World Tribal Day 2025: आदिवासी सम्मान, अधिकार और समाज सुधार

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World Tribal Day 2025: आदिवासी सम्मान, अधिकार और समाज सुधार

– राजेश जयंत

9 अगस्त 2025 World Tribal Day के मौके पर आदिवासी समाज के योगदान, अधिकारों और सामाजिक सुधारों पर देशभर में विमर्श जारी है। खासकर मध्य प्रदेश, जहां अनुमानित 1.5 करोड आदिवासी रहते हैं और वह देश की सबसे बडी आदिवासी आबादी वाला राज्य है, इस चर्चा के केंद्र में है। झाबुआ‑अलीराजपुर जैसे जिलों में पारंपरिक संस्कृति अभी भी मजबूती से जीवित है, पर साथ ही सामाजिक चुनौतियां भी गहरी हैं।

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विश्व आदिवासी दिवस हर साल आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक विरासत, आंकिक शक्ति और अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। यह दिवस 1994 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त हुआ और तब से दुनियाभर में आदिवासी‑समूहों के मुद्दों को उजागर करने का एक मंच बना हुआ है।

“राजनीतिक व कानूनी पहलें:
केंद्र व राज्य की कई आदिवासी विकास एवं कल्याण, योजनाएं, 2006 का वन अधिकार कानून, आदिवासी कल्याण के प्रमुख स्तम्भ हैं। मध्य प्रदेश में Forest Rights Act 2006
के तहत कई ग्रामों ने सामूहिक अधिकारों के लिए प्रस्तुत दावों पर मैदानी क्रियान्वयन, और शीघ्र निस्तारण अभी भी प्रमुख मुद्दा बना हुआ है।

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“स्थानीय चुनौतियां:
विस्थापन, जमीन‑जंगल का हरण, खनन और बुनियादी ढांचे के दबाव से झाबुआ‑अलीराजपुर जैसे जिलों में आजीविका प्रभावित हुई है। साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य और आधारभूत अवसंरचना की कमी और प्रवासन की प्रवृत्ति भी विकास में बाधा डालती है।

“सामाजिक‑प्रशासनिक पहलें:
मध्य प्रदेश के कई जिलों में शराब‑मद्यपान, दहेज, डाकन (अंधविश्वास) और डी.जे. जैसी बुराइयों के खिलाफ प्रशासन व सामाजिक संगठनों ने मिलकर प्रभावशाली कदम उठाए हैं। पंचायतें, महिला‑स्वयं सहायता समूह, आदिवासी संगठन और जिला प्रशासन ने ग्राम जागरूकता शिविर, ‘दहेज‑मुक्त’ व ‘नशा‑मुक्त’ शपथ‑अभियान, विवाहों पर डीजे निषेध, नियमावली तथा नाइट‑पोलिसिंग जैसे उपाय अपनाए हैं। इन पहलों के चलते कई गांवों में दहेज‑मुक्त शादियों का रुझान बढ़ा है, सार्वजनिक व्यवधान और मद्य‑सम्बंधित घटनाओं में कमी के आरम्भिक संकेत मिल रहे हैं, और स्वरोजगार व नशा मुक्ति परियोजनाओं से परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार दिखा है।

“जन‑जन तक पहुंचाने का संकल्प:
ये सकारात्मक परिणाम प्रेरणादायक हैं, हालांकि अभी यह केवल शुरुआत है। सामाजिक संगठनों और प्रशासन ने जो मॉडल अपनाए हैं उन्हें जन जन से जोड़कर, स्कूल‑स्तर पर युवा‑नेतृत्व प्रशिक्षण दे कर और ग्राम‑पंचायतों के माध्यम से व्यापक जन‑आंदोलन में बदला जाना चाहिए। पारंपरिक नेतृत्व और धार्मिक संस्थाओं की भागीदारी से संदेश की स्वीकृति बढ़ेगी और व्यवहार में परिवर्तन तेज होगा।

“लाभ और दीर्घकालिक प्रभाव:
इस अभियान के जन‑जन तक प्रचारित प्रसारित दिल से अपनाए जाने पर दारू, दहेज, डी.जे. और डाकन (अंधविश्वास) जैसी सामाजिक बुराइयां, घटेंगी, घरेलू हिंसा और मद्य‑सम्बंधित अपराध कम होंगे, परिवारों की आर्थिक उन्नति और समग्र विकास में गति आएगी। साथ ही पारंपरिक मूल्यों और आधुनिक आजीविका विकल्पों को जोड़ कर सतत विकास सुनिश्चित किया जा सकेगा।

World Tribal Day 2025 पर मध्य प्रदेश की सक्रिय पहलें यह दिखाती हैं कि सामाजिक‑सुधार और अधिकारों की लड़ाई साथ‑साथ चले तो असरदार परिणाम मिलते हैं। प्रशासन, सामाजिक संगठन और समुदाय जब एक साथ खड़े होंगे तभी यह आंदोलन जन‑आन्दोलन बन कर आदिवासी समाज के सम्मान, सुरक्षा और समग्र विकास को सुनिश्चित कर सकेगा।