हमें गर्व है कि “अब हम दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं”…

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हमें गर्व है कि “अब हम दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं”…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

भारत, जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने 24 मई 2025 को यह जानकारी साझा की है। उनका मानना है कि भारत ने यह उपलब्धि अपनी आर्थिक नीति के कारण हासिल की है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के आंकड़ों का हवाला देते हुए सुब्रह्मण्यम ने कहा, “हम चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। हम 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हैं। आज भारत जापान से बड़ा है। अब केवल अमेरिका, चीन और जर्मनी ही भारत से बड़े हैं।” उन्होंने दावा किया कि अगर हम अपनी योजना और सोच-विचार पर टिके रहे, तो 2.5-3 साल में हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। यानि कि एनडीए सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनाने का जो लक्ष्य तय किया है, उस दिशा में भारत ने एक बड़ा कदम हासिल कर लिया है। और आम चुनाव 2029 के पहले निर्णायक कदम तय कर हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनकर गर्व से यह संकल्प ले सकेंगे कि अब नंबर वन बनना हमारा लक्ष्य है।

हालांकि अभी हम जापान से मामूली बढ़त लेकर ही चौथे पायदान पर काबिज होने का दावा कर रहे हैं। पर जापान के हालातों ने यह तय कर दिया है कि अब हम आगे बने रहेंगे। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की अप्रैल 2025 की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की नॉमिनल जीडीपी 4.187 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई है, जो जापान की अनुमानित जीडीपी 4.186 ट्रिलियन डॉलर से थोड़ा ज्यादा है। भारत की यह उपलब्धि मजबूत घरेलू मांग, अनुकूल जनसांख्यिकीय रुझानों और नीतिगत सुधारों के कारण है। भारत की अर्थव्यवस्था 6-7% की एनुअल ग्रोथ रेट बनाए हुए है, जबकि जापान की अर्थव्यवस्था को ग्लोबल ट्रेड टेंशन और पॉलिसी चेंज के कारण नुकसान हुआ है। 2025 में जापान की जीडीपी ग्रोथ रेट केवल 0.3% रहने की उम्मीद है, जो भारत की 6.5% की तुलना में बहुत कम है। इसलिए यह बात तय है कि अब भारत को पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं है। अब तीसरे पायदान पर पहुंचने के लिए जर्मनी को पीछे छोड़ना है, तो महामुकाबला अपने चिर प्रतिद्वंदी चीन से है। उसी चीन से जो हमारे पड़ोसी पाकिस्तान को आधुनिकतम युद्ध संसाधन मुहैया कराकर भारत के खिलाफ साजिश कर रहा है। पर यह महामुकाबला वास्तव में बहुत चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि अगर चीन की अर्थव्यवस्था ध्वस्त होने के विशेष कारण नहीं बने तो उस फासले को पाटना बहुत आसान नहीं है।

वर्तमान स्थिति में जापान की अर्थव्यवस्था 4.186 ट्रिलियन डॉलर, भारत की 4.187 ट्रिलियन डॉलर, जर्मनी की 4.74, चीन की 19.23 और अमेरिका की 30.51 ट्रिलियन डॉलर है। आईएमएफ अन्य वैश्विक संस्थानों के अनुमानों के अनुसार, यदि भारत की वर्तमान वृद्धि दर बनी रहती है, तो 2028 तक भारत जर्मनी (4.9 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी) को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। भारत की जीडीपी 2027 तक 5 ट्रिलियन डॉलर और 2028 तक 5.58 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इसके बाद केवल अमेरिका (30.57 ट्रिलियन डॉलर) और चीन (19.231 ट्रिलियन डॉलर) ही भारत से आगे रहेंगे। पर तब भी चीन की बराबरी करने के लिए भारत को बहुत कठिन परीक्षा के दौर से गुजरना पड़ेगा। सालों में यह यात्रा कितनी लंबी होगी, यह तत्कालीन परिस्थितियां तय करेंगी। पर यह तय है कि भारत को वैश्विक मंचों पर आर्थिक शक्ति होने का बड़ा फायदा मिलने से अब कोई नहीं रोक सकता है।

 

तो देश का आम आदमी उम्मीद कर सकता है कि रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, आय बढ़ेगी और जीवन स्तर सुधरेगा। प्रत्यक्ष तौर पर नहीं तो कम से कम सरकार के स्तर पर शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास की नि:शुल्क सुविधाएं मुहैया कराकर आम आदमी के जीवन में खास बदलाव की उम्मीद की जा सकती है।

भारतीय अर्थव्यवस्था का लोहा अब पूरी दुनिया मान रही है। हाल ही में केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट में अनुमान जाहिर करते हुए कहा गया है कि चौथी तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.8 फीसदी रहने का अनुमान है, जिससे वित्त वर्ष 2025 की कुल ग्रोथ रेट 6.3 फीसदी रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि, होटल और परिवहन के साथ ही मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मजबूत परफॉरमेंस से ग्रोथ को गति मिल रही है। तो हमें गर्व है कि “अब हम दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं”…और यही उम्मीद कि भारत आर्थिक महाशक्ति बनने की दिशा में लगातार आगे बढ़ता रहे और भारतवासी यह गर्व से कह सकें कि अच्छे दिन आ गए हैं…।