
आज विश्व हाथी दिवस: हाथियों की मदद के लिए दुनिया को एक साथ लाना-2025 की थीम
– अनिल तंवर की खास रिपोर्ट
एक परिचय: विशालकाय जीवों का आह्वान
हर साल 12 अगस्त को मनाया जाने वाला विश्व हाथी दिवस, पृथ्वी के सबसे बड़े भूमि स्तनधारियों—हाथियों—के संरक्षण और सुरक्षा के लिए समर्पित एक वैश्विक मंच है । यह दिन केवल एक वार्षिक स्मरणोत्सव नहीं, बल्कि अफ्रीकी और एशियाई हाथियों के सामने आने वाले गंभीर खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उनके बेहतर देखभाल व प्रबंधन के लिए सकारात्मक समाधान साझा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है । 2025 का विश्व हाथी दिवस “हाथियों की मदद के लिए दुनिया को एक साथ लाना” की थीम के साथ एक विशेष महत्व रखता है, जो “मातृसत्ता और यादें” (Matriarchs & Memories) पर केंद्रित है । यह थीम हाथियों की मातृसत्तात्मक नेताओं की बुद्धिमत्ता और मानव संरक्षणवादियों के समर्पण को एक साथ लाती है, जो इन अद्भुत जीवों और उनकी विरासत की सुरक्षा के लिए सामूहिक जिम्मेदारी को प्रेरित करती है ।
हाथियों का संकट: एक अदृश्य संघर्ष
हाथी, अपनी सहानुभूति, आत्म-जागरूकता और सामाजिक बुद्धिमत्ता जैसे उत्कृष्ट मानवीय गुणों के लिए प्रशंसित, आज एक गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं । एक सदी पहले, हाथी पूर्वी अफ्रीका में स्वतंत्र रूप से घूमते थे, जहाँ लोग हाथियों के समुद्र में द्वीपों पर रहते थे। आज, ये द्वीप लोगों के समुद्र में बदल गए हैं, और हाथी सिकुड़ते, खंडित आवासों तक सीमित हो गए हैं ।
हाथियों के अस्तित्व के लिए कई खतरे मंडरा रहे हैं:
• अवैध शिकार (Poaching): हाथीदांत की बढ़ती मांग, विशेषकर चीन में, अफ्रीकी और एशियाई हाथियों के अवैध शिकार का मुख्य कारण है । हाथीदांत का सड़क मूल्य अब सोने से भी अधिक हो गया है, जिससे यह एक कम जोखिम वाला, उच्च लाभ वाला अवैध व्यापार बन गया है । हाथियों का मांस, चमड़ा और शरीर के अन्य अंगों के लिए भी शिकार किया जाता है ।
• आवास का नुकसान और विखंडन (Habitat Loss and Fragmentation): वनों की कटाई, खनन में वृद्धि और कृषि गतिविधियों के कारण आवास का नुकसान हाथियों के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है, खासकर एशियाई हाथियों के लिए । आवास का विखंडन हाथियों को अलग-थलग कर देता है, जिससे प्रजनन मुश्किल हो जाता है और शिकारी आसानी से उन तक पहुँच पाते हैं ।
• मानव-हाथी संघर्ष (Human-Elephant Conflict): मानव आबादी में वृद्धि और वन आवरण में कमी के कारण हाथी भोजन और पानी की तलाश में मानव बस्तियों में घुसने को मजबूर हो जाते हैं। इससे फसलों को नुकसान, आर्थिक हानि और मानव व हाथी दोनों की जान का नुकसान होता है । प्रभावित लोगों द्वारा जवाबी कार्रवाई में अक्सर हाथियों को मार दिया जाता है ।
• जलवायु परिवर्तन (Climate Change): जलवायु परिवर्तन सूखे, जंगल की आग, बाढ़ और अत्यधिक तापमान जैसी घटनाओं को बढ़ाता है, जिससे हाथियों के लिए भोजन और पानी की कमी हो जाती है । केन्या में, जलवायु परिवर्तन अब हाथियों के लिए अवैध शिकार से भी बड़ा खतरा बन गया है, और पानी की कमी उनकी प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित करती है । एशियाई हाथियों में हीट स्ट्रोक मृत्यु का एक प्रमुख कारण है ।
