वारा चलाई जाने वाली नाव सेवा सुबह 8 बजे से शाम 7 बजे तक ही उपलब्ध रहती है। लेकिन हमें खेतों में चारा, मजदूर और सामान ले जाना-लाना पड़ता है, इसलिए अस्थायी नाव बनानी पड़ी।
ग्रामीण कनक सिंह ने कहा कि 2019 में बाँध भरने के बाद उन्हें टिन शेड में स्थानांतरित कर दिया गया था। तब प्रशासन ने लिखित आश्वासन दिया था कि एक महीने में उनकी समस्याओं का समाधान कर दिया जाएगा, लेकिन वादे पूरे न होने और बुनियादी सुविधाएँ बाधित रहने के कारण वे फिर से गाँव लौट आए।
इस मामले पर नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, सरदार सरोवर परियोजना के सुपरीटेंडेंट इंजीनियर एसएस चोंगड़ ने बताया कि पूरा कुकरा क्षेत्र सरदार सरोवर परियोजना में डूब क्षेत्र है और यहाँ सड़क या पुल का निर्माण संभव नहीं है। वर्ष 2003-04 में ही सभी परिवारों को उनकी सहमति से ज़मीन, प्लॉट और मुआवज़ा दिया जा चुका है।
अधिकांश लोग पुनर्वास स्थल पर बस चुके हैं, लेकिन कुछ परिवारों के उत्तराधिकारी ज़बरन यहाँ रहकर अतिरिक्त मुआवज़े की माँग कर रहे हैं।
बड़वानी के एसडीएम और भू अधिग्रहण अधिकारी भूपेंद्र रावत ने भी स्पष्ट किया कि कुकरा के सभी परिवारों को गुजरात में पुनर्वासित किया जा चुका है, और उन्हें प्लॉट भी दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि वे यहां और पुनर्वास स्थल—दोनों जगह खेती करते हैं। वर्तमान वयस्क पुनर्वास पट्टे के पात्र नहीं हैं, क्योंकि उनके पिता और दादा को पहले ही पूरी मुआवजा राशि और प्लॉट दिया जा चुका है।





