The Water Manufacturing Plant: जब लाल बुझक्कड़ की बत्ती जली!
रानी दमयंती की नगरी में प्यासे हैं राजा नल -यह ज़ोरदार हेड लाइन MP के अख़बारों में दमोह वासियों के जल संकट की व्यथा कथा बताती थी। वर्ष था- 1990-91.कोपरा नदी और राजनगर तालाब दोनों गर्मी के पहले ही सूख जाते थे .दमोह की कुख्यात गर्मी को भीषण जल संकट असहनीय बना देता था .
दिसंबर माह में PHE के EE ने नगर पालिका के नौसिखिया प्रशासक को लिखित में चेताया कि आप सप्ताह में पाँच दिन की बजाय केवल एक दो दिन पानी दीजिये अन्यथा आपके जल स्रोत फ़रवरी में ही दम तोड़ देंगे .प्रशासक ने सुना नहीं तो बात कलेक्टर तक गई जिन्होंने साफ़ कहा कि तकनीकी सलाह की अनसुनी नहीं की जा सकती .कलेक्टर वास्तविक स्थिति बेहतर समझते थे पर प्रशासक असमंजस में थे .
नगर पालिका ने जल प्रदाय 5 दिन से घटाकर तीन दिन कर दिया .प्रजा त्रस्त थी पर उपाय नहीं था .EE PHE ने फिर चेताया कि एक दिन से ज़्यादा नहीं दे सकते .एक ओर जल संकट झेलते क्रुद्ध नागरिक दूसरी और सतथ्य और सतर्क तकनीकी सलाह .नौ सिखिया प्रशासक का धराशायी होना तय था .लोग बेसब्री से एक अड़ियल अनुभवहीन के पतन की प्रतीक्षा करने लगे .
ज़िले के प्रशासकीय मुखिया और स्थानीय राजनैतिक नेतृत्व का अटूट विश्वास टूटते ही यह हो जाना था .आख़िर वे भी कितना साथ देते .अफ़वाहों का जलवा उस जमाने में भी कम नहीं था .तभी एक चमत्कार हुआ और फ़रवरी में समाप्त होने वाले जल स्रोत विलंबित मानसून तक को झेल गए जो जून की बजाय जुलाई के तीसरे सप्ताह में आया .लोग मज़ाक़ में कहने लगे प्रशासक ने पानी बनाने की मशीन लगाई है जो पानी दे रही है .असल में हुआ यह था कि प्रशासक अपनी टीम को लेकर पैदल पैदल कोपरा नदी के किनारे गए जो अधिकांश सूखी पड़ी थी किंतु वे लोग रुके नहीं .चलते चलते छपरट और बम्होरी गाँव में नदी में एक बड़ा जल कुंड था .ग्रामीणों ने बताया यह अक्षय स्रोत है अकाल में भी नहीं सूखा .टीम की आँखों में आशा झिलमिलाई पर तकनीकी दृष्टि से यह कठिन था।
बेहद व्ययसाध्य और लाभ की गारंटी नहीं थी .वहाँ पचास पचास हॉर्स पॉवर के दो पम्प ,100 हॉर्स पॉवर का ट्रांसफार्मर और पाँच सात किलो मीटर लंबी पाइपलाइन चाहिये थी सो यह अनार फुस्स फ्यूज़ ही होना था .थकी हारी टीम को ग्राम वासियों ने शिष्टाचार वश चाय भजिये प्रस्तुत किये.भजिये खाते प्रशासक ने किसान के आँगन में पाँच हॉर्स पॉवर का पम्प देखा और सिंचाई के पाइप देखे तो लाल बुझक्कड़ की तरह पूछा गाँव में एसी कितनी मोटरपम्प होंगे उत्तर आया बीस पच्चीस .लाल बुझक्कड़ की बत्ती जली .उन्होंने किसानों को प्रस्ताव दिया आप अपनी मोटर पम्प पाईप लगायें और सूखी नदी पारकर पानी ऐनिकट तक पंहुचाये तो हम आपको अच्छे पैसे देंगे .पूरा गाँव जुट गया तीसरे दिन पानी एनिकट में जा मिला .लाल बुझककढ़ को शाबाशी मिली .अब क्या यह भी बताना बाक़ी है कि वह ज़िद्दी लाल बुझक्कड कौन था?