किसकी जीत और किसकी हार…किस पर मार, किससे प्यार…!

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किसकी जीत और किसकी हार…किस पर मार, किससे प्यार…!

कौशल किशोर चतुर्वेदी

यह लोकतंत्र का खेला है। अब एग्जिट पोल्स के ठेकेदारों को मार्केट से आउट हो जाना चाहिए। जो आकलन करते हैं, वही गलत साबित हो जाता है। एग्जिट पोल्स के लिए तो यही कहना पड़ेगा कि ‘जाएं तो जाएं कहां’। महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन और झारखंड में एनडीए गठबंधन की सरकार एग्जिट पोल्स बना रहे थे। तो परिणामों ने इसे उलट कर ही रख दिया। अब महाराष्ट्र में ‘महायुति’ ने महासंग्राम में महाविजय हासिल कर ली और झारखंड में जेल पहुंचाए गए हेमंत सोरेन की झामुमो-इंडिया गठबंधन ने महाविजय हासिल कर चंपई और भाजपा को महाआइना दिखा दिया। जो-जो ट्रेंड कर रहा था, वही-वही फ्लॉप साबित हुआ है। इससे ठीक पहले ही हरियाणा में सारे ट्रेंड्स दूर देश जाकर समुद्र में डूब गए थे। अब ऐसे एग्जिट पोल्स पर तालियां बजाई जाएं या इनके लिए मातमी धुन बजाई जाए। अब तो यह भी पता नहीं लग पा रहा है कि कहां क्या मुमकिन है और कहां क्या नामुमकिन है। किसकी जीत मुमकिन है और किसकी हार नामुमकिन है। किस पर मतदाता की मार पड़ने वाली है और किस पर मतदाता का प्यार बादल बनकर बरसने वाला है। उद्धव ठाकरे का बड़ा बयान बहुत खरा है, ‘यह लहर नहीं बल्कि सुनामी है, क्या जनता आश्वस्त है?’ पर परिणाम आने के बाद झारखंड चुनाव परिणाम पर एनडीए गठबंधन की सहज स्वीकारोक्ति और महाराष्ट्र परिणाम पर इंडिया गठबंधन की संतुलित प्रतिक्रिया यही जता रही है कि ‘ऑल इज वेल’। ‘चार सौ पार’ का नारा हवा हवाई साबित होने की बात हो या उतर प्रदेश में राम मंदिर बनने के बाद लोकसभा चुनाव में हुई भाजपा-एनडीए की फजीहत का दृश्य हो और इसी कड़ी में हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड की चुनावी सुनामी हो, एक शब्द में परिणामों को परिभाषित करना पड़े तो यही कहना पड़ेगा कि ‘नि:शब्द’। और लोकसभा चुनाव 2024 में यह ‘नि:शब्द’ शब्द भाजपा-एनडीए के काम आया हो, तो अब यह ‘नि:शब्द’ शब्द लोकतांत्रिक अध्याय का हिस्सा ही बन गया है। अब जहां हीरे का भंडार कहा जाता है, वहां कोयला ही कोयला नजर आता है। जहां समुद्र कहा जाता है, वहां जंगल नजर आता है और जहां जंगल कहा जाता है वहां बस्ती लहलहाती है। लोकसभा चुनाव में चार सौ पार की जगह गठबंधन पर आश्रित हो मोदी-शाह मजबूर हुए, तो नेता प्रतिपक्ष का साफा बांधकर गांधी ने मान लिया कि आंधी तो उनकी ही थी। पर इस बवंडर में ईवीएम की इज्जत बच सी गई। और अब महाराष्ट्र और झारखंड में उलटी गंगा बहने से एक बार फिर ईवीएम चैन की सांस लेकर सुकून से है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने आधिकारिक आवास में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ महायुति के प्रदर्शन का जश्न मनाया। तो झारखंड में भी जश्न मना, जहां झामुमो और सहयोगी दल विधानसभा चुनाव जीतकर गदगद हैं।

