
Viral post fact check: क्या केंद्र सरकार सिर्फ पुरानी योजनाओं के नाम बदलकर चला रही है देश
Bhopal: सोशल मीडिया पर इन दिनों एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया गया है कि केंद्र सरकार बीते 11 वर्षों से पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल की योजनाओं के नाम बदलकर ही काम चला रही है और कोई नई योजना नहीं लाई गई। पोस्ट में योजनाओं की लंबी सूची साझा करते हुए यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि मौजूदा सरकार में नई सोच और नई नीति का अभाव है। इस दावे की पड़ताल करने पर तस्वीर इससे काफी अलग नजर आती है।
▪️कुछ योजनाएं पुरानी हैं, यह तथ्य सही
▫️फैक्ट चेक में यह बात सामने आती है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, इंदिरा आवास योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन जैसी कुछ योजनाएं वास्तव में मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में शुरू की गई थीं। बाद के वर्षों में इन योजनाओं को संशोधित कर नए नाम और नए स्वरूप दिए गए। यह प्रक्रिया किसी भी सरकार के लिए असामान्य नहीं मानी जाती।
▪️केवल नाम नहीं बदले, कार्यप्रणाली भी बदली
▫️जिन योजनाओं को नाम बदलने का उदाहरण बताया जा रहा है, उनमें कई मामलों में केवल नाम परिवर्तन नहीं हुआ। लक्ष्य समूह, बजट, तकनीकी निगरानी, डिजिटल भुगतान व्यवस्था और लाभार्थियों की पहचान प्रणाली में भी बदलाव किए गए। उदाहरण के तौर पर इंदिरा आवास योजना को प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के रूप में लागू करते समय निर्माण मानक, पारदर्शिता और निगरानी प्रणाली पूरी तरह बदली गई।
▪️कई योजनाएं पूरी तरह नई हैं
▫️वायरल पोस्ट में जिन योजनाओं को मनमोहन सिंह सरकार से जोड़ दिया गया है, उनमें से कई योजनाएं उनके कार्यकाल में अस्तित्व में ही नहीं थीं। स्वच्छ भारत मिशन वर्ष 2014 में शुरू किया गया। प्रधानमंत्री जन धन योजना, स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, मिशन इंद्रधनुष, उज्ज्वला योजना और भारत नेट जैसी योजनाएं वर्ष 2014 के बाद लागू की गईं। इनका मनमोहन सिंह सरकार से सीधा कोई संबंध नहीं है।
▪️योजनाओं का पुनर्गठन सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया
▫️नीति विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारें समय के साथ योजनाओं का पुनर्गठन करती हैं। नई सरकारें अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार योजनाओं का विस्तार, विलय या संशोधन करती हैं। केवल नाम के आधार पर यह निष्कर्ष निकालना कि सरकार नई योजनाएं नहीं ला रही, तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है।
▪️सोशल मीडिया पोस्ट में क्या गलत है
▫️वायरल पोस्ट में यह दिखाने की कोशिश की गई है कि लगभग सभी योजनाएं पुरानी हैं और सिर्फ नाम बदले गए हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि कुछ योजनाएं पुरानी हैं, कुछ योजनाएं नई हैं और कई योजनाएं पुरानी योजनाओं के बदले हुए और विस्तारित स्वरूप हैं। पोस्ट में इन तीनों बातों को जानबूझकर एक जैसा दिखाया गया है, जिससे भ्रम पैदा होता है।
▪️और अंत में••••••
▫️फैक्ट चेक के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि यह दावा भ्रामक है कि केंद्र सरकार केवल मनमोहन सिंह की योजनाओं के नाम बदलकर 11 वर्षों से काम चला रही है। वास्तविकता यह है कि कुछ योजनाएं पुरानी हैं, कई योजनाएं नई हैं और कई योजनाओं का ढांचा, लक्ष्य और क्रियान्वयन पहले से काफी अलग है। सोशल मीडिया पोस्ट अधूरी जानकारी और अतिरंजित निष्कर्ष पर आधारित है।





