
ग्राम समृद्धि नवकुंभ को लेकर कार्यशाला,12 वर्षों की रणनीति पर होगा मंथन
राजेश जयंत की विशेष रिपोर्ट
अलीराजपुर। आगामी 28 फरवरी से 3 मार्च 2025 तक झाबुआ में आयोजित होने जा रहे ग्राम समृद्धि नवकुंभ की अवधारणा को लेकर झाबुआ-अलीराजपुर अंचल में बैठक एवं कार्यशालाओं का दौर चल रहा है। रविवार को जिले के उदयगढ़ में यह आयोजन रखा गया। मांगलिक भवन में आयोजित कार्यशाला में “ग्राम विकास के माध्यम से राष्ट्र विकास की परिकल्पना-सहकार जरूरी है” विषय पर विस्तार से चर्चा की गई।
*12 वर्षों की रणनीति पर मंथन*
इस अभियान के तहत प्रत्येक गांव से 10 लोगों की एक टोली बनाई जा रही है। यह टोली अगले 12 वर्षों के लिए गांव की समृद्धि की एक विस्तृत योजना तैयार करेगी। इसमें गांव के विकास के सभी पहलुओं को शामिल किया जाएगा। जल, जंगल, जमीन, जानवर और जन संवर्धन से गांव में समृद्धि की दिशा तय किए जाएंगे।
अभियान से जुड़े हरिसिंह सिंगाड ने बताया कि शिवगंगा का यह अभियान प्रकृति के घटकों का संवर्धन कर ग्राम को समृद्ध और मजबूत बनाएगा।
*समग्र और सतत विकास का मार्ग*
कार्यशाला में शिवगंगा के राजारामजी कटारा ने कहा कि विकास’ के आधुनिक विचार ने ग्लोबल वार्मिंग, तेज़ शहरीकरण और असमान विकास को जन्म दिया है, जिससे हमारी भावी पीढ़ी को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इन चुनौतियों से निपटने के साथ ही आने वाली पीढ़ी को हम समग्र और सतत विकास का मार्ग कैसे प्रशस्त कर सकते हैं.. इसी को लेकर ग्राम समृद्धि नव कुंभ का आयोजन किया जा रहा है।
*बेहतर कल का संकल्प*
“900 गांव 6000 भागीरथ “
राजाराम कटारा ने कहा कि समग्र विकास की दृष्टि से झाबुआ के युवाओं ने जल, जंगल, जमीन, पशु और जन के रूप में पांच ग्राम देवताओं की सेवा में समृद्धि का मार्ग खोज लिया है। इसके माध्यम से हम आने वाली पीढ़ी को एक बेहतर कल देने जा रहे हैं। इस लक्ष्य को पाने के लिए गांवों को नव तीर्थ बनाने का संकल्प लिया गया है।

ग्राम समृद्धि नवकुंभ” में झाबुआ-अलीराजपुर जिले के 1300 ग्रामों के ग्रामीणों का जमावड़ा होगा। इसमें संकल्पित 900 नव तीर्थ गांवों के 6000 नव भागीरथ देश दुनिया को प्रकृति संरक्षण का संदेश देंगे।
कटारा ने कहा कि भारतीय संस्कृति सभी के सुखी और निरोगी होने की कामना करती है। इसलिए गांवों के विकास के माध्यम से राष्ट्र के विकास की घोषणा करने वाले ऐतिहासिक नवकुंभ में सभी को अपनी स्वेच्छा से शामिल होना चाहिए।

*पांच देव जगाएंगे -सुख समृद्धि लाएंगे*
“पहले हमारे गांव तीर्थ के समान हुआ करते थे, गांव में सुख शांति थी। लेकिन, अब सब कुछ बदलता जा रहा है। जंगल उजड़ गए, पानी सूख गया, जमीन जहरीली हो गई, जानवर कम हो गए और झगड़े बढ़ गए हैं। इससे हमारे देवता भी दुखी हैं । हम अकेले कभी इन दुखों को दूर नहीं कर सकते। गांव में सुख-समृद्धि लाने के लिए हम सभी को साथ मिलकर जल, जंगल, जमीन, जन और पशु के रूप में पांच ग्राम देवताओं को पुनर्स्थापित करना होगा।”
पद्मश्री महेश शर्मा शिवगंगा प्रमुख