चुनाव परिणाम 2024 पर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का कहना है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम पूरी तरह से अप्रत्याशित और समझ से परे हैं। ठाकरे ने कहा, “अगले कुछ दिनों में हमें यह पता लगाना होगा कि ऐसा क्यों हुआ। अगर यह महाराष्ट्र के लोगों को स्वीकार्य है, तो कोई कुछ नहीं कर सकता। लेकिन अगर यह परिणाम अस्वीकार्य है, तो हम महाराष्ट्र के लोगों के लिए लड़ते रहेंगे।” तो जवाब यही है कि लड़ते रहो और लड़ते-लड़ते थक जाओ। अभी असली शिवसेना नहीं रह पाए तो फिर देखते रहना कि सब कुछ खोने की नौबत न आ जाए। राहुल गांधी ने कहा, “भारत को भारी जनादेश देने के लिए झारखंड की जनता का हार्दिक आभार। इस जीत के लिए सीएम हेमंत सोरेन, कांग्रेस और सभी झामुमो कार्यकर्ताओं को बधाई और शुभकामनाएं।” उन्होंने कहा, ‘‘राज्य में इस गठबंधन की जीत संविधान की रक्षा और जल, जंगल और जमीन की रक्षा की जीत है।’’ तो महाराष्ट्र के नतीजे पर बोले कि “महाराष्ट्र के परिणाम अप्रत्याशित हैं और पार्टी उनका विस्तार से विश्लेषण करेगी।” और अब सर्वाधिक भरोसेमंद जयराम रमेश ने कहा, ‘हमारा मनोबल कम नहीं हुआ है, पार्टी मजबूत होगी’ और आरोप लगाया कि महाराष्ट्र के नतीजे कांग्रेस को हराने के लिए लक्षित साजिश के तहत लाए गए। आखिर फुफकारना तो बनता है यदि सीधे ईवीएम का रोना नहीं रो पा रहे तो। उधर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने चुनाव जीतने के बाद पत्रकारों को संबोधित कर कहा: “आज नतीजे आ गए हैं…मैं सभी समुदायों के लोगों और राज्य के सभी किसानों, महिलाओं और युवाओं को बहुमत के साथ वोट देने और इस चुनाव को सफल बनाने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं।” उन्होंने आगे कहा: “मैं उन सभी नेताओं का भी धन्यवाद करता हूं जो मैदान में थे और लोकतंत्र की ताकत को लोगों तक ले गए। भारत गठबंधन का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है। मैं आप सभी को समर्थन के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं।”

अब दूसरे पक्ष पर गौर कर लें। असम के सीएम और झारखंड में भाजपा के चुनाव सह-प्रभारी हिमंत बिस्वा सरमा का कहना है कि झारखंड में पार्टी की हार उनके लिए बेहद दु:खद है। उन्होंने कहा, “लोगों के जनादेश को विनम्रता से स्वीकार करना चाहिए, क्योंकि यही लोकतंत्र का सच्चा सार है।” तो झारखंड चुनाव परिणाम पर अमित शाह का बयान आया। शाह ने झारखंड की जनता को धन्यवाद दिया और कहा कि आदिवासी समाज की आकांक्षाओं को पूरा करना भाजपा की सर्वोच्च प्राथमिकता है। शाह ने कहा, “भ्रम और झूठ के बीच महायुति को इतना बड़ा जनादेश देकर लोगों ने संविधान के नकली शुभचिंतकों की दुकानें बंद कर दी हैं।” शाह ने “ऐतिहासिक जनादेश” के लिए महाराष्ट्र के लोगों का आभार व्यक्त किया।शाह ने एक्स पर लिखा, “महायुति की यह जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘कार्य-निष्पादन की राजनीति’ की जीत है। महाराष्ट्र के लोगों ने तुष्टीकरण की राजनीति को खारिज कर दिया है और महायुति की विरासत, विकास और गरीबों के कल्याण में अपना विश्वास दोहराया है।” योगी आदित्यनाथ बोले “भाजपा-महायुति गठबंधन ने महाराष्ट्र में बहुत बड़ी और ऐतिहासिक जीत हासिल की है। यह छत्रपति शिवाजी महाराज के आदर्शों की जीत है। देश की जनता को प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों, उनकी नीयत, उनके नेतृत्व और उनके फैसलों पर अटूट विश्वास है।” तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “इस देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता, मतदाता ‘राष्ट्र पहले’ की विचारधारा का समर्थन करता है। भारतीय मतदाता उन लोगों का समर्थन नहीं करते जो ‘कुर्सी पहले’ के दर्शन में विश्वास करते हैं।” उन्होंने आगे कहा: “भारतीय मतदाता अन्य राज्यों की प्रगति पर भी नज़र रखता है। महाराष्ट्र के मतदाताओं ने देखा कि हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना में कांग्रेस सरकार जनता के साथ किस तरह विश्वासघात कर रही है।” पीएम मोदी ने कहा, “एक हैं तो सुरक्षित हैं, अब भारत का नारा है।” हरियाणा के बाद महाराष्ट्र ने भी भेजा संदेश “एक हैं तो सुरक्षित हैं, यह देश के लिए महामंत्र बन गया है।’’

