

World Book Day : देश में साक्षरता बढ़ी, पर पुस्तक पढ़ने वाले नहीं!
– प्रो नीलिमा गुप्ता
(कुलपति, डॉ हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि, सागर)
मनुष्य के जीवन में पुस्तकों की भूमिका और महत्त्व हमेशा से रहा है। एक बालक पुस्तक से ही अक्षर पहचानना और गिनती सीखता हैए एक छात्र पुस्तक पढ़कर ही डिग्री पाता है। डॉक्टर, वकील तथा अन्य क्षेत्रों के पेशेवर पुस्तकों के माध्यम से ही अपने ज्ञान और पेशे में वृद्धि करते हैं। यह पुस्तकें ही हैं जो लम्बे सफर में हमारा मनोरंजन करती हैं और हमें चरित्र निर्माण, भारतीय मूल्य और व्यक्तित्व विकास के बारे में जानकारी देती हैं। ज्ञान की प्यास पुस्तकें ही बुझाती हैं। पुस्तकें ज्ञान की खोज के सच्चे साथी हैं। पुस्तकें व्यक्ति के जीवन में रंग भरकर भविष्य को आकार देती हैं। यह ज्ञान की दुनिया के प्रवेश द्वार हैं।
पिछले कुछ वर्षों में लोग धीरे.धीरे पुस्तकों से हटकर डिजिटल दुनिया की तरफ आकर्षित होते गए। वेद- पुराण, विश्वकोश, शब्दकोश, एटलस, रेड डाटा बुक आदि बुक शेल्फ और पुस्तकालयों की शोभा बनकर रह गए।
एक दशक पहले के आंकड़ों के अनुसार प्रति वर्ष 54.6% वयस्क पुस्तकें पढ़ा करते थे। पिछले 5 वर्ष के आंकड़ों में यह 52.7% है तथा वर्तमान में 48.5% वयस्क पुस्तक पढ़ते हैं। जहां एक ओर साक्षरता दर बढ़ी, वहीं दूसरी और पुस्तक पढ़ने की निरंतर घटती हुई संख्या चिंताजनक है। यह आवश्यक है कि पुस्तकों के प्रति एक जागरूकता अभियान चलाया जाए जिससे हम समाज को शिक्षितए सुयोग्य एवं समर्थ बना सकें।
व्यावसायिक युग में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण लोगों के पास समय की कमी है। इसके कारण इंटरनेट, मोबाइल तथा डिजिटल साधनों का प्रयोग बढ़ता जा रहा है और पुस्तकें धीरे-धीरे उपेक्षित होती गईं। आज डिजिटल पुस्तकालयों का विकास हो रहा है और पुस्तकें, जो किसी भी राष्ट्र की संस्कृति और ज्ञान का प्रतीक होती हैं, वह पुस्तकालयों में अनछुई सी रह गईं। पुस्तकालयों में पुस्तक पढ़ने वाले लोग कम होते जा रहे हैं। ज्ञान से परिपूर्ण यह पुस्तकें पढ़ने वालों का इंतजार ही कर रही हैं। उपलब्ध आंकड़ों के हिसाब से अमेरिका में एक व्यक्ति लगभग 17 पुस्तक प्रतिवर्ष पढ़ता है, एक भारतीय 16 पुस्तक, यूनाइटेड किंगडम में यह आंकड़ा 15 पुस्तक तक है। फ्रांस में एक व्यक्ति औसतन 14 पुस्तक और इटालियन 13 पुस्तक प्रति वर्ष पढ़ते हैं। ये देश क्रमशः 357, 352, 343, 305 तथा 278 घंटे प्रति वर्ष पढ़ने में बिताते हैं। सबसे कम आंकड़े अफगानियों के हैं। यहाँ प्रति व्यक्ति आंकड़ा 2.56 पुस्तक प्रति वर्ष का है और ये 58 घंटे प्रति वर्ष पढ़ने में बिताते हैं।
