योगी के बाद अब MP सरकार लागू कर सकती है जनसंख्या नियंत्रण का कानून

1188

नई दिल्ली से विजय कुमार दास की विशेष रिपोर्ट

विश्व में भारतीय लोकतंत्र विश्व गुरु के रूप में स्थापित हो चुका है। लेकिन बढ़ती हुई आबादी हिन्दुस्तान के लिए कैंसर की बीमारी की तरह न फैल जाए यह खतरा मंडराने भी लगा है। 138 करोड़ के आसपास भारत की आबादी 50 वर्षों में 200 करोड़ तक पहुंच जाएगी और हमारे देश में वह दिन दूर नहीं होगा जब रोटी के लिए आम आदमी को कतार में खड़े होकर भूख मिटानी पड़ेगी।

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनसंख्या नियंत्रण कानून लाकर जो साहस का परिचय दिया है, वह भारतीय राजनीति के इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है। भारत की बढ़ती हुई आबादी विकासशील देश के लिए सबसे बड़ा रोड़ा है, जिस तरह हम प्रदूषण से आज घबराने लगे हैं, एक समय ऐसा आएगा भारत अपनी आबादी से ही डर-डर कर जीने लगे तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा। जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जाति और धर्म से उपर उठकर बनाया गया कोई भी कानून आने वाले कई दशकों तक हर नई पीढ़ी उसे याद कर-कर के खुशियां बटोरेंगी।
विकास के नाम पर राजनीति करने का अधिकार सबको है, लेकिन वोट बैंक की राजनीति करके देश को बर्बाद करने का अधिकार अब किसी को नहीं है। इस विशेष रिपोर्ट में मुझे यह लिखने में संकोच नहीं है कि जिस राजनेता ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा लाया जा रहा जनसंख्या नियंत्रण कानून का विरोध किया है उसे राजनीति करने का कम से कम हिन्दुस्तान में अधिकार नहीं होना चाहिए। जनसंख्या नियंत्रण कानून सबके लिए समान है। यदि हिन्दुओं के 2 बच्चे पैदा करने की सीमाएं तय की जाती हैं तो मुसलमानों को भी अपनी रुढ़ीवादिता छोड़कर केवल 2 बच्चे ही पैदा करने की सीमाओं में बंधना चाहिए ताकि सभी बच्चों की बूनियाद मजबूत हो और श्रेष्ठ भारत का निर्माण करने में उनकी भागीदारी हो।

हम इस विशेष रिपोर्ट में आज केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की प्रशंसा करने में पीछे नहीं हटेंगे। नकवी ने खुले दिल से आवाम से अपनी बात कहते हुए यह स्वीकार किया है कि हिन्दुस्तान में जनसंख्या नियंत्रण अब हमारी मूलभूत आवश्यकता है। यदि भारत को अमेरिका और चाईना से ज्यादा ताकतवर बनना है और स्वस्थ एवं स्वच्छ देश बनना है तो फिर बच्चों की परवरिश भी सुदृढ़ होनी चाहिए और उनकी बुनियाद इतनी मजबूत हो कि वे अब किसी अभाव में जिंदगी जीने का रास्ता ना ढूंढ़े। हम तो दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं से विनम्र अनुरोध करते हैं कि कांग्रेस के लिए भी और देश के लिए भी यदि आप सम्मान से जीना चाहते हैं तो जनसंख्या नियंत्रण कानून का विरोध करने के बजाए राजनीति और छद्म धर्मनिरपेक्ष्यता से उपर उठकर आने वाली नौनिहाल पीढ़ी के लिए कुछ अच्छा करने का सोचिए। वरना जनसंख्या का बढ़ता हुआ प्रकोप हिन्दुस्तान में कैंसर की तरह नासूर बन जाएगा तो दिग्विजय सिंह जी आप के बच्चों के बच्चे, हमारे बच्चों के बच्चे, कोई भी इस अवधारणा को बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे जहां आपने जनसंख्या नियंत्रण कानून का विरोध किया था।

विशेष रिपोर्ट की यह अत्यंत संवेदनशील खबर लिखने तक हमें इस बात की जानकारी से बेहद संतुष्टि है कि गृह मंत्री अमित शाह ने जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सबसे पहले पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुनौती भरी जिम्मेदारी सौंपी है। गृह मंत्री अमित शाह का यह एक गोपनीय दस्तावेज था, जो अब सबसे पहले उत्तरप्रदेश में उजागर हुआ है, जिसकी चुनौतियों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले स्वीकार किया। समझा जाता है कि अमित शाह के उपरोक्त जनसंख्या नियंत्रण वाले गोपनीय दस्तावेज की दस्तक अब मध्यप्रदेश राज्य में भी हो चुकी है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार इस बात को लेकर एक मत है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून का मसौदा मध्यप्रदेश के विधानसभा के पटल में भी जल्द से जल्द रखा जाना चाहिए।

यह कोई आश्चर्य एवं चौंकाने वाला वाक्या नहीं है कि अमित शाह के मध्यप्रदेश में हनुमान बने गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा कल से ही जनसंख्या नियंत्रण कानून का गदा लेकर घूमने लग जाए और जन संख्या नियंत्रण के कानून को लेकर पत्रकारों के साथ रोज बड़ा बयान देने लगे। वैसे भी माना जाता है कि डॉ. नरोत्तम मिश्रा जो ठान लेते हैं, वह करके दिखाते भी हैं, इसलिए जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर गृह मंत्री अमित शाह की ब्रांडिंग के लिए यदि नरोत्तम मिश्रा ने मध्यप्रदेश को लांचिंग पेड बना दिया तो फिर शिवराज-महाराज की सरकार भी उस लांचिंग पेड में अमित शाह की जनसंख्या नियंत्रण वाली अवधारणा को स्थापित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। इस विशेष रिपोर्ट का लब्बोलुआब यह है कि हिन्दुस्तान के 26 राज्यों में बेरोजगारी का दंश झेलने वाली त्रासदी का सबसे बड़ा कारण बढ़ती हुई आबादी है, ऐसा कहा जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। इसलिए यह अपेक्षा करना गलत नहीं होगा कि जनसंख्या नियंत्रण कानून का एजेंडा राजनीति से उपर उठकर मध्यप्रदेश राज्य में भी जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए।