Winston Churchill’s Claim Fails : विंस्टन चर्चिल दावा सही साबित नहीं हुआ, ऋषि सुनक उससे भी आगे निकले!

कहा था 'आजाद होकर भी भारतीय देश नहीं चला सकते' सुनक उनका देश चलाएंगे!

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Winston Churchill’s Claim Fails : विंस्टन चर्चिल दावा सही साबित नहीं हुआ, ऋषि सुनक उससे भी आगे निकले!

New Delhi : दुनिया के प्रसिद्ध कूटनीतिज्ञ, प्रखर वक्ता और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल (1940-1945) को दुनिया का सबसे महान राजनीतिज्ञ माना जाता रहा है।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ने अपने नेतृत्व कौशल, सेना में अधिकारी रहने के अनुभव, शातिर चालों और दृढ़ निश्चय से अंग्रेजों को जीत दिलाई थी। ऐसे महान विंस्टन चर्चिल की भारत के नेताओं को लेकर सोच बेहद निचले दर्जे का था। विंस्टन चर्चिल का मानना था कि भारतीयों में शासन करने की योग्यता नहीं है। अगर भारत को आजाद भी कर दिया जाए, तो भारत के नेता देश नहीं चला सकेंगे और देश बिखर जाएगा।

चर्चिल का कहना था कि आजादी के बाद से ही भारत की सत्ता दुष्टों, बदमाशों और लुटेरों के हाथों में चली जाएगी। लेकिन, भारत की आजादी के 75 साल बाद इस देश ने न सिर्फ चर्चिल के पूर्वाग्रहों को ध्वस्त कर दिया बल्कि इसी भारतवंशी की संतान आज ब्रिटेन के सर्वोच्च पद पर आसीन होने जा रहा है। विंस्टन चर्चिल की अनर्गल भविष्यवाणियों के 75-80 सालों के बाद ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बन गए।

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जब ब्रिटिश संसद में भारत की आजादी पर चर्चा होती तो चर्चिल बिना किसी संकोच के अपनी राय रखते थे। उनका कहना था कि मैं ब्रिटेन का प्रधानमंत्री इसलिए नहीं बना हूं कि भारत को स्वाधीनता देकर ब्रिटिश साम्राज्य का दिवाला निकाल दूं। भारत सदियों से ब्रिटेन का गुलाम रहा है, इसके निवासियों को आजादी के सपने देखने का कोई अधिकार नहीं है। ब्रिटिश साम्राज्य इतना शक्तिविहीन नहीं हो गया कि वह भूखे, नंगे, भारतवासियों को कुचल न सके। चर्चिल कहा करते थे कि भारतीयों की भाषा मीठी तो होगी, लेकिन दिल बेवकूफियों से भरा होगा। वे सत्ता के लिए एक दूसरे से लड़ेंगे और इन राजनीतिक लड़ाइयों में भारत पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।

 

ब्रिटेन के सबसे छोटे प्रधानमंत्री

आज 75 साल बाद इतिहास फुल सर्किल पर आ गया। 1980 में ब्रिटेन में जन्मे एक भारतवंशी ऋषि सुनक मात्र 42 साल की उम्र में उस देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं, जिस देश ने भारत पर 200 साल राज किया। ऋषि सुनक की कहानी ये बताती है कि अगर स्वस्थ्य प्रतिस्पर्द्धा हो, मौका मिले तो चर्चिल की धारणा के विपरित भारतीय प्रतिभा अपना सर्वश्रेष्ठ देने में पीछे नहीं हटती।

अपने अधिकांश करियर के लिए कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्य रहे चर्चिल के राजा अल्बर्ट फ्रेडरिक आर्थर जॉर्ज थे। 6 फरवरी 1952 में अपनी मृत्यु तक यूनाइटेड किंगडम के राजा और ब्रिटिश राष्ट्रमंडल के प्रभुत्व थे। वह समवर्ती रूप से अगस्त 1947 तक भारत के अंतिम सम्राट थे, जब ब्रिटिश राज भंग कर दिया गया था। आज ब्रिटेन में नई सरकार बनाने के लिए भारतवंशी ऋषि सनक को इसी राजमहल में आने का किंग चार्ल्स-3 का बाकायदा निमंत्रण प्राप्त हुआ, जिसे ऋषि सनक ने स्वीकार कर औपचारिक मुलाकात की।

ऋषि सनक की किंग चार्ल्स के साथ मुलाकात बकिंघम पैलेस के कमरा नंबर 1844 में हुई, जहां उन्हें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया था। सुनक की सहमति के बाद जल्द ही वे अपनी कैबिनेट तय करेंगे।

ब्रिटेन के 200 सालों के इतिहास में सुनक सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री के रूप में चुने गए हैं। जबकि, भारत में ब्रिटिश की साम्राज्य सत्ता का किसी प्रकार का भी समर्पण नहीं चाहने वाले चर्चिल ने बुढापे में प्रधानमंत्री पद हासिल किया था। वह भी तत्कालीन प्रधानमंत्री चैंबरलेन के द्वारा 1940 में त्यागपत्र देने के बाद, तब जाकर चर्चिल ने 66 वर्ष की उम्र में प्रधान मंत्री पद संभाला था।

 

ब्रिटेन में आज 16 लाख भारतीय

आज भारतीय मूल के लोग ब्रिटेन की आबादी का बड़ा हिस्सा हैं। अंग्रेजों के शासन के दौरान जितने अंग्रेज भारत में रहे उसका 10 गुना भारतीय आज ब्रिटेन में रहते हैं। अंग्रेजों द्वारा 1941 में की गई जनगणना के मुताबिक उस वक्त भारत में 1.44 लाख के करीब ब्रिटिश रहते थे। आज ब्रिटेन में भारतीय मूल के लोगों की जनसंख्या 16 लाख से ज्यादा है। निश्चित रूप से भारतीयों ने न सिर्फ ब्रिटेन के परिवेश में खुद का ढाला, बल्कि वे वहां की राजनीति, अर्थव्यवस्था और व्यापार में अग्रणी बने हुए हैं।

 

सुनक का भारतवंशी परिवार

ऋषि सुनक के दादा-दादी का जन्म पंजाब प्रांत (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। जबकि, ऋषि सुनक के पिता का जन्म केन्या तो उनकी मां का जन्म तंजानिया में हुआ। ब्रिटेन से शुरुआती पढ़ाई करने के बाद सुनक ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। पढ़ाई पूरी करने के बाद ऋषि सुनक ने गोल्डमैन सैश के साथ काम किया और बाद में हेज फंड फर्म्स में पार्टनर बन गए।

राजनीति में आने के बाद ऋषि सुनक 2014 में पहली बार रिचमंड से कंजरवेटिव पार्टी के नेता चुने गए। 2015 के आम चुनाव में ऋषि सुनक इस सीट से 19550 वोटों से जीते। यहां से शुरू हुई उनकी राजनीतिक यात्रा अब 10 डाउनिंग स्ट्रीट के लक्ष्य तक पहुंच गई है।