हारे-जीते और नए-पुराने, मोदी लहर में सबकी जीत पक्की है…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
मध्यप्रदेश में लोकसभा टिकट वितरण ने यह साफ कर दिया है कि मोदी की लहर में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन नया है, कौन पुराना, कौन पिछला विधानसभा चुनाव हारा है और कौन लोकसभा का पिछला चुनाव जीता। अभी तो मोदी की लहर है सो मोदी के नाम पर कमल खिलेगा और सबको संसद के दरवाजे में प्रवेश मिलेगा। मध्यप्रदेश के 24 टिकट गवाही दे रहे हैं कि विधानसभा चुनाव हारे सांसद सतना गणेश सिंह और मंडला फग्गन सिंह कुलस्ते पर भाजपा मेहरबान है। तो विधानसभा चुनाव हारे भारत सिंह कुशवाहा अब ग्वालियर में और राहुल लोधी दमोह में कमल खिलाएंगे। पुराने चेहरों की बात करें तो शिवराज सिंह चौहान की विदिशा सीट पर और ज्योतिरादित्य सिंधिया की गुना में वापसी हुई है तो खजुराहो वीडी शर्मा, टीकमगढ़ डॉ. वीरेंद्र खटीक, भिंड संध्या राय,रीवा जनार्दन मिश्र, शहडोल हिमाद्री सिंह, देवास महेंद्र सिंह सोलंकी, खंडवा ज्ञानेश्वर पाटिल, खरगोन गजेंद्र पटेल, बैतूल दुर्गा दास उइके, राजगढ़ रोडमल नागर,मंदसौर सुधीर गुप्ता के नाम भी पुराने हैं तो भोपाल आलोक शर्मा,सागर लता वानखेड़े, रतलाम अनिता नागर सिंह चौहान, जबलपुर आशीष दुबे,नर्मदापुरम दर्शन सिंह चौधरी, मुरैना शिवमंगल सिंह तोमर और सीधी डॉ. राजेश मिश्रा जैसे नाम लोकसभा चुनाव में नए-नए हैं लेकिन संगठन में तपे हुए हैं। और फिर वही बात कि कभी हारें हों या जीते हों, नए हों या पुराने हों, चेहरों से कोई फर्क नहीं पड़ता। अभी तो देश में एक ही चेहरा है और वह है मोदी का, एक ही चुनाव चिन्ह है और वह है कमल का। जिसको भरोसा करना है, तो कर ले। जिसको भरोसा नहीं है, वह चुनाव परिणाम आने तक धैर्य रखकर इंतजार कर ले। सब कुछ साफ हो जाएगा और मोदी तो कमल खिलाने की अब गारंटी बन गए हैं। इसलिए सभी खुश रहो, हंसो और हंसाओ और मोदी की लहर में जीत सबकी पक्की है।
टिकट वितरण से यह बात भी साफ है कि शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा, ज्योतिरादित्य सिंधिया, डॉ. वीरेंद्र खटीक और फग्गन सिंह कुलस्ते का तो मोदी कैबिनेट में मंत्री बनना भी लगभग तय है। बाकी जिसकी किस्मत खुल जाए सो ठीक है। तो अब चार और सांसदों के टिकट कटना लगभग तय माने जा रहे हैं। इंदौर सांसद शंकर लालवानी, उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया, धार सांसद छतर सिंह दरबार और बालाघाट सांसद ढाल सिंह बिसेन के टिकट पर तलवार लटकी है। इस सूची में ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से विवेक शेजवलकर और केपी यादव दो-दो सांसदों को खामियाजा भुगतना पड़ा है। राजबहादुर सिंह, रमाकांत भार्गव, प्रज्ञा सिंह ठाकुर, गुमान सिंह डामोर के टिकट कटने की अलग-अलग वजहें हैं। इनकी अपनी ही कार्यशैली और बयानबाजी खास वजह है, कहें तो कोई गलत नहीं है।
यह सूची इस बात की खास गवाह है कि संगठन को तवज्जो मिली है। वीडी शर्मा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद कम से कम राज्यसभा और लोकसभा सांसद बनने वाले नामों की लंबी फेहरिस्त संगठन के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं को सम्मान मिलने का सूचक है। दूसरा नए जमीनी कार्यकर्ताओं के नामों का चयन कर भाजपा बार-बार पार्टी विद डिफरेंस का संदेश देने में सफल हो रही है। हालांकि प्रदेश के नेताओं की राय को तवज्जो देना केंद्रीय नेतृत्व की मजबूरी होती है, यह बात भी यह सूची बयां कर रही है। जबलपुर में पार्टी के टिकट पर पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक अजय विश्नोई का ट्वीट यह बता रहा है कि उच्च नेतृत्व की मनमर्जी भी सूची में शामिल है। खैर फिलहाल तो शिवराज भी खुश हैं कि उनके पसंदीदा ठिकाने पर उनकी वापसी हो गई है और चुनाव बाद केंद्रीय मंत्री की कुर्सी की एक झलक उनकी आंखों के सामने जरूर आ रही होगी। विष्णु दत्त शर्मा भी खुशी का इजहार कर रहे हैं। मोहन यादव और वीडी शर्मा टिकट वितरण के बाद शिवराज से मिलने उनके निवास पर पहुंचे। तो मोदी की दूरदर्शिता की तारीफ भी हो रही है। हालांकि टिकट न मिल पाने से हजारों कार्यकर्ता दुखी हुए होंगे। पर जिनके नसीब में था, वह टिकट भी पा गए हैं और मोदी लहर में उनकी जीत भी पक्की है.
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