

World Heritage Day: विश्व धरोहर दिवस हमारी विरासत, हमारी पहचान
कीर्ति कापसे की रिपोर्ट
प्रति वर्ष 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस (World Heritage Day) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य दुनियाभर की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना है। यह दिन हमें हमारी समृद्ध विरासत की याद दिलाता है, जो केवल ईंट और पत्थरों का ढांचा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, परंपरा और इतिहास की अमूल्य धरोहर है। पुरातन युग की साक्षी है।
इतिहास और महत्व:
विश्व धरोहर दिवस की शुरुआत 1982 में इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मोन्यूमेंट्स एंड साइट्स (ICOMOS) के प्रस्ताव पर हुई थी, जिसे 1983 में यूनेस्को ने मान्यता दी।
इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि दुनिया के ऐतिहासिक स्मारकों और स्थलों को संरक्षित रखा जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इनसे जुड़ सकें और अपना इतिहास जान सकें।
भारत की विश्व धरोहरें:
भारत में विविधता से भरी कई विश्व धरोहरें हैं, जिन्हें यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त है। इनमें ताज महल, कुतुब मीनार, खजुराहो के मंदिर, महाबलीपुरम की गुफाएँ, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, साँची स्तूप, और हाल ही में शामिल हुए धोलावीरा और काकातिया रुद्रेश्वर मंदिर जैसे स्थल प्रमुख हैं।
इन धरोहरों को संरक्षित रखना न केवल हमारी जिम्मेदारी है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने का माध्यम भी है।
इस दिन की थीम:
हर साल इस दिवस की एक विशेष थीम होती है, जो धरोहर संरक्षण के किसी विशेष पहलू पर ध्यान केंद्रित करती है। यह थीम वैश्विक और स्थानीय स्तर पर लोगों को प्रेरित करती है कि वे अपनी विरासत को समझें और उसका संरक्षण करें।
हम क्या कर सकते हैं?
ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा करते समय स्वच्छता और अनुशासन बनाए रखें।
स्मारकों पर लिखने या तोड़फोड़ करने से बचें।
स्थानीय धरोहरों के बारे में जानकारी हासिल करें और दूसरों को जागरूक करें।
धरोहर संरक्षण अभियानों में सक्रिय भाग लें।
विश्व धरोहर दिवस केवल एक दिन नहीं, बल्कि एक सोच है – कि हम अपने अतीत को सम्मान दें और अपने भविष्य के लिए उसे सहेज कर रखें। ये धरोहरें हमारी पहचान हैं, और इनका संरक्षण हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी है।