Voting Trend: तीसरे चरण के मतदान में ज्योतिरादित्य, शिवराज पर भारी पड़ गए दिग्विजय, 2019 के चुनाव जैसा ही रहा मतदान का ट्रेंड

पहले, दूसरे चरण की तुलना में सुधरा मतदान प्रतिशत

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Voting Trend: तीसरे चरण के मतदान में ज्योतिरादित्य, शिवराज पर भारी पड़ गए दिग्विजय, 2019 के चुनाव जैसा ही रहा मतदान का ट्रेंड

दिनेश निगम ‘त्यागी’ की विशेष रिपोर्ट 

लोकसभा चुनाव का नतीजा 4 जून को आएगा लेकिन तीसरे चरण के मतदान में केंद्रीय मंत्री महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया और मामा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर राजा दिग्विजय सिंह भारी पड़ गए। सिंधिया के गुना और चौहान के विदिशा लोकसभा क्षेत्र की तुलना में दिग्विजय के राजगढ़ में तीसरे चरण का सर्वाधिक मतदान हुआ। विदिशा के 74.05 और गुना के 71.95 की तुलना में राजगढ़ में 75.39 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। प्रदेश में तीसरे चरण की 9 लोकसभा सीटों में कुल मिलाकर 66.05 फीसदी मतदान हुआ जो 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में महज -0.38 फीसदी ही कम है। 2019 में कुल 66.88 फीसदी मतदान हुआ था। इससे पता चलता है कि तीसरे चरण में मतदान का ट्रेंड 2019 के मतदान जैसा ही रहा। 2019 में भी गुना और विदिशा की तुलना में राजगढ़ में ज्यादा 74.39 फीसदी वोट पड़े थे। तब विदिशा में 71.79 और गुना में 70.39 फीसदी मतदान हुआ था। हालांकि पिछले चुनाव में दिग्विजय और शिवराज सिंह प्रत्याशी नहीं थे। ज्योतिरादित्य गुना से कांग्रेस के टिकट पर मैदान में थे लेकिन 1 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे। इस बार तीनों नेताओं महाराज, मामा और राजा मैदान में हैं। पहले और दूसरे चरण की तुलना में तीसरे चरण में मतदान का प्रतिशत सुधरा है। इसका श्रेय राजनीतिक दलों और निर्वाचन आयोग के प्रयास को जाता है।

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 * चंबल- ग्वालियर अंचल के मुरैना में ही कम मतदान* 

– तीसरे चरण में 2019 जैसे मतदान के ट्रेंड के बीच चंबल- ग्वालियर अंचल में मुरैना लोकसभा सीट ही ऐसी है, जहां पिछली बार से कम मतदान हुआ है। पिछली बार यहां 61.89 फीसदी वोट पड़े थे लेकिन इस बार यह 3.67 फीसदी घट कर 58.22 फीसदी रह गया। यह स्थिति तब है जब यहां भाजपा और कांग्रेेस ने पूरी ताकत झोंकी। मुरैना में भाजपा खतरा महसूस कर रही है और कांग्रेस को जीत की उम्मीद है। इस कारण दोनों ओर से ज्यादा मतदान के प्रयास किए जा रहे थे। बावजूद इसके मुरैना में पिछली बार की तुलना में कम मतदान हुआ। हालांकि तीसरे चरण में सबसे कम मतदान भिंड में 54.87 फीसदी हुआ लेकिन यह 2019 में हुए मतदान की तुलना में 0.35 फीसदी ज्यादा है। इस लिहाज से भिंड के मतदान को ठीक माना जा रहा है। अंचल के ग्वालियर में 61.68 फीसदी मतदान हुआ है। यह पिछली बार की तुलना में 1.90 फीसदी ज्यादा है।

*सागर, बैतूल, भोपाल में घट गया मतदान प्रतिशत* 

– तीसरे चरण में मुरैना के अलावा तीन लोकसभा क्षेत्र और ऐसे हैं, जहां पिछली बार की तुलना में कम वोटिंग हुई है। इनमें भोपाल, सागर और बैतूल सीटें शामिल हैं। भोपाल में 64.34 फीसदी मतदान हुआ है जो पिछली बार की तुलना में 1.31 फीसदी कम है। भोपाल में 2019 में 65.65 फीसदी वोट पड़े थे। सागर में इस बार 65.19 फीसदी मतदान हुआ है जो पिछली बार की तुलना में 0.32 फीसदी कम है। सागर में 2019 में 65.51 फीसदी वोट पड़े थे। तीसरी सीट है बैतूल जहां पिछली बार की तुलना में 5.53 फीसदी वोट कम पड़े हैं। बैतूल में 2019 में 78.15 फीसदी मतदान हुआ था जबकि इस बार महज 72.65 फीसदी ही वोट पड़े हैं। बैतूल में वोटिंग का प्रतिशत सबसे ज्यादा घटा है।

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