• कैद में दुर्व्यवहार (Mistreatment in Captivity): चिड़ियाघरों, सर्कसों और पर्यटन में हाथियों की देखभाल और उपचार से संबंधित कानून की कमी अक्सर उनके साथ दुर्व्यवहार का कारण बनती है । एशियाई हाथियों को अक्सर अवैध रूप से जंगल से पकड़ा जाता है और आकर्षक पर्यटन उद्योग में तस्करी की जाती है ।
2025 की थीम: मातृसत्ता और यादें – एक साथ आना
विश्व हाथी दिवस 2025 की थीम “मातृसत्ता और यादें” हाथियों के संरक्षण में दो महत्वपूर्ण तत्वों पर प्रकाश डालती है:
• हाथी मातृसत्ता (Elephant Matriarchs): ये हाथी झुंड की वरिष्ठ मादा नेता होती हैं, जो अपनी उल्लेखनीय याददाश्त का उपयोग करके झुंड को पानी के स्रोतों, सुरक्षित भोजन स्थलों और प्रवास मार्गों तक ले जाती हैं, खासकर सूखे जैसे चुनौतीपूर्ण समय में । वे पीढ़ियों के ज्ञान को अपने भीतर समेटे रहती हैं ।
• महिला संरक्षणवादी (Women Conservationists): ये वे मानव नेता हैं जो नीतिगत वकालत, क्षेत्र अनुसंधान, पशु चिकित्सा देखभाल और सामुदायिक कार्यक्रमों के माध्यम से हाथियों को बचाने के लिए अपना जीवन समर्पित करती हैं ।
यह थीम हाथियों के भौतिक अस्तित्व और उनके सांस्कृतिक महत्व दोनों को संरक्षित करने के विचार पर केंद्रित है । यह एक सामूहिक जिम्मेदारी को प्रेरित करती है, जहाँ हाथियों की बुद्धिमत्ता और मानव संरक्षकों का समर्पण मिलकर इन विशालकाय जीवों और उनकी विरासत की रक्षा करते हैं ।
सह-अस्तित्व की दिशा में अभिनव समाधान
हाथियों के संरक्षण के लिए सह-अस्तित्व ही एकमात्र दीर्घकालिक समाधान है । दुनिया भर में संरक्षणवादी मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के लिए अभिनव समाधान खोज रहे हैं:
• मधुमक्खी बाड़ (Beehive Fences): हाथी मधुमक्खियों से स्वाभाविक रूप से डरते हैं । किसान फसलों की सुरक्षा के लिए खेतों की परिधि पर मधुमक्खी के छत्ते लगाते हैं। भारत, श्रीलंका, दक्षिण-पश्चिम चीन, केन्या और तंजानिया में फसल सुरक्षा के लिए मधुमक्खी बाड़ का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है । भारत में “प्लान बी” जैसी पहल, जो रेलवे ट्रैक के पास मधुमक्खी के भिनभिनाने की आवाज का उपयोग करती है, ट्रेन-हाथी टक्करों को रोकने में प्रभावी साबित हुई है ।
• मुआवजा और बीमा (Compensation & Insurance): गैर-सरकारी संगठन (NGOs) और सरकारें फसल क्षति के लिए त्वरित मुआवजा योजनाएँ शुरू कर रही हैं । सामुदायिक-नेतृत्व वाले संरक्षण और इको-टूरिज्म कार्यक्रम हाथियों के प्रति सहिष्णुता और गर्व की भावना पैदा कर रहे हैं । कुछ NGOs सामुदायिक-आधारित बीमा कोषों का भी परीक्षण कर रहे हैं ।
• सामुदायिक-आधारित संरक्षण (Community-Based Conservation): सामुदायिक संरक्षण वन्यजीव संरक्षण को इको-टूरिज्म के माध्यम से राजस्व-साझाकरण के साथ जोड़ते हैं। यह स्थानीय सहिष्णुता और प्रबंधन को बढ़ावा देता है ।
