रायबरेली पर क्या होगा राहुल गांधी का फैसला, आज मिल सकता है बड़ा संकेत

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रायबरेली पर क्या होगा राहुल गांधी का फैसला, आज मिल सकता है बड़ा संकेत

त्तर प्रदेश में गांधी परिवार के गढ़ माने जाने वाले रायबरेली में अपना कब्जा बरकरार रखते हुए कांग्रेस ने अमेठी सीट बीजेपी से छीन ली है. अमेठी से गांधी परिवार के करीबी किशोरी लाल शर्मा जीते हैं, तो राहुल गांधी केरल की वायनाड के साथ रायबरेली सीट से चुने गए हैं.

वायनाड से बड़ी जीत राहुल गांधी को रायबरेली में मिली है. राहुल गांधी मंगलवार को मां सोनिया गांधी और बहन प्रियंका गांधी के साथ रायबरेली पहुंच रहे हैं, जहां मतदाताओं और कार्यकर्ताओं का आभार जताएंगे. ऐसे में गांधी परिवार की मौजूदगी में राहुल गांधी रायबरेली सीट को लेकर बड़ा सियासी संकेत दे सकते हैं?

कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में 15 साल के बाद बड़ी जीत मिली है. 2014 में दो और 2019 में एक सीट पर सिमट जाने वाली कांग्रेस इस बार छह लोकसभा सीटें जीतने में सफल रही है. कांग्रेस ने अमेठी सीट पर बीजेपी की स्मृति ईरानी को हराकर हिसाब बराबर कर लिया है. ऐसे में कांग्रेस और गांधी परिवार क्षेत्र के मतदाताओं और कार्यकर्ताओं का आभार जताने का सियासी प्रयोग पहली बार कर रहा है. अमेठी और रायबरेली सीट से गांधी परिवार का दशकों से नाता है, लेकिन चुनाव परिणाम जारी होने के एक सप्ताह के बाद आभार कार्यक्रम का आयोजन पहली बार किया जा रहा है. इसे राहुल गांधी के रायबरेली से सांसद बने रहने के संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है.

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रायबरेली के भुएमऊ गेस्ट हाउस में होने वाले आभार समारोह में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, रायबरेली के सांसद राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, अमेठी सांसद केएल शर्मा, उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अजय राय सहित अन्य वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहेंगे. इससे पहले सांसद बने किशोरी लाल शर्मा अमेठी के पार्टी कार्यालय में आयोजित समारोह में पार्टी नेताओं का आभार जताया है. उन्होंने अमेठी और रायबरेली के लोगों से अपने रिश्तों की दुहाई दी और चुनाव जिताने के लिए आभार जताया. अब राहुल गांधी अपनी मां और बहन के साथ रायबरेली पहुंच रहे हैं, जहां पर आभार जताने के साथ-साथ पार्टी एकजुटता का संदेश देंगे.

क्या वायनाड सीट छोड़ेंगे राहुल?

राहुल गांधी केरल की वायनाड और यूपी की रायबरेली सीट से जीत दर्ज की है, लेकिन कौन सी सीट छोड़ेंगे यह साफ नहीं है. 2019 में राहुल अमेठी और वायनाड से चुनाव लड़े थे, लेकिन अमेठी से हार गए थे. इस बार वायनाड के साथ-साथ रायबरेली सीट से चुनाव लड़े थे और दोनों सीट से राहुल गांधी जीतने में सफल रहे. राहुल अपनी यात्रा के जरिए रायबरेली सीट रखने का संकेत दे सकते हैं, क्योंकि राहुल गांधी को रायबरेली सीट पर वायनाड की तुलना में ज्यादा वोटों से जीत मिली. यह बात इसलिए भी कही जा रही है कि 1999 में सोनिया गांधी अमेठी और केरल की बेल्लारी दोनों सीटों से चुनाव लड़ी थीं. बेल्लारी से ज्यादा वोटों से सोनिया अमेठी में जीती थीं, जिसके बाद अमेठी सीट को अपने पास रखा था. माना जा रहा है कि इसी फॉर्मूले पर राहुल गांधी रायबरेली सीट को अपने पास रख सकते हैं, जिसके लिए रायबरेली में संकेत दे सकते हैं.

