कविता: भीगी चिड़िया

278
कविता: भीगी चिड़िया

कविता

भीगी चिड़िया

452326118 1638875046963266 7350027352479154764 n
शुचि मिश्रा
बरसात में भीगी चिड़िया
चहक रही है
भींग गया है पेड़
भींग गये हैं पात-पात
उजड़ गया है घोसला
अपने परों को फरकाती
फेंस के कटीले तारों पर बैठी
चहक रही है चिड़िया
चिड़िया को चहकते देख
खुश हैं लोग
लोगों की खुशी को
बिडम्बना की तरह नहीं
सवाल की तरह
देख रही है चिड़िया
लोग समझ रहे हैं
चहक रही है चिड़िया ।
युवा कवयित्री शुचि मिश्रा हिंदी साहित्य के क्षेत्र में बेहद सक्रिय हैं। गीत, गजल, अनुवाद के साथ ही विभिन्न विधाओं पर कविताएं लिखने में शुचि माहिर हैं। Jaunpur, Uttar Pradesh में रहती हैं.