अब मध्यप्रदेश पर भी गौर कर लें। तो मध्यप्रदेश का रुख भी वैसा ही है, जैसा मध्यप्रदेश का है। मध्यप्रदेश में भी देश की तरह भाजपा और कांग्रेस दोनों जश्न मना रही हैं। रामनिवास रावत का बुढापा वैसा ही लग रहा है, जैसा कभी वरिष्ठ नेता सरताज सिंह के साथ हुआ था। वह चुनाव लड़ने के लिए भाजपा छोड़ कांग्रेस के साथ गए थे। पर चुनाव हारकर वापस भाजपा में लौटे थे। वह भी वन मंत्री रहे थे। और वन मंत्री बनकर चुनाव हारे रामनिवास को देखकर लगता है कि आज नहीं तो कल, वह वापस कांग्रेस में लौटकर ही चैन की सांस ले सकेंगे। मध्यप्रदेश में भाजपा बुधनी जीतकर खुश है तो कांग्रेस बुधनी में हार का अंतर कम होने पर खुशी मना रही है और विजयपुर जीतकर आसमान छू रही है। तो भाजपा भी बुधनी जीतकर खुश है और अगली बार विजयपुर में विजय का भरोसा जताकर जश्न मना रही है। मध्यप्रदेश में यह विश्लेषण जरूरी है कि बुधनी और विजयपुर में वास्तव में किसकी जीत हुई है और किसकी हार हुई है। किस पर मार पड़ी है और किस पर मतदाता ने प्यार लुटाया है।

तो अंत में सबसे दिलचस्प परिणाम पर चर्चा। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सक्रिय संसदीय राजनीति में कदम रख लिया है, इसका फैसला वायनाड के मतदाताओं ने उपचुनाव में कर दिया है। वायनाड सीट पर हुए उपचुनाव में प्रियंका ने 4 लाख से ज्यादा वोट से जीत हासिल है। यहां दूसरे नंबर पर माकपा के सत्यन मोकेरी रहे, वहीं तीसरे स्थान पर भाजपा की नाव्या हरिदास रहीं। गौरतलब है कि 52 साल की प्रियंका और 54 साल के राहुल मिलकर 56 इंच की छाती पर मूंग दलने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। यह एक और एक मिलकर 11 नहीं बल्कि 111 बनने की शाही कोशिश करेेंगे। संसद का सीधा प्रसारण देखकर मतदाता 2029 में किसकी जीत और किसकी हार का हेतु बनने का मन बनाएंगे…किस पर प्यार लुटाने और किस पर मार करने की ठानेंगे…यह वक्त बताएगा…।