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस इस बार सपा के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरी थी और 17 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें से छह सांसद जीतकर आए हैं. कांग्रेस का वोट शेयर भी 6.36 फीसदी से बढ़कर 9.46 फीसदी पर पहुंच गया. प्रयागराज, सहारनपुर और सीतापुर लोकसभा सीट पर करीब चार दशक के बाद कांग्रेस को जीत मिली है. बाराबंकी में 2009 के बाद वापसी की है, तो अमेठी में पांच साल पहले मिली हार का हिसाब बराबर कर लिया है. रायबरेली से राहुल को 66.17 फीसदी वोट मिले हैं, जबकि वर्ष 2019 में सोनिया गांधी को 55.80 फीसदी मत मिले थे. इतना ही नहीं राहुल ने करीब चार लाख वोटों से जीत दर्ज की है.

कांग्रेस को सूबे की जिन 11 सीटों पर हार मिली है, उन सीटों पर भी उसका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है. बांसगांव, देवरिया, अमरोहा, महाराजगंज और फतेहपुर सीकरी जैसी सीटों पर कांग्रेस को बहुत ही कम अंतर से हार मिली है. वाराणसी सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय ने जिस तरह से पीएम मोदी को कांटे की टक्कर दी है और बीजेपी की जीत का मार्जिन बहुत कम रहा है, उसके चलते कांग्रेस के लिए सूबे में चुनौतियों को बढ़ा गई हैं. अब कांग्रेस उत्तर प्रदेश में कार्यकर्ताओं की सक्रियता इसी तरह से बनाए रखना चाहती है. यह आभार कार्यक्रम भी इसी रणनीति का हिस्सा है.

कांग्रेस ने कीं सूबे में भविष्य की तैयारियां शुरू

माना जा रहा है कि भुएमऊ गेस्ट हाउस में आभार कार्यक्रम के जरिए राहुल गांधी रायबरेली से सांसद बने रहने का संदेश देंगे. साथ ही कार्यकर्ताओं को ऊर्जावान बनाएंगे. उन्हें भविष्य की सियासी तैयारी के लिए बूस्टर डोज देंगे. इसके अलावा प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी की मौजूदगी बहुत कुछ बयां करेगी. पार्टी के प्रदेश संगठन मंत्री अनिल यादव कुछ ऐसा ही संकेत दे रहे हैं. उनका कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद से पार्टी के नेता एक दिन भी नहीं बैठेंगे. कांग्रेस ने सूबे में भविष्य की तैयारी शुरू कर दी है. राहुल गांधी ने जिस सियासी प्रयोग से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को सियासी संजीवनी देने का काम किया है, उन्हीं एजेंडे को लेकर आगे बढ़ने की रणनीति है. कांग्रेस यूपी में जातिगत जनगणना, अग्निवीर को खत्म करने और सामाजिक न्याय के मुद्दे पर ही चलेगी.

अमेठी में किशोरी लाल शर्मा और रायबरेली में मिली बड़ी जीत ने राहुल गांधी की चुनौतियों को बढ़ा दिया है. 2019 में जीत के बाद से सोनिया गांधी ने पांच साल तक स्वास्थ्य कारणों से रायबरेली से दूरी बनाए रखी, लेकिन अब राहुल गांधी को रायबरेली के साथ नाता जोड़े रखना होगा. लोकसभा चुनाव में तो हर बार गांधी परिवार के साथ जिले की जनता खड़ी रही, लेकिन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस लगातार हारती रही है. रायबरेली में जिले से लेकर गांव स्तर तक संगठन की कमजोरी के कारण 2022 के चुनाव में सभी विधानसभा सीटों पर न केवल कांग्रेस का सूपड़ा साफ हुआ बल्कि प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई थी.

राहुल गांधी के लिए चुनौती

2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राहुल गांधी को कड़ी मेहनत करनी होगी. ऐसे में राहुल के लिए रायबरेली में पहले की तरह विधानसभा की सभी सीटों पर परचम लहराना एक बड़ी चुनौती है. इसकी वजह है कि रायबरेली में सांगठनिक रूप से कांग्रेस कमजोर हुई. यही कारण रहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों को करारी हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में राहुल गांधी के सामने संगठन को मजबूत करने के साथ ही जनता के वादों पर खरा उतरने की कड़ी चुनौती भी है. इसके अलावा जिले के लोगों के सीधे संपर्क की आस को भी राहुल गांधी को पूरा करना होगा.