Voluntary Resettlement : संरक्षित क्षेत्रों से स्वैच्छिक पुनर्स्थापन करने वालों को अब 15 लाख

दुर्गम वन क्षेत्रों में मानवीय व्यवधान कम होने से मानव-वन्य-प्राणी द्वंद में भी कमी आएगी

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Bhopal : संरक्षित वन क्षेत्रों और टाइगर रिजर्व क्षेत्र (Protected Forest Areas and Tiger Reserve Areas) के ग्राम से स्वैच्छिक पुनर्स्थापन करने वाले परिवारों (Voluntary Resettlement Families) को अब 15 लाख रूपए दिए जाएंगे। अभी तक यह राशि 10 लाख दिए जाने का प्रावधान है। 2008 से संरक्षित ग्रामों से विस्थापन के लिए मुआवजा राशि प्रति परिवार इकाई 10 लाख रूपए दी जाती थी। लेकिन, सरकार ने इसे 5 लाख रुपए बढ़ाने का फैसला किया है। यह जानकारी प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह ने दी।

13 साल पहले निर्धारित इस राशि को पर्याप्त न मानकर राज्य सरकार ने यह फैसला किया है। कई अन्य ने भी सरकार से इसे बढ़ाने का अनुरोध किया था। इसे ध्यान में रखकर केन्द्र सरकार से भी अनुरोध किया गया था। इस प्रस्ताव पर भारत सरकार के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change) के अधीन राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली (National Tiger Conservation Authority New Delhi) ने प्रस्तावित मुआवजा राशि बढ़ाने की मंजूरी दी। वन मंत्री ने बताया कि 7 दिसम्बर 2021 को हुई कैबिनेट बैठक में पुनर्वास के लिए मुआवजा पैकेज (Approval of Increase in Compensation Package) में बढ़ोतरी का अनुमोदन किया गया था।

वर्ष 2022-23 में पुनर्स्थापन के लिए 300 करोड़ रूपए का प्रावधान रखा गया है। इसमें कैम्प मद से 285 करोड़ और योजना क्रमांक 5109 में पुनर्स्थापन के लिए 15 करोड़ रूपए स्वीकृत किए गए। इस व्यवस्था के होने से संजय टाइगर रिजर्व, नौरादेही अभ्यारण्य और रातापानी अभ्यारण्य के आस-पास बसे परिवारों का पुनर्स्थापन होना संभव होगा।

 

प्रोत्साहन मिलेगा

विजय शाह ने बताया कि मुआवजा पैकेज में बढ़ोतरी होने से दुर्गम वन क्षेत्रों में बसे ग्रामीणों को पुनर्स्थापित होकर विकास की मुख्य-धारा से जुड़ने का मौका (Opportunity to Get Restored and Join the Mainstream of Development) मिलेगा। साथ ही दुर्गम वन क्षेत्रों में मानवीय व्यवधान कम होने से मानव-वन्य-प्राणी द्वंद में भी कमी आएगी। वन्य-प्राणी संरक्षण और अधिक सुदृढ़ हो सकेगा। ऐसे वन क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामवासियों ने स्वैच्छिक रूप से पुनर्स्थापित का विकल्प चुना, जिसमें 16 हजार परिवार इकाइयों को नवीन रहवास स्थलों में पुनर्स्थापित किया गया।