Worship Act Petitions : ‘प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट’ की नई याचिकाएं दायर होने पर CJI नाराज!

इस अधिनियम के अनुसार आजादी बाद किसी भी पूजा स्थल को दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता!

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Worship Act Petitions : ‘प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट’ की नई याचिकाएं दायर होने पर CJI नाराज!

New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 की वैधता से संबंधित मामले में कई नई याचिकाएं दायर किए जाने पर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि केंद्र की तरफ से अब तक जवाब दाखिल नहीं किया गया है और नई याचिकाएं दायर की जा रही हैं। सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि बस बहुत हो गया। इसे खत्म होना चाहिए। सीजेआई ने जोर देकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में किसी भी नई याचिका पर सुनवाई नहीं करेगा।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, हम पूजा स्थल अधिनियम मामले पर सुनवाई नहीं करेंगे। यह तीन जजों वाली बेंच का मामला है। बहुत सारी याचिकाएं दायर की गई हैं। मार्च में किसी समय इसे सूचीबद्ध किया जाएगा। इंटरवेंशन एप्लिकेशंस दायर करने की भी एक लिमिट होती है। कांग्रेस, सीपीआई (एमएल), जमीयत उलमा-ए-हिंद और एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी समेत अलग-अलग सियासी दलों और नेताओं ने भी इस मामले में इंटरवेंशन एप्लिकेशंस दायर की हैं।

ओवैसी की याचिका पर थी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट को असदुद्दीन ओवैसी की याचिका पर सुनवाई करनी थी। उनकी याचिका को पहले से लंबित पड़ी 6 याचिकाओं के साथ में जोड़ा गया है। एआईएमआईएम चीफ की याचिका में पूजा स्थल अधिनियम को लागू करने की मांग की गई है। इस अधिनियम के अनुसार, 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता।

12 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट का क्या था आदेश?

गौरतलब है कि इस मामले की सुनवाई पहले सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की तीन जजों की बेंच ने की थी। आखिरी बार इस मामले पर सुनवाई 12 दिसंबर को हुई थी। पीठ ने कहा था कि हम इस कानून के दायरे, उसकी शक्तियों और ढांचे को जांच रहे हैं। ऐसे में यही उचित होगा कि बाकी सभी अदालतें अपने हाथ रोक लें।

सुनवाई के दौरान सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि हमारे सामने 2 मामले हैं, मथुरा की शाही ईदगाह और वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद। तभी अदालत को बताया गया कि देश में ऐसे 18 से ज्यादा मामले लंबित हैं। इनमें से 10 मस्जिदों से जुड़े हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से याचिकाओं पर 4 हफ्ते में अपना पक्ष रखने को कहा। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जब तक केंद्र जवाब दाखिल नहीं करता है हम सुनवाई नहीं कर सकते है। हमारे अगले आदेश तक कोई भी नया केस दाखिल न किया जाए।