“इंटेंशन” पर भारी पड़ गया “शब्द चयन”…मोहन का संदेश अब “नौकरशाही” पर भारी “आमजन”…

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“इंटेंशन” पर भारी पड़ गया “शब्द चयन”…मोहन का संदेश अब “नौकरशाही” पर भारी “आमजन”…

शाजापुर कलेक्टर किशोर कन्याल की मंशा यानि इंटेंशन भले ही गलत न रहा हो, लेकिन कानून तोड़ने की ट्रक ड्राइवर की मंशा पर आक्रोश में “शब्द चयन” में गलती उनकी कलेक्टरी पर भारी पड़ गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसे अक्षम्य मानते हुए कन्याल को बिना देर किए मंत्रालय का रास्ता दिखा दिया है। इसके जरिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का संदेश साफ है कि अब मध्यप्रदेश से नौकरशाही के दिन लद गए हैं। अब वही होगा जो आमजन के अनुरूप हो। यदि भाषा भी आमजन को आहत करने वाली है, तब भी सरकार और खास तौर पर मुख्यमंत्री की तरफ से माफी का कोई मौका नहीं मिलेगा। और एक शब्द “औकात” ने किशोर कन्याल को तो कलेक्टर के पद से हटाकर उपसचिव बना दिया, लेकिन संदेश पूरी नौकरशाही को दे दिया कि मोहन का रवैया “गलत के साथ महागलत” और “गलती के लिए कोई माफी नहीं” जैसा रहने वाला है। और यह भी साफ है कि “अभी तो यह शुरुआत है, आगे भी यह सिलसिला रुकने वाला नहीं है”। या यूं कहा जाए कि “अभी तो यह ट्रेलर है साहब, पूरी पिक्चर अभी बाकी है”। नौकरशाही को यह समझ लेना चाहिए कि मध्यप्रदेश में आमजन की सरकार है और आमजन की बेइज्जती सरकार कतई पसंद नहीं करेगी। ऐसे वाकये आएंगे, तो सरकार किसी को भी नहीं बख्सेगी। भले ही वह आईएएस हो, आईपीएस हो या फिर कोई और तुर्रम खां।
सितंबर 2022 में सुरक्षा की गुहार लगाने पर झाबुआ एसपी अरविंद तिवारी ने छात्रों से गाली-गलौज कर उनकी औकात को कुत्तों सरीखा बताया था। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कड़ा रवैया अपनाते हुए अरविंद तिवारी को वहां से न केवल हटाया था, बल्कि उन्हें निलंबित भी कर दिया था। हालांकि इसकी तुलना शाजापुर कलेक्टर किशोर कन्याल के मामले से कतई नहीं की जा सकती है, क्योंकि यहां कलेक्टर यह समझाइश देते हुए आक्रोश में औकात शब्द का इस्तेमाल कर गए कि सभी को कानून व्यवस्था का पालन करना पड़ेगा। ऐसे में उनका इंटेंशन गलत नहीं था, भले ही शब्द चयन निश्चित‌ तौर पर गलत ठहराया जा सकता है। खैर मुख्यमंत्री मोहन यादव का कहना साफ है कि आमजन के प्रति अपशब्दों के इस्तेमाल को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
वैसे मुख्यमंत्री मोहन यादव की छवि एक सख्त राजनेता की बन गई है। हाल ही में गुना में हुई बस दुर्घटना के मामले में आईएएस-आईपीएस अफसरों पर गाज गिराकर उन्होंने साफ कर दिया था कि कोई भी कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस मामले में सरकार ने विशेष पुलिस महानिदेशक और परिवहन आयुक्त संजय कुमार झा को परिवहन आयुक्त के पद से हटा दिया था। गुना कलेक्टर तरुण राठी और गुना पुलिस अधीक्षक विजय कुमार खत्री को भी हटा दिया था। कई अन्य अधिकारी भी इस मामले में हटाए और निलंबित किए गए थे।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने साफ किया है कि शाजापुर में ट्रक ड्राईवरों की बैठक के दौरान जिस प्रकार की भाषा का उपयोग अधिकारी द्वारा किया गया वह कतई उचित नहीं है। उन्होंने याद दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हम गरोबोत्थान के लिए कार्य कर रहे हैं। यह सरकार गरीबों की सरकार है, मैं स्वयं मजदूर परिवार से आता हूँ, हमारी सरकार में इस प्रकार का व्यवहार सहन नहीं होगा, ऐसी भाषा बोलने वाले अधिकारियों को मैदान में रहने का अधिकार नहीं है। मैं इस घटना से बहुत पीड़ित हूँ, ऐसे प्रकरणों में किसी को क्षमा नहीं किया जा सकता। अधिकारियों को मनुष्यता के नाते सभी व्यक्तियों के काम और उनके भाव का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई है कि भविष्य में अधिकारी अपने व्यवहार और भाषा का ध्यान रखेंगे। इसे संयमित भाषा में चेतावनी भी समझा जा सकता है।
कुल मिलाकर शाजापुर कलेक्टर किशोर कन्याल के मामले में यही कहा जा सकता है कि उनका कानून का पालन करवाने का इंटेंशन था, पर कड़ी समझाइश में शब्द चयन उन पर ही भारी पड़ गया है। वहीं मुख्यमंत्री मोहन यादव का संदेश साफ है कि नौकरशाहों को अपनी भाषागत सीमा में रहना चाहिए वरना आमजन उन पर हमेशा ही भारी पड़ेंगे…।