हेमंत पाल की ख़ास खबर
मध्य प्रदेश बीजेपी के कोर ग्रुप की बैठक 28 अप्रैल को दिल्ली दफ्तर में हो रही है। इसमें आरएसएस और बीजेपी के बड़े नेता मंथन के लिए जुटेंगे।
इस बैठक का एजेंडा क्या होगा, अभी इस बारे में खुलासा नहीं किया गया! लेकिन, कई मामलों में इस बैठक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पिछले सप्ताह पार्टी के सबसे दमदार नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भोपाल का दौरा किया था।
उनकी यात्रा के तत्काल बाद बुलाई इस बैठक के साथ कई समीकरणों को जोड़कर देखा जा रहा है! इस बैठक का नतीजा जो भी निकले, पर इसे लेकर सियासी माहौल गरमा जरूर गया।
बैठक में शिवराज सिंह और उनकी सरकार के आलोचनात्मक आकलन पर भी सबकी निगाह रहेगी, जो होना है। यह अनुमान लगाने वाले भी कम नहीं हैं कि प्रदेश के संभावित मंत्रिमंडल पुनर्गठन का मुद्दा भी चर्चा में शामिल होगा।
सियासी गलियारों के अंदर तक की ख़बरें रखने वालों का मानना है, कि ये बैठक अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की रणनीति को लेकर बुलाई गई है। इसमें प्रदेश के ताजा राजनीतिक हालात पर चर्चा होने के साथ होने वाले चुनाव की दृष्टि से आरएसएस और बीजेपी के तालमेल पर भी चर्चा होना तय है।
इस बैठक में आरएसएस के पदाधिकारी और प्रदेश बीजेपी के कोर ग्रुप के नेता मौजूद रहेंगे। यह भी समझा जा रहा है कि इसमें प्रदेश सरकार के कामकाज और उसके राजनीतिक प्रभाव की समीक्षा के साथ चुनाव में उसके असर पर भी चर्चा होगी। संगठन और सरकार के बीच बेहतर समन्वय और प्रबंधन को भी इस बैठक में परखा जाएगा।
दिल्ली के सूत्रों का कहना है कि बीजेपी के बड़े नेताओं तक ये जानकारी पहुंची है कि सत्ता और संगठन बार तालमेल का कई बार अभाव महसूस किया जाता है।
दिल्ली में होने जा रही इस हाई प्रोफाइल बैठक में आरएसएस के अरुण कुमार, राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष, सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन मंत्री हितानंद, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, सह प्रभारी पंकजा मुंडे, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर, महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रहलाद पटेल, नरोत्तम मिश्रा सहित करीब दर्जनभर नेता शामिल होंगे।
इसके अलावा बैठक में राज्य से जुड़े केंद्रीय मंत्रियों के भी हिस्सा लेने की उम्मीद है। अभी अमित शाह के बैठक में भाग लेने की जानकारी नहीं मिली, पर माना जा रहा है कि वे भी इस बैठक में जरूर आएंगे।
प्रदेश मामलों से इतर जिन मुद्दों पर इसमें विचार होना है, उसमें एक ‘समान नागरिक संहिता’ को लागू किया जाना भी है। केंद्र सरकार की इन नीतियों के मध्य प्रदेश पर प्रभाव का भी आकलन होगा।
समझा जा रहा है कि प्रदेश के होने वाले विधानसभा चुनाव में कौन से प्रमुख मुद्दे हों और उन पर किस तरह राजनीतिक ज़ोर दिया जाए, इसे भी चर्चा में शामिल किया जा सकता है। कुछ मुद्दों पर अमित शाह मध्य प्रदेश के दौरे पर संकेत दे भी चुके हैं।
मध्य प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। भाजपा अपनी पहचान के मुताबिक हमेशा चुनाव के मोड पर रहती है और अंदाजा लगाया जा रहा कि इस बैठक को भी उसी नजरिए से लिया जा रहा है। यह अनुमान लगाने वाले भी कम नहीं हैं कि कहीं मध्य प्रदेश की राजनीति में कोई बड़ा राजनीतिक फेरबदल तो नहीं हो रहा!
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यह भी कहा जा रहा है कि जल्दी ही बीजेपी किसी बड़े राजनीति फैसले की तैयारी में है। क्योंकि, अमित शाह के भोपाल दौरे के बाद कोर-ग्रुप की इस बैठक के जो कारण निकाले जा रहे हैं, उनमें एक यह भी है।
चुनाव से पहले बीजेपी बहुत संभलकर चलने के मूड में है और पार्टी का पूरा जोर आदिवासी वोट बैंक को साधने पर है। पार्टी का पूरा जोर आदिवासी वोट बैंक पर है। पार्टी के बड़े नेताओं के राज्य के आदिवासी इलाकों में होने वाले दौरों को इसी इशारे से देखा जा रहा है। सरकार की बड़ी योजनाओं का इशारा भी आदिवासियों को साधने में ज्यादा है।
प्रधानमंत्री और गृह मंत्री दोनों छह महीने में आदिवासियों से जुड़े दो कार्यक्रमों में शामिल होकर इसका संकेत भी दे चुके हैं। लेकिन, जो आदिवासी वोट पिछले चुनाव (2018) में बीजेपी से रूठा दिखाई दे रहा था, वो इन कार्यक्रमों और सरकार की योजनाओं से उसके पाले में आ गया है अभी इस बात का दावा नहीं किया जा सकता।