Union Carbide Toxic Waste : यूनियन कार्बाइड का 337 टन जहरीला कचरा नष्ट करने पीथमपुर क्यों भेजा जा रहा!
Bhopal : दुनिया की सबसे इंडस्ट्रियल त्रासदी कही जाने वाले भोपाल गैस कांड के कचरे का निष्पादन 40 साल अब किया जा रहा है। चार दशक से बंद पड़ी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के गोदाम में रखे 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को हटाने का काम रविवार सुबह एक्सपर्ट्स की देख रेख में शुरू हुआ। धार जिले के पीथमपुर इंडस्ट्रियल एरिया की रामकी एनवायरो में यह जहरीला कचरा 90 किलोग्राम प्रति घंटे की गति से जलाया जाएगा, जिसमें 153 दिन यानी 5 महीने 1 दिन का समय लगेगा। लेकिन, 270 किलोग्राम प्रति घंटे की स्पीड से नष्ट करते हैं, तो इसे खत्म करने में 51 दिन लगेंगे।
कड़ी सुरक्षा में यहां के कचरे को 12 कंटेनर में भरने का काम शुरू किया जाएगा। इसे 3 जनवरी से पहले कंटेनर के जरिए ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पीथमपुर पहुंचाया जाएगा। गैस कांड के चार दशक साल बाद ‘रामकी’ कंपनी के एक्सपर्ट्स की देखरेख में ये खतरनाक कचरा 12 कंटेनर ट्रकों में भरा जाना शुरू हो गया। यूनियन कार्बाइड परिसर के आसपास कई पुलिसकर्मी तैनात किए गए। 400 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी, एक्सपर्ट्स और डॉक्टरों की टीम इस काम में लगी है।
पीथमपुर लाने के लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम
कड़ी सुरक्षा के साथ जहरीले कचरे को 250 किमी का ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पीथमपुर भेजा जा रहा है। इस कचरे को पीथमपुर की रामकी एनवायरो में भस्म किया जाएगा। हाईकोर्ट ने 6 जनवरी तक इसे हटाने के निर्देश दिए थे। 3 जनवरी को सरकार को हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश करना है। मतलब यह कि 2 जनवरी तक हर हाल में कचरा पीथमपुर पहुंचाना जरूरी है। पीथमपुर इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनेजमेंट (रामकी) कंपनी में इसके निष्पादन की पूरी तैयारी कर ली गई।
कचरे के हर कंटेनर को यूनिक नंबर
जहरीले कचरे वाले हर कंटेनर का एक यूनिक नंबर दिया गया है। ये कंटेनर जिस रूट से निकलेंगे उसकी सूचना जिला प्रशासन को दे दी जाएगी। रास्ते पर ट्रैफिक रोकने की जिम्मेदारी भोपाल और इंदौर के संभाग आयुक्तों को सौंपी गई है। ट्रक करोंद मंडी होते हुए पीपुल्स मॉल, करोंद चौराहा, गांधी नगर, मुबारकपुर, सीहोर नाका होते हुए इंदौर जाएंगे। यह रूट इसलिए चुना गया, क्योंकि रात के समय इस रूट पर ट्रैफिक का दबाव कम रहता है।
यूका परिसर में डॉक्टरों की टीम
गाइडलाइन्स को फॉलो करते हुए कचरे को भोपाल से पीथमपुर ले जाया जाएगा। हाईकोर्ट के निर्देश में पूरी प्रोसेस की जा रही है। 3 जनवरी को हाईकोर्ट में शपथ पत्र देना है। इसलिए कचरे को भेजने की प्रक्रिया इससे पहले पूरी कर लेंगे। पीथमपुर में कचरा पहुंचाने के बाद उसे 9 महीने में जलाना है। परिसर में जो मजदूर कंटेनरों में कचरा भर रहे हैं, उन्हें सेफ्टी के सारे उपकरण और सुविधाएं दी गई। अंदर डॉक्टरों की टीम भी तैनात की गई, जो हालात पर नजर रख रही है। कचरा लोडिंग के दौरान अगर किसी की तबीयत बिगड़ती है तो फौरन मौके पर ही उसे दवा और ट्रीटमेंट देने की व्यवस्था है।
पीथमपुर में कचरा जलाने का भारी विरोध
कचरे को पीथमपुर में जलाने को लेकर कांग्रेस विरोध जता चुकी है। कांग्रेस ने भी 22 दिसंबर को प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के नेतृत्व में धार जिले के विधायकों के साथ धरना देकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा था। इस दौरान पटवारी ने कहा था कि अगर यूनियन कार्बाइड का कचरा पीथमपुर में जला तो आने वाले समय में सबसे ज्यादा कैंसर के मरीज इसी इलाके में होंगे। गैस पीड़ित संघ भी आंदोलन कर चुके हैं।
पीथमपुर में बीते रविवार की सुबह से ‘पीथमपुर क्षेत्र रक्षा मंच’ के नेतृत्व में कचरा जलाने का विरोध किया जा रहा है। राम रामेश्वर मंदिर से महाराणा प्रताप बस स्टैंड तक रैली निकाली गई। जिसमें लोगों ने हाथ पर काली पट्टी बांधकर जमकर नारेबाजी की। राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी सौंपा। पीथमपुर बचाओ समिति कचरा जलाने के विरोध में हस्ताक्षर अभियान, धरना प्रदर्शन, रैली पहले भी कर चुकी है।