कहाँ है Rani Kamalapati पार्क और महल ?
Bhopal: रानी कमलापति(Rani Kamalapati )का महल एवं पार्क भोपाल शहर का एक प्रमुख स्थल है। रानी कमलापति महल भोपाल शहर में बड़ा तालाब एवं छोटे तालाब के बीच में स्थित है। यहां पर आपको सुंदर पार्क देखने के लिए मिलता है। पार्क के बीच में एक खूबसूरत फव्वारा लगा हुआ है और पार्क में चारों तरफ हरियाली है। बच्चों के खेलने के लिए झूले और फिसल पट्टी लगी हुई है।
रानी कमलापति का महल प्राचीन महल है। रानी कमलापति के महल को अब म्यूजियम में बदल दिया गया है और यहां पर बहुत सारी प्राचीन वस्तुएं देखने के लिए मिल जाती है। रानी कमलापति पार्क से लोअर लेक का सुंदर दृश्य भी देखने के लिए मिलता है। रानी कमलापति पार्क में आपको भोपाल शहर की हिस्ट्री पता चलती है। यहां पर बहुत सारे लेख मिल जाएंगे। भोपाल का बड़ा तालाब के राजा भोज सेतु के पास यह पार्क स्थित है।
कमलापति महल का कुछ हिस्सा लोअर लेक में डूबा हुआ है। कहा जाता है, कि रानी कमलापति(Rani Kamalapati) का कमरा लोअर लेक में डूबा हुआ है। रानी कमलापति का महल देखने में बहुत ही सुंदर लगता है। कमलापति महल के बाहर एक तोप रखी हुई है। यह तोप बहुत सुंदर है। इस तोप में बारीक़ डिजाइन भी देखने के लिए मिलता है। इस महल के अंदर आपको बहुत सारी पुरानी वस्तुओं का संग्रह देखने के लिए मिल जाता है। इस महल में भोपाल के बारे में बहुत सारी जानकारी भी मिलती है। इस महल का निर्माण 1722 में हुआ था। इस महल का नाम रानी कमलापति(Rani Kamalapati) के नाम पर रखा गया है।
रानी कमलापति का महल छोटा है। मगर सुंदर है। यह महल भारत सरकार के द्वारा संरक्षित है। इस महल में संग्रहालय देखने के लिए मिलता है। एक छोटा सा कैफिटेरिया भी यहां पर देखने के लिए मिलता है।
इस महल से आप लोअर लेक का सुंदर दृश्य देख सकते हैं। इस महल के नीचे अंडरग्राउंड टनल बनाई गई है, जिससे अप्पर लेक का पानी लोअर लेक में आता है। इस अंडरग्राउंड टनल के बारे में जानकारी आपको इस संग्रहालय में मिल जाएगी। इस संग्रहालय में आपको भारत की मुख्य प्राचीन जगह के बारे में भी बताया गया है। कमलापति महल गोंड वास्तुकला में बनाया गया है। इस महल का खंडहर भाग आज भी आपको देखने के लिए महल के पीछे मिलता है।
कमलापति महल परमार राजा भोज द्वारा भोपाल ताल के पूर्वी प्राचीन बांध के ऊपर निर्मित है, जो कि भोज पाल के नाम से भी जाना जाता है। कालांतर में इससे वर्तमान भोपाल का प्रादुर्भाव हुआ। वर्तमान में वह भाग महल का ही एक भाग था, जो क़ि सन 1722 में गिन्नौरगढ़ के शासक निजाम शाह की विधवा रानी कमलापति द्वारा बनवाया गया था। इस स्थान के पश्चिमी छोर के समीप स्थित पहाड़ी पर फतेहगढ़ किले के अवशेष है, जिसे भोपाल के प्रथम शासक सरदार दोस्त मोहम्मद खान द्वारा निर्मित करवाया गया था, जिन्हें आधुनिक भोपाल की स्थापना का श्रेय जाता है।
यह महल नगर में 18वीं शताब्दी में निर्मित तत्कालीन, राजकीय स्थापत्यकला का प्रारंभिक एवं सर्वोत्तम उदाहरण माना जाता है। इस दो मंजिले महल के निर्माण में लाखोरी ईटों का प्रयोग किया गया है। जिसका ऊपरी भाग मेहराबों तथा कमल की पंखुड़ियों से अलंकृत स्तंभों पर आधारित है। महल में सामने की ओर से बनाए गए हैं।
इस महल को पुरातात्विक स्मारक के रूप में भारत सरकार द्वारा सन 1989 में अभिरक्षित घोषित किया एवं तभी से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण इसकी देखभाल कर रहा है।
रानी कमलापति कौन थी ?
रानी कमलापति एक गोंड रानी थी। रानी कमलापति के नाम पर है। इस महल को कमलापति महल के नाम से जाना जाता है और इस पार्क को कमला पार्क के नाम से जाना जाता है। स्थानीय लोगों के अनुसार रानी कमलापति के पिता का नाम श्री चंदन गोंड चौधरी था। वह भोपाल के निवासी थे। रानी कमलापति का स्वयंवर गिन्नौरगढ़ के निजाम शाह के साथ हुआ था। वह उनकी पत्नी थी। रानी कमलापति यहां के गोंड राजवंश की अंतिम रानी थी।
ऐसा कहा जाता है, कि उन्होंने पति निजाम शाह की मृत्यु के उपरांत इस महल में निवास किया था। निजाम शाह 18 वी शताब्दी के आरंभिक दशकों में गिन्नौरगढ़ के शासक थे। उन्हें बाड़ी के शासक ने धोखे से जहर देकर मार दिया था।
गिन्नौर के शासक निजाम शाह की हत्या के उपरांत उनकी रानी कमलापति तथा पुत्र नवल शाह गिन्नौरगढ़ असुरक्षित हो गया। तब रानी कमलापति ने सरदार दोस्त मोहम्मद को सहायता के लिए आमंत्रित किया। अति महत्वकांक्षी दोस्त मोहम्मद तीराह, अफगानिस्तान का निवासी था।
भारत आने के उपरांत उन्होंने स्वतंत्र सत्ता स्थापित करने के उद्देश्य मध्य भारत की ओर कूच किया। रानी के आमंत्रण पर दोस्त मोहम्मद ने सेना को संगठित कर बाड़ी पर हमला कर उसे जीत लिया। दोस्त मोहम्मद खान रानी कमलापति पर विवाह का दबाव डालने लगा, जिससे रानी कमलापति में छोटे तालाब में कूदकर जान दे दी।
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