मोदी के 11 साल… बस इतना ही काफी है…

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मोदी के 11 साल… बस इतना ही काफी है…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 साल पूरे होने का जश्न भारतीय जनता पार्टी पूरे देश में मना रही है। जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 साल पूरे होने से पर जापान में रह रहे भारतीयों ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने केंद्र की एनडीए-भाजपा सरकार के 11 साल पूरे होने को गौरवशाली क्षण बताया है। जापान में रहने वाले भारतीयों का मानना है कि नरेंद्र मोदी के कार्यकाल ने न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को बदल दिया है, बल्कि भारत की वैश्विक स्थिति को भी महत्वपूर्ण रूप से बेहतर बनाया है। और भारत की वैश्विक पहचान बनाने का पूरा श्रेय वह मोदी को देते हैं। शायद यही मोदी के 11 साल की उपलब्धियां बताने के लिए काफी है। लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेकर मोदी ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के 20वीं सदी के रिकॉर्ड की बराबरी कर एक गैर कांग्रेसी नेता के रूप में 21वीं सदी में बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है। मोदी का यह रिकॉर्ड टूट पाना भारत में बहुत मुश्किल नहीं तो बहुत आसान भी नहीं है।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव मोदी सरकार के 11 साल की उपलब्धियों पर बोल रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदू-मुसलमान में भेदभाव नहीं किया। वास्तव में मोदी ने तीन तलाक प्रथा खत्म कर हिंदू मुस्लिम भेदभाव खत्म करने की दिशा में ही काम किया है। चाहे हिंदू महिलाएं हो या मुस्लिम सबको सम्मान के साथ जीने का पूरा अधिकार है। और इसीलिए मुस्लिम महिलाओं ने भी तीन तलाक खत्म होने पर खुशी जताई थी। समान नागरिक संहिता भी भेदभाव के खात्मे की ही एक सोच है। और वक्फ बोर्ड के स्वरूप परिवर्तन की दिशा में भी मुसलमान मोदी का साथ निभा रहे हैं। कश्मीर में अनुच्छेद 370 का खत्म होना भी राष्ट्रीय स्तर पर भेदभाव को खत्म करने की दिशा में एक ऐसा कदम था जो हिंदू मुस्लिम भेदभाव को मिटाने वाला साबित हुआ। और अब चिनाब नदी पर सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज बनाकर कश्मीर तक पहुंच और भी ज्यादा आसान हो गई है। आतंकवाद के खात्मे की दिशा में भी मोदी के 11 साल के काम को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। पर इंडिया गठबंधन और कांग्रेस के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने के लिए भी बहुत कुछ है। और इन मुद्दों पर भी विपक्ष का आलोचनात्मक नजरिया हो सकता है।अगर एनडीए गठबंधन और भाजपा अपने तर्कों से यह साबित करने में सक्षम है कि मोदी के राज में देश खुशहाल है तो इंडिया गठबंधन और कांग्रेस के पास भी उतने ही तर्क हैं जिससे वह साबित करने की कोशिश करते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के 11 साल में देश खस्ताहाल हो गया है। हालांकि एक बार फिर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की उस बात को सिरे से नहीं नकारा जा सकता है, जिसमें एक सवाल के जवाब में उन्होंने साबित किया कि लगातार तीसरी बार एनडीए गठबंधन की जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धि ही है। भले ही 2024 के चुनाव में कांग्रेस की सीटें 99 तक पहुंच गई हों और भाजपा पिछले आम चुनाव की तुलना में कम सीटें पाई हो, लेकिन यही तो लोकतंत्र की खूबसूरती है और यही तो साबित करता है कि ईवीएम में गड़बड़ी नहीं है। और मोहन यह कहने से नहीं चूके कि विपक्ष की मानसिकता ही खराब है। हालांकि मोदी के 11 साल की यह भी बड़ी उपलब्धि है कि जब पहलगाम में आतंकियों ने धर्म के आधार पर गैर मुसलमानों का कत्ल किया और हिंदू महिलाओं का सिंदूर उजाड़ा तब ऑपरेशन सिंदूर में पक्ष विपक्ष का भेदभाव खत्म कर सबने एकता का परिचय दिया। वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के 11 साल सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण के लिए समर्पित रहे। मोदी के नेतृत्व में देश में जनकल्याण और विकास में ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कीं। मोदी सरकार के कल्याणकारी योजनाओं ने करोड़ों लोगों का जीवन बदलने का कार्य किया।

तो प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के 11 साल पूरे होने पर विपक्ष ने तीखा हमला बोला है। कांग्रेस और लोकदल ने बेरोजगारी, महंगाई, किसानों की दुर्दशा और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर सरकार को घेरा है। विपक्षी दलों ने सरकार के विकास के दावों को खोखला बताते हुए जमीनी हकीकत से दूर बताया है। कांग्रेस का आरोप है कि 11 साल जुमले बेशुमार, देश की हालत खस्ताहाल। तो विपक्ष संविधान को कमजोर करने के आरोप लगाकर भी मोदी सरकार को आइना दिखाने में परहेज नहीं कर रहा है।

खैर धूप और छांव, अंधेरे और उजाले, प्रशंसा और आलोचना, खुशहाल और खस्ताहाल, मोहब्बत और नफरत, सकारात्मक और नकारात्मक, ऊंच और नीच जैसे शब्द सापेक्षिक हैं और नजरिए के साथ करवट बदलते रहते हैं। पर राजनीति में ऐसे शब्द परेशानी का सबब कभी नहीं बनते। पक्ष विपक्ष की सीमा रेखा यही है कि विपक्ष उपलब्धियां मानने को तैयार नहीं है तो पक्ष को कमियां कभी नजर नहीं आतीं। और राजनीतिक आबोहवा में सबका अपना-अपना आनंद है।

पर मोदी के 11 साल या मोदी के प्रधानमंत्रित्व काल की जब भी बात होगी तब उपलब्धियों को नकारा नहीं जा सकेगा। चाहे आर्थिक महाशक्ति की बात हो, चाहे सैन्य शक्ति की बात हो, चाहे अंतरिक्ष में उपलब्धियों की बात या गरीब, नारी, अन्नदाता और युवाओं की बात हो, चाहे रक्षा-शिक्षा या सामाजिक बदलाव की बात हो, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में उपलब्धियों की एक लंबी श्रृंखला तो तैयार हुई ही है। जब भारत के सभी प्रधानमंत्री के कार्यकाल का तुलनात्मक अध्ययन होगा, तब भी मोदी का स्थान अव्वल में रहेगा। तो मोदी के 11 साल पूरे होने पर सभी नजरिए से यह सटीक वाक्य है कि, ‘मोदी के 11 साल… बस इतना ही काफी है…‌।’