सन् 1995 में यूनेस्को ने विश्व पुस्तक दिवस की घोषणा की थी और तब से निरन्तर 23 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य वाचन और पुस्तकों के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना, पुस्तक प्रकाशन और कापी राइट के महत्व को समझना तथा लेखकों और पुस्तकालयों की भूमिका को उजागर करना है। भारत में भी विश्व पुस्तक दिवस 23 अप्रैल को मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है ‘अपने तरीके से पढ़ें।’ इसका उद्देश्य बच्चों में नैसर्गिक और मनोरंजक तरीके से सीखने के लिए प्रेरित करना है। हर आयु और वर्ग के मनुष्य के जीवन में पुस्तकें अहम भूमिका निभाती हैं। यह हमारे जीवन को समृद्ध बनाने में मदद करती हैं, जिससे हमारा व्यक्तित्व का पूर्ण विकास सम्भव है।
यह हमें ज्ञान, जानकारी और अनुभव प्रदान करती हैं, जो हमारे व्यक्तिगत और पेशेवर विकास में सहायक हैं। जहाँ एक ओर पुस्तकें बच्चों के लिए शिक्षा और ज्ञान का आधार हैं तथा वे उनमें कल्पनाएं सृजनात्मकता तथा नैतिक मूल्यों का विकास करती हैं, वहीं विद्यार्थियों के लिए पाठ्यक्रम की तैयारी, गहरे ज्ञान, जानकारी तथा शोध और अनुसंधान में सहायक हैं। पेशेवरों के लिए पुस्तकें ज्ञान और जानकारी के साथ.साथ उनके पेशेवर विकास तथा नेटवर्किंग और सम्पर्क के माध्यम से अन्य पेशेवरों से जुडने और नेटवर्किंग में मदद करती हैं। आम जनता के लिए पुस्तकें मनोरंजन का साधन, ज्ञान और जानकारी प्रदान करती हैं तथा व्यक्तिगत विकास में मदद करती हैं।
पुस्तकें समाज में शिक्षा और संस्कारों का प्रसार करने का एक अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य करती हैं। यह केवल पढ़ाई का माध्यम ही नहीं है, बल्कि यह सामाजिक विकास और विचारशीलता को भी बढ़ावा देती हैं। पुस्तकालय केवल किताबों का संग्रह नहीं, बल्कि एक ऐसा मंच है जो ज्ञान और सोच को निरंतर आगे बढ़ाता है। इससे समाज का समग्र विकास होता है। इस अंतराष्ट्रीय पुस्तक दिवस पर हम संकल्प लें कि ज्ञान से परिपूर्ण इन पुस्तकों को पढ़कर एक सृजनात्मक सोच का विकास करेंगे और अपने जीवन में पूर्णता लाने का प्रयास करेंगे। हम भी पढ़ें और दूसरों को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करें। पुस्तकें पढ़ें, ज्ञान बढ़ाएं, पढ़ने की आदत डालें, ज्ञान के भंडार की पुस्तकों से ज्ञान की शक्ति बढ़ाएं और अपने जीवन को समृद्ध बनाएं।
पुस्तकें हमारा जीवन हैं। इन्हें पढ़े और आत्मविश्वास बढ़ाएं। पुस्तक पढ़ने में अभिरूचि पैदा करने से मनुष्य के जीवन में अनेक रंग स्वतः भर जाते हैं। आवश्यक है कि हम इस अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक दिवस पर पुस्तकों के प्रति जागरूकता फैलाएं और सभी वर्ग के लोगों को पुस्तक पढ़ने के लिए प्रेरित करें जिससे पुस्तकों द्वारा समाज को एक नया दृष्टिकोण और आत्मविश्वास मिल सके। इसी समाज का शिक्षितए योग्यए सक्षम एवं समर्थ नागरिक राष्ट्र ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व में अपनी एक नई पहचान बना सके।