• जैव-सांस्कृतिक विविधता (Biocultural Diversity): अनुसंधान इस बात की पुष्टि करता है कि जैव-सांस्कृतिक विविधता में निहित दृष्टिकोण—जो पारिस्थितिक संरक्षण को सांस्कृतिक मूल्यों और स्थानीय भागीदारी के साथ जोड़ते हैं—स्थायी परिणाम देते हैं । कई एशियाई समाजों में हाथियों को पवित्र माना जाता है, और यह श्रद्धा सह-अस्तित्व के लिए एक मजबूत नींव बन सकती है ।
भारत के संरक्षण प्रयास: प्रोजेक्ट एलिफेंट और वाइल्डलाइफ एसओएस
भारत, जो पृथ्वी पर शेष एशियाई हाथी आबादी का लगभग 60% हिस्सा है , हाथियों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
• प्रोजेक्ट एलिफेंट (Project Elephant): भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 1992 में शुरू किया गया, प्रोजेक्ट एलिफेंट लुप्तप्राय भारतीय हाथी की सुरक्षा के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करता है । यह मानव-पशु संघर्ष को कम करने के लिए हाथी-प्रूफ भंडारण डिब्बे और विकर्षक विकसित करने जैसे अनुसंधान गतिविधियों को भी बढ़ावा देता है । भारत में 33 से अधिक हाथी अभयारण्य हैं जो हाथियों के आवासों की रक्षा करते हैं ।
• वाइल्डलाइफ एसओएस (Wildlife SOS): यह संगठन भारत में जंगली हाथी आबादी की रक्षा के लिए प्रयास करता है। वे पर्यटन, शारीरिक श्रम, प्रदर्शन और भीख मांगने जैसे दुर्व्यवहार वाले उद्योगों में शोषित हाथियों को बचाते हैं, उनका इलाज करते हैं और उनकी देखभाल करते हैं । 2019 में, वाइल्डलाइफ एसओएस ने भारत का पहला हाथी स्मारक स्थापित किया, जो उन हाथियों को श्रद्धांजलि देता है जिन्होंने क्रूरता के खिलाफ लड़ाई में अपनी जान गंवाई ।
वैश्विक सहयोग: एक साझा भविष्य के लिए
विश्व हाथी दिवस राष्ट्रीय सीमाओं से परे है, जो संगठनों और व्यक्तियों को हाथियों को धमकी देने वाले मुद्दों को आवाज देने के लिए एक साथ रैली करने की अनुमति देता है । इंटरनेशनल एलिफेंट फाउंडेशन (IEF) और सेव द एलिफेंट्स (Save the Elephants) जैसे संगठन दुनिया भर में हाथी संरक्षण परियोजनाओं का समर्थन करते हैं, जिसमें अवैध शिकार को रोकना, मानव-हाथी संघर्ष के समाधान खोजना और सामुदायिक संरक्षणवादियों को प्रशिक्षित करना शामिल है । वन्यजीव संरक्षण सोसाइटी (WCS) 21 देशों में हाथियों पर काम करती है, जिसमें अवैध शिकार को रोकना और हाथीदांत की तस्करी को कम करना शामिल है ।
निष्कर्ष: एक उज्जवल भविष्य की आशा
हाथियों की मदद के लिए दुनिया को एक साथ लाना केवल एक थीम नहीं, बल्कि एक आवश्यकता है। हाथियों का अस्तित्व हमारे ग्रह के पारिस्थितिक और आध्यात्मिक संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है। विश्व हाथी दिवस 2025 हमें याद दिलाता है कि इन विशालकाय जीवों की रक्षा के लिए व्यक्तिगत, सामुदायिक और वैश्विक स्तर पर निरंतर प्रयास और सहयोग आवश्यक है। हाथियों के लिए एक सुरक्षित और सह-अस्तित्व वाला भविष्य सुनिश्चित करके, हम न केवल एक प्रजाति को बचाते हैं, बल्कि अपनी साझा विरासत और पृथ्वी के नाजुक पारिस्थितिक तंत्र को भी संरक्षित करते